Move to Jagran APP

हिसार सिविल अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन के लिए लाइसेंस मिलने की जगी उम्‍मीद

लॉकडाउन से पहले सिविल अस्पताल में लाइसेंस प्रक्रिया को पूरी करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दौरा किया था। लेकिन उस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर और स्पेस की कमी बताई थी। टीम की ओर से कहा गया था इन कमियों को पूरा करने के बाद ही लाइसेंस दिया जा सकेगा।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 16 Feb 2021 04:11 PM (IST)Updated: Tue, 16 Feb 2021 04:11 PM (IST)
हिसार सिविल अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन के लिए लाइसेंस मिलने की जगी उम्‍मीद
सिविल अस्पताल में ब्लड कंपाेनेंट मशीन की सुविधा शुरु होने से रोगियों को खून के अलग-अलग तत्व मिल सकेंगे

हिसार, जेएनएन। सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपानेंट की सुविधा जल्द ही शुरु की जाएगी। करीब दो साल पहले यहां ब्लड कंपाेनेंट की मशीन मुख्यालय ने भेजी थी। लेकिन पिछले दो साल से मशीन को इंस्टॉल करने के लिए लाइसेंस नहीं मिल पाया है। कारण लॉकडाउन से पहले सिविल अस्पताल में लाइसेंस प्रक्रिया को पूरी करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दौरा किया था। लेकिन उस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर और स्पेस की कमी बताई थी। टीम की ओर से कहा गया था कि इन कमियों को पूरा करने के बाद ही लाइसेंस दिया जा सकेगा। अब विभाग की ओर से उपरोक्त कमियों को पूरा करने के लिए दावे किए गए है और सीएमओ की ओर से रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी गई है।

loksabha election banner

जिससे संभावना जताई जा रही है कि ब्लड कंपाेनेंट की मशीन की सुविधा जल्द ही शुरु की जा सकेगी। ब्लड कंपोनेंट अथवा ब्लड सेपरेटर मशीन से खून से आरबीसी, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स अलग-अलग किए जा सकते है। एक यूनिट रक्त से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है। फिलहाल यह मशीन इंस्टॉल ना होने से रोगी को जरूरत नहीं होने पर भी तीनों उपरोक्त तत्व चढ़ाए जाते है। डेंगू रोगियों को प्लेटलेट्स की जरूरत होती है, जो यहां नहीं मिलते। मामले में सीएमओ डा. रत्नाभारती ने कहा कि ब्लड कंपानेंट की मशीन के लिए बताई गई सभी कमियों को पूरा कर लिया गया है। इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जा चुकी है।

डा. पूनिया भी उठा चुके मुद्दा -

ब्लड कंपोनेंट मशीन आने के बाद भी मशीन का उपयोग न हो पाने की समस्या को लेकर सिविल अस्पताल में जीव वैज्ञानिक डा. रमेश पूनिया भी इंटरनेट मीडिया पर इस मुद्दे को उठा चुके है। उनके मुद्दा उठाने के बाद मुख्यालय से दस्तावेजों का आदान प्रदान बढ़ गया था। डा. रमेश पूनिया ने फेसबुक पर पोस्ट शेयर की थी। पोस्ट में लिखा था लचर व्यवस्था का खामियाजा आमजन को किस प्रकार भुगतना पड़ता है इसका जीवित उदाहरण सिविल अस्पताल में 3 साल से धूल फांक रही लाखों रुपए की ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन की दशा देखकर सहजतापूर्वक लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि आम जनता की सुविधा के लिए ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन सिविल अस्पताल हिसार में इंस्टॉल करने हेतु भेजी गई थी। परंतु लचर व्यवस्था के कारण आज तक यह मशीनें विभाग के ब्लड बैंक में धूल फांक रही है और इनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है परिणाम स्वरूप इनका वारंटी पीरियड भी समाप्त हो चुका है। लचर व्यवस्था का खामियाजा गरीब और आमजन को निजी अस्पतालों में ब्लड और उसके कंपोनेंट लेने के लिए अपनी जेबे ढीली करके भुगतना पड़ता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.