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दिल्ली मोर्चा में मनाया गया मानवाधिकार दिवस, बुद्धिजीवियों की रिहाई की मांग उठाई

भाकियू एकता उगराहा की ओर से शुक्रवार को मानवाधिकार दिवस मनाया गया। किसानों ने देशभर में लोकतांत्रिक अधिकार सेनानियों के आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त की और जेल में बंद बुद्धिजीवियों और लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 10 Dec 2021 05:12 PM (IST)Updated: Fri, 10 Dec 2021 05:12 PM (IST)
दिल्ली मोर्चा में मनाया गया मानवाधिकार दिवस, बुद्धिजीवियों की रिहाई की मांग उठाई
बहादुरगढ़ में बार्डर पर मानवाधिकार दिवस मनाते आंदोलनकारी

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: किसान संघर्ष के विजयी समारोह के बीच भाकियू एकता उगराहा की ओर से शुक्रवार को मानवाधिकार दिवस मनाया गया। किसानों ने देशभर में लोकतांत्रिक अधिकार सेनानियों के आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त की और जेल में बंद बुद्धिजीवियों और लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की। देश में लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने वाले कानूनों को निरस्त करने की मांग भी जोर-शोर से उठाई गई। पकौड़ा चौक पर जनसभा को संबोधित करते हुए भाकियू एकता उगराहा के प्रदेश अध्यक्ष जोगेंदर सिंह उगराहा ने कहा कि देश के बुद्धिजीवियों और लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ताओं को देशद्रोह जैसे कानूनों के तहत जेल में डाल दिया गया है।

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ये वे लोग हैं जिन्होंने लोगों के लिए अपनी कलम, कला और बौद्धिक क्षमता से लोगों के पक्ष में बात की है। उन्होंने गिरफ्तार बुद्धिजीवियों और लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई और राजद्रोह जैसे कानूनों को खत्म करने की मांग की। इस अवसर पर लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ता डा. नवशरण ने किसान संघर्ष के प्रति एकजुटता व्यक्त की और मानवाधिकार दिवस के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए आवाज उठाने के लिए किसान संघर्ष को धन्यवाद दिया। लेखक साहिबा हुसैन ने जेल के अंदर से भेजे गए गौतम नवलखा के संदेश को सांझा किया। उन्होंने कहा कि नवलखा ने संघर्षरत किसानों को नमन किया था और हर दिन किसानों के साथ अपने रिश्ते को महसूस करने की भावना व्यक्त की थी।

उगराहा ग्रुप में पुरुष पीली पगड़ी तो महिलाएं पीली चुन्‍नरी में नजर आते हैं। एक साल से इनकी सक्रिय भूमिका आंदोलन में रही। उगराहा ग्रुप ने एमएसपी को लेकर भी जोर शोर से मांग उठाई थी तो आंदोलन का एक साल पूरा होने पर भी भव्‍य कार्यक्रम किया था। उगराहा ग्रुप ने कृषि कानूनों की वापसी होने के बाद भी अन्‍य मांगों को लेकर लड़ाई लड़ी जो अभी भी जारी है।


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