बदलते मौसम में रोग और कीटों से कैसे करें फसलों का बचाव, इन बातों का रखें ध्यान तो नहीं होगा नुकसान
मौसम के असर को देखें तो इस महीने कहीं पर बारिश तो कहीं कोहरे की वजह से तापमान में उतार चढ़ाव देखने को मिला। विशेषज्ञों की मानें तो मौसम में बदलाव के साथ ही फसलों में कई तरह के रोग-कीट लगने की समस्या भी बढ़ जाती है।
झज्जर, जागरण संवाददाता। जनवरी माह में अभी तक हुई बरसात के चलते पिछले 24 सालों का रिकार्ड टूटा है। आंकड़ों से बात करें तो वर्ष 2022 में सबसे अधिक 75.5 एमएम बरसात हुई। जबकि, वर्ष 1999 से 2022 तक जनवरी माह के दौरान कभी भी बरसात का आंकड़ा 50 एमएम तक नहीं पहुंच पाया। इस दफा बरसात 50 एमएम से अधिक हुई है।
किसान कुछ बातों का ध्यान रखें तो नुकसान से बच सकते हैं
जिसमें बहादुरगढ़ सबसे आगे और माछरोली खंड सबसे पीछे रहा। कुल मिलाकर, मौसम के असर को देखें तो इस महीने कहीं पर बारिश तो कहीं कोहरे की वजह से तापमान में उतार चढ़ाव देखने को मिला। जिसका असर फसलों पर भी होता है। विशेषज्ञों की मानें तो मौसम में बदलाव के साथ ही फसलों में कई तरह के रोग-कीट लगने की समस्या भी बढ़ जाती है, ऐसे में अगर किसान कुछ बातों का ध्यान रखें तो नुकसान से बच सकते हैं।
इन सब्जियों की रोपाई मेड़ों पर की जा सकती
डा. कुलदीप अहलावत के मुताबिक किसानों को सलाह है कि सरसों की फसल में चेंपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। प्रारम्भिक अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें। इसी कड़ी में चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाएं। कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थैलों में भर कर पालीहाउस में रखें। बन्द गोभी, फूलगोभी, गांठ गोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर की जा सकती हैं।
पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें
पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं। साथ ही इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई करें। रोपाई वाले पौध छह सप्ताह से ज्यादा की नहीं होने चाहिए। पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें।