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हरियाणा में सेम ग्रस्त एवं लवणीय भूमि सुधार योजना कैसे होगी कारगर, शर्तें हैं बेहद अधिक

सेम ग्रस्त एवं लवणीय भूमि सुधार की योजना लांच की है। योजना का नाम पढ़कर लग रहा है कि वास्तव में योजना से किसानों को फायदा मिलेगा। लेकिन सरकार की योजना पर लालफीताशाही हावी हो गई। उन्होंने इसमें इतनी शर्तें लगा दी। जो आसानी से पूरी नहीं होगी।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 07:40 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 07:40 PM (IST)
हरियाणा में सेम ग्रस्त एवं लवणीय भूमि सुधार योजना कैसे होगी कारगर, शर्तें हैं बेहद अधिक
सेम ग्रस्त एवं लवणीय भूमि सुधार योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो 15 फरवरी तक आवेदन करना होगा।

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : प्रदेश सरकार ने सेम ग्रस्त एवं लवणीय भूमि सुधार की योजना लांच की है। योजना का नाम पढ़कर लग रहा है कि वास्तव में योजना से किसानों को फायदा मिलेगा। लेकिन सरकार की योजना पर लालफीताशाही हावी हो गई। उन्होंने इसमें इतनी शर्तें लगा दी। जो आसानी से पूरी नहीं होगी। योजना के अनुसार किसान जहां पर कम से कम 250 एकड़ जमीन पोर्टल पर दर्ज करवाएंगे। वहां पर ही सरकार के प्रोजेक्ट शुरू होंगे। अब कुछ किसानों की अज्ञानतावश व सामुदायिक सहभागिता के अभाव में योजना में परेशानी आएगी। वहीं ड्रेन बनाने को लेकर मुश्किल होगी।

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वैसे जो किसान इस योजना का लाभ उठाना चाहता है उसे 15 फरवरी तक आवेदन करना होगा। इसके लिए शुरूआत में 1 हजार रुपये की फीस भरनी होगी। जो योजना शुरू होगी तो इसे अंशदान में शामिल कर लिया जाएगा, अन्यथा किसान के रुपये वापस कर दिए जाएंगे।

जिले में 40 हजार एकड़ से अधिक सेम प्रभावित :

एक तरफ प्रदेश सरकार का कृषि एवं किसान कल्याण विभाग खुद अपने पोर्टल पर मान रहा है कि सेम के जल भराव तथा लवणता की दोहरी समस्या प्रदेश में निरंतर कृषि उत्पादन में संकट उत्पन्न हुआ है। खेतों में प्रवाहित सिंचाई तथा नहरों से रिसाव राज्य के इन क्षेत्रों में जहां पानी खारा तथा लवणीय है। भू-जल का संतुलन बिगड़ रहा है। प्रदेश में ऐसा 65 प्रतिशत क्षेत्र ऐसा है। इतना ही नहीं, विभाग के भू-जल कोश के जून 2020 के सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में लगभग 9 लाख 82 हजार 740 एकड़ भूमि जल-भराव तथा लवणता से प्रभावित है। जिससे 1 लाख 74 हजार 470 एकड़ भूमि बुरी तरह से प्रभावित है। यहां पर 0 से चार फीट तक है। जिसमें से फतेहाबाद के भी 15 हजार एकड़ जमीन शामिल हैं। जो अत्याधिक जलभराव व लवणीय के चलते फसल की बुवाई नहीं हुई। वैसे बारिश के मौसम में 40 हजार एकड़ जमीन जिले में प्रभावित है। विभाग के अनुसार सबसे अधिक जमीन सेम व लवणीय के कारण रोहतक, साेनीपत, झज्जर तथा चरखी दादरी में खराब हैं।

मछली पालन से लेकर पेड़-पौधे लगाने की योजना :

प्रदेश सरकार ने सेम व लवणीय भूमि के लिए चार प्रकार की योजना शुरू की हैं। ये योजना किसानों के पंजीकरण के उपरांत ही होगी। इसके बाद करनाल में स्थित सीएसएसआरआई के अधिकारी तय करेंगे कि किसानों की जमीन किस परियोजना के लिए उपयुक्त है। योजना के अनुसार अत्याधिक भू-जल खारा होने पर सब सरफेस ड्रेनेज का निर्माण किया जाएगा। वहीं जहां पर भूजल अधिक खराब नहीं है, वहां पर कम गहराई में ट्यूबवेल लगाकर लंबवत ड्रेनेज स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा वहां पर लवणीय व अधिक पानी सहने वाले औद्योगिक पेड़ों व फलों के पौधे लगाए जाएंगे। वहीं मछली पालन शुरू करवाना भी इसका मुख्य उद्देश्य है।

सरकार की ये है शर्तें :

योजना के अनुसार केवल वहीं, किसान आवेदन कर सकता है, जिसकी जमीन सेम व लवणीय से प्रभावित है। जहां पर जल स्तर मई व जून महीने में 1.5 मीटर से गहरा न हो। इसके बाद किसान को आनलाइन आवेदन करते हुए लिखित सहमति, राजस्व रिकार्ड की फर्द, बैंक ब्यौरा सहित जानकारी देनी होगी। आवेदन सिर्फ जमीन का मालिक ही सकता है। आवेदन के साथ 1 हजार रुपये फीस देनी होगी। जो बाद में किसान द्वारा दिया जाने वाले 20 प्रतिशत अंशदान में शामिल हो जाएगी। अधिकांश किसान को अंशदान 7 से 9 हजार रुपये ही होगा। सरकार शुरूआत में क्लस्टर के आधार पर कार्य करेगी। ऐसे में जहां पर कम से कम 250 एकड़ जमीन का आवेदन होगा, सभी किसानों को सहमति पत्र सामूहिक देना होगा। लवणीय पानी निकासी के लिए खुला नाला यानी ड्रेन बनेगी। इसके लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण नहीं होगी। किसानों को स्वेच्छता से जमीन देनी होगी। यदि क्षेत्र विशेष के सभी किसानों की सहमति प्राप्त नहीं होती है तो भूमि सुधार कार्य शुरु नहीं होगाा।

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प्रदेश सरकार ने अभी योजना शुरू की है। जहां पर सेम प्रभावित क्षेत्र अधिक है, वहां पर अभियान चलाकर किसानों को योजना के बारे में बताएंगे, ताकि एक क्षेत्र में 250 एकड़ से अधिक जमीन के लिए आवेदन आए। जिले के कई गांवों में सेम व लवणीय की समस्या है।

- मुकेश कुमार आर्य, सहायक जिला भूमि एवं जल संरक्षण अधिकारी, फतेहाबाद


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