सुपर 100 योजना के लिए हिसार में खोला था छात्रावास, शिक्षक ही नहीं मिला तो रेवाड़ी करना पड़ा शिफ्ट
सुपर 100 योजना के तहत मेधावियों का हिसार में दाखिला लिया गया था। मगर हिसार के केंद्र में विभाग कभी शिक्षक ही नहीं मुहैया करा सका। लिहाजा बच्चों को तो छात्रावास में बुलाया गया मगर उन्हें पढ़ने के लिए टेबलेट दे दिया गया।
जागरण संवाददाता, हिसार। शिक्षा विभाग की महत्वाकांक्षी सुपर 100 योजना के तहत मेधावियों का हिसार में दाखिला लिया गया था। मगर हिसार के केंद्र में कभी शिक्षक ही नहीं विभाग मुहैया करा सका। लिहाजा बच्चों को तो छात्रावास में बुलाया गया मगर उन्हें पढ़ने के लिए टेबलेट दे दिया गया। बच्चे बार-बार शिक्षक देने की बात कहने लगे। मगर इन्हें शिक्षक मुहैया ही नहीं कराया गया। अब अचानक से 50 बच्चों को रेवाड़ी शिफ्ट करने के आदेश जारी कर दिए गए। जिसकी शिक्षा विभाग को ही जानकारी नहीं थी। अभिभावकों ने विरोध किया और अपने बच्चों को घर बैठा दिया। अब बच्चों का शैक्षिक सत्र भी बर्बाद हो रहा है।
गौरतबल है कि सुपर 100 स्कीम के माध्यम से सरकारी स्कूलो के मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां कराई जाती है। इस तैयारी को कराने का कार्य एक संस्था को दिया गया है। इस मामले को लेकर डायट प्रिंसिपल मिनी आहूजा से फोन पर संपर्क किया गया तो फोन नहीं उठा।
मार्च में शुरू हुआ था छात्रावास
10वीं में 97 फीसद अंक पाने वाला हिसार से खरकड़ी गांव निवासी शुकरदीन बताता है कि मार्च माह में छात्रावास में बुलाया गया था। वहां शुरुआत से ही पढ़ाई के लिए शिक्षक की सभी मांग कर रहे थे। मगर बार-बार कहने पर भी उन्हें शिक्षक नहीं मुहैया कराए गए। कोविड के चलते जहां स्कूल कालेज सब खुल गए फिर भी शिक्षक नहीं मिले। लिहाजा बच्चों को एक-एक टेबलेट मुहैया कराए गए और आनलाइन ही पढ़ाई शुरू करा दी गई। अब रेवाड़ी भेज रहे हैं वहां मैं जाना नहीं चाहता हूं। अब गांव के किसी स्कूल में दाखिला लूंगा।
शिक्षा विभाग के पास भी नहीं कोई जानकारी
15 अगस्त को एकाएक विद्यार्थियों को हिसार से रेवाड़ी शिफ्ट किया जाने लगा तो अभिभावकों ने विरोध कर दिया। हैरानी की बात है कि विद्यार्थियों को शिफ्ट करते समय शिक्षा विभाग को भी कुछ नहीं बताया गया। यही कारण है कि एक छात्र अंबाला निवासी था तो वह भी वापस अपने घर चला गया। इधर अभिभावक जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को फोन करते - करते थक गए मगर किसी ने गौर नहीं किया।