निगम की हाउस टैक्स शाखा में नई व पुरानी आइडी के चक्कर में लाखों का गोलमाल
जागरण संवाददाता हिसार नगर निगम की गृहकर शाखा में 5 हजार बैलेंस सीट शून्य करने के
जागरण संवाददाता, हिसार : नगर निगम की गृहकर शाखा में 5 हजार बैलेंस सीट शून्य करने के लिए करोड़ों का घोलमेल छिपाने के लिए एक के बाद एक बड़े खेल जनता के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। शहर की 5 हजार प्रॉपर्टी का गृहकर रिकार्ड शून्य करने के बाद नगर निगम की गृहकर शाखा एक बार फिर चर्चाओं में आ गई है। इस बार निगम स्टाफ का नया ही खेल सामने आया है। जिसमें पुरानी आइडी पर टैक्स भरवाकर अब जनता को कह रहे हैं कि उन्होंने जो टैक्स भरा वह गलत है। उसको वापस करने का हमारे पास कोई प्रावधान भी नहीं है। ऐसे में कई लोग तो निगम के चक्कर काट काट कर थक गए और नई आइडी पर फिर से टैक्स भुगतान करने को मजबूर हैं। ऐसे में जनता पूर्व प्रॉपर्टी टैक्स भुगतान की रसीदें संभालकर रखें, नहीं तो दोबारा टैक्स भुगतान कर करना पड़ सकता है। उधर अफसर इसे जनता की गलती बता कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।
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निगम का जनता में है खौफ, नाम बताने से भी डर रहे लोग
नाम न छापने की शर्त पर शहर के व्यापारियों ने बताया कि निगम की गड़बड़ी से हमें मोटा नुकसान हुआ है। कई ने तो अतिरिक्त राशि तक भर दी है। अब शिकायत करेंगे तो निगम वाले कागजों में उलझा देंगे। जिदगी निगम कार्यालय या कोर्ट कचहरी के चक्कर में कट जाएगी। निगम से पंगा ले कौन क्योंकि यहां तो शिकायतों पर भी कार्रवाई नहीं होती। इंसाफ की उम्मीद तो उनसे बेमायने है।
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इन केस से ऐसे समझें गृहकर शाखा का गोलमाल
केस -1
कर्मचारी व सर्वे एजेंसी से वेरिफाई के बाद भरा टैक्स, अब बता रहे गलत आइडी
विवेक नगर निवासी अनील कुमार जैन : अपने परिचित का प्लाट का हाउस टैक्स जमा करवाने के लिए रजिस्ट्री व इंतकाल की कॉपी लेकर निगम पहुंचे। अनिल जैन ने कहा कि मिर्जापुर रोड पर गीता कालोनी के प्लाट का टैक्स जमा करवाने पहुंचे तो हाउस टैक्स शाखा में मौजूद कर्मचारी ने उन्हें बिना नाम वाली प्रॉपर्टी आइडी देकर वह उनकी बताते हुए उसमें पैसे जमा करवाने के लिए कहा। उन्होंने नई सर्वे एजेंसी से भी आइडी वेरिफाई की। उन्होंने भी सर्वे कर आइडी ठीक बताई दोनों से वेरिफाई होने के बाद 16711 रुपये टैक्स भुगतान किया। कुछ समय बाद प्लाट को बेचने के लिए जब एनओसी लेने पहुंचे। तो निगम स्टाफ ने एनओसी देने से मना करते हुए कहा कि आपने गलत आइडी पर पैसे जमा करवा दिए। इस बारे में उन्होंने ईओ के सामने अपनी बात रखी तो उन्होंने गलत आइडी देकर राशि भरवाने वालों पर कार्रवाई करने की बजाय कर्मचारियों का पक्ष लिया गया। साथ ही उन्हें भाईचारे में जिसकी आइडी में पैसे जमा हो गए उससे सेटलमेंट से राशि वापस दिलाने की बात कही, लेकिन कानूनी तरीके से उनकी राशि हमें दिलाने से इन्कार कर दिया। निगम स्टाफ इस प्रकार खुद आईडी देकर उसमें राशि भरवा रहे हैं और बाद में उससे पल्ला झाड़ रहे हैं। यह तो सीधे सीधे धोखा व भ्रष्टाचार है।
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केस = 2
सत्यम मार्केट : मेडिकल दुकान संचालक ने निगम की मनमानी के कारण दो बार भरा टैक्स
सत्यम मार्केट में बिना नाम के प्रॉपर्टी टैक्स के नोटिस भेज दिए। कैमिस्ट ने बिल का भुगतान कर दिया। इस साल जब बिल भुगतान करने गए तो निगम ने गलत आइडी पर पैसे जमा करने की बात कही। इस पर कैमिस्ट ने निगम का नोटिस दिखाते हुए कहा कि आपके कर्मचारी ने ही दिया है, उस पर उन्होंने बिल भुगतान किया है। ऐसे में वह गलत कैसे हैं। कैमिस्ट के बेटे ने कहा कि उसके पिता शांतिप्रिय हैं। उन्होंने पैसे भर दिए। यानि कैमिस्ट ने नई आइडी पर दोबारा भुगतान किया।
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ग्रीन मार्केट में बिल किसी ने भरा सालों बाद किसी के खाते में दिखा रहे, ए लगाकर बना दी नई आईडी
निगम में जिस आइडी पर कर्मचारी फंसते दिखते हैं। उसके सामने ए लगाकर नई आइडी बनाकर उसमें राशि भरवा लेते हकं। ताजा मामला ग्रीन स्क्वेयर मार्केट का है, जिसमें फर्नीचर के एक व्यापारी सालों से निगम में टैक्स भर रहे थे। उनका टैक्स पड़ोस की प्रॉपर्टी वालों के खाते में दिखा दिए। उनसे दोबारा राशि भुगतान के लिए जब कहा गया तो वे हैरान रह गए और मामला फंसा देख कर्मचारियों ने उनकी आइडी के सामने ए लगाकर उनकी रसीदों को देखते हुए उसमें नई आइडी पर भुगतान करवा लिया। अब पड़ोसी की आइडी शून्य हुई या नया खेल खेला गया यह भी जांच का विषय है। यानि नई आइडी बनाकर पुराने रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। व्यापारी बोला की अफसरों को रसीदें दिखा दी थी। उन्होंने नई आइडी देकर आश्वासन दिया है कि दोबारा बिल नहीं भरना पड़ा।
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सालों से निगम की गृहकर शाखा में चल रहा करोड़ों का गोलमाल, ठंडे बस्ते में फाइलें, दोषी आजाद, इसलिए जनता में डर
- गृहकर शाखा ने साल 2014-15 और 2015-16 में डिमांड को 31 मार्च 2016 तक की 5 हजार बैलेंस शीट को शून्य किया गया। इसमें हाउस की बैठक में विजिलेंस जांच तक की बात उठी लेकिन आज तक दोषी अफसर व कर्मचारियों को आज तक सजा होना तो दूर जांच तक पूरी नहीं हुई। जबकि पार्षदों ने इसमें करोड़ों का गोलमाल के आरोप जड़े थे।
- स्व. पार्षद नरेंद्र शर्मा ने हाउस की बैठक में सबूत के साथ खुलासा किया था कि घर बैठे सर्वे एजेंसी ने पूर्व में कर दिया था सर्वे। उसको छिपाने के लिए नई एजेंसी को सौंपा रिकार्ड दुरुस्त करने का काम, करीब डेढ़ करोड़ खर्च के बावजूद जनता का रिकार्ड नहीं दुरुस्त। दोषी आजाद।
- पूर्व पार्षद पंकज दीवान के अनुसार साल 2005-06 में खुलासा हुआ था कि एक कर्मचारी ने नकली जी-8 छपवा कर रसीदें बांटी और निगम पैसे का गबन कर लिया। खुलासे के बाद कर्मचारी सस्पेंड किया गया, उसके बाद वह निगम में तो नहीं दिखा लेकिन जांच व कार्रवाई में क्या हुई हमें आज तक सच नहीं पता चला। अफसर सब गोल कर गए।
- पहले मेयर व पार्षद हाउस में आवाज बुलंद करते थे कि गृहकर शाखा का रिकार्ड नहीं मिल रहा अब कमिश्नर के आदेश पर भी कंपनी रिकार्ड नहीं दे रही। कार्रवाई चेतावनी तक सिमटी।
- मेयर जांच कमेटी बैठक रिकार्ड दिलाना भूल गए। जांच कमेटी के सदस्य पार्षद जांच के लिए रिकार्ड मांग रहे। स्टाफ दे रही रहा। कार्रवाई के नाम पर सब मूकदर्शक।
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नई व पुरानी प्रॉपर्टी आइडी के निगम में बड़े स्तर पर मामला चल रहा है। इस बारे में कई मामले मेरे सामने भी आ चुके हैं। यह जांच का विषय है। इस मामले में जांच की जरूरत है, ताकि यह भविष्य में जनता की परेशानी का सबब न बने।
- भीम महाजन, पूर्व डिप्टी मेयर, नगर निगम हिसार।
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किसी और की आइडी पर पैसे जमा करवाने का मेरे सामने केवल इंडस्ट्रियल एरिया का एक मामला आया था। मैंने पता करवाया तो उसमें प्रॉपर्टी मालिक की ही गलती थी। यदि कोई किसी और की आइडी पर भुगतान करता है तो हम क्या कर सकते है। इस बारे में स्टाफ की गलती नहीं है।
- हरदीप सिंह, ईओ, नगर निगम हिसार।