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सेवाभाव से हिसार ने बदली हरियाणा के प्रति सोच, परीक्षार्थी बोले- नहीं भूलेंगे यहां मिला सत्कार

जागरण संवाददाता, हिसार : यहां के लोगों से जो प्यार और सत्कार मिला है, वह ¨जदगी भर याद रहेगा। यहां आक

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 10:32 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 10:32 AM (IST)
सेवाभाव से हिसार ने बदली हरियाणा के प्रति सोच, परीक्षार्थी बोले- नहीं भूलेंगे यहां मिला सत्कार
सेवाभाव से हिसार ने बदली हरियाणा के प्रति सोच, परीक्षार्थी बोले- नहीं भूलेंगे यहां मिला सत्कार

जागरण संवाददाता, हिसार : यहां के लोगों से जो प्यार और सत्कार मिला है, वह ¨जदगी भर याद रहेगा। यहां आकर महसूस ही नहीं हुआ कि हम किसी दूसरे राज्य में परीक्षा देने आए हैं। यहां के लोगों में जो सेवाभाव व अपनापन है वह और कहीं नहीं है। यह कहना था ग्रुप-डी की परीक्षा देने यहां पहुंचे दूसरे राज्यों के परीक्षार्थियों का। शुक्रवार से ही हिसार में ग्रुप-डी के परीक्षार्थी आने शुरू हो गए थे। इनमें अधिकांश लोग दूसरे राज्यों के थे क्योंकि सेंटर दूसरे राज्य में होने के कारण वो एक या दो दिन पहले ही यहां पहुंच गए थे।

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गरीब घरों के ये छात्र होटलों में कमरा भी नहीं ले सकते थे। ये सोचकर आए थे कि दो दिन रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड या किसी शेड के नीचे रात काटनी होगी। मगर जब ये परीक्षार्थी हिसार पहुंचे तो इनकी सोच पूरी तरह से बदल गई। दैनिक जागरण के हेल्प डेस्क बूथ पर ही इनकी जो मदद की गई उससे सभी हैरान रह गए। समाजिक और धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से अतिथि देवो भव अभियान के तहत इनकी रहने से लेकर खाने-पीने तक की व्यवस्था की गई। इसके अलावा जहां तक संभव हो सकता इनकों सेंटरों तक पहुंचाने की व्यवस्था भी की। धर्मशालाओं, धार्मिक संस्थाओं और सेक्टरों के लोगों ने अपने कम्यूनिटी सेंटर तक इनके लिए खोल दिए। इन परीक्षार्थियों के मन में जो हरियाणा के लिए छवि थी वह अब पूरी तरह से बदल चुकी थी। पेपर देने के बाद रावानगी से पहले अधिकांश परीक्षार्थियों ने सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं का आभार जताया और कहा कि यहां जो प्यार मिला है वह उसके बारे में अपने गांव में जाकर बताएंगे ताकि उन लोगों को भी पता चले की हरियाणा के लोग कितने अच्छे हैं।

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बॉक्स:::

दो दिन में 99 परीक्षा केंद्रों पर थी परीक्षा ---

- कुल इतने परीक्षार्थियों को देनी थी परीक्षा - 51000

- शनिवार को इतनों ने दी परीक्षा- 22000

- रविवार को इतनों ने दी परीक्षा- 19000

यानी कुल दो दिन में 41000 परीक्षार्थियों ने दी परीक्षा ---

बाहर से आए परीक्षार्थियों ने सांझा किए अपने अनुभव

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फोटो संख्या - 204 जी और 204 एच नंदिनी।

रात के 3 बजे थे, सोच रहे थे जागरण हेल्प लाइन पर फोन नहीं उठाएंगे, लेकिन वो तो धर्मशाला में भी छोड़ कर आए:::

मैं बेटी की परीक्षा दिलवाने के लिए यहां आई थी। शनिवार रात को दो बजे ट्रेन हिसार पहुंचनी थी, लेकिन देरी के कारण 3 बजे हम यहां पहुंचे। यही था कि जैसे-तैसे रेलवे स्टेशन पर ही रात काटनी पड़ेगी। हम स्टेशन से बाहर निकले और बेटे के दोस्त द्वारा दिया गया ग्रुड डी का जागरण हेल्प लाइन नंबर डायल किया। हमें ये था कि रात को फोन नहीं उठाएंगे। लेकिन उन्होंने फोन उठाया और कहा कि स्टेशन पर हेल्प डेस्क पर हूं आप यहां आ जाओ। हम वहां गए। उन्होंने अपनी बाइक पर हमें बुधला संत मंदिर में छोड़ा। मंदिर में हमें रात को पौने चार बजे भी खाना मिला। यहां खाने से लेकर नहाने और सोने तक की सारी सुविधाएं हमें मिली। पता नहीं था कि इस शहर के लोगों में इतना अपनापन और सेवा भाव है। बेटा कभी आप भी यमुनानगर आओ तो फोन नंबर नोट कर लो हमारे घर जरूर आना।

- माला दूबे, यमुनानगर (बेटी नंदिनी को परीक्षा दिलवाने पहुंचीं)

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फोटो संख्या - 204 ई

अम्मी ने कहा था- हरियाणा जा रहे हो ध्यान से रहना, मैंने फोन कर बताया - ये तो घर जैसा है हमारे यहां आमतौर पर हरियाणा को इस नजर से देखा जाता है कि वहां अन्य राज्यों के लोगों से सही बर्ताव नहीं होता और अशांति रहती है। मेरे घरवालों को भी यही ¨चता थी। लेकिन हिसार स्टेशन पर उतरकर स्टेशन से बाहर निकलने लगे तो देखा कि वहां पर जागरण हेल्प डेस्क लगा है, जहां जानकारी लेने वालों की भीड़ थी। हमने भी वहां जाकर अपने केंद्र का पता पूछा। वहां मौजूद टीम ने हमें न केवल केंद्र का पता बताया, बल्कि उसका रास्ता और केंद्र के समीप धर्मशाला में जाकर ठहरने की बात कही। हम जाट धर्मशाला पहुंचे तो वहां पहले ही हम जैसे बहुत से परीक्षार्थी पहुंचे थे। सब जागरण की पहल और हिसार के लोगों की दरियादिली की चर्चा कर रहे थे। फिर मैंने घर पर अपनी अम्मी को फोन कर बताया कि अम्मी हम जैसा सोचते हैं हरियाणा वैसा नहीं है। हिसार के लोग हमारी आवभगत कर रहे हैं।

- आरिफ खान, परीक्षार्थी, आगरा, यूपी।

--- फोटो - 204 एफ।

चार राज्यों में परीक्षाएं दीं, ऐसी आवभगत कभी नहीं हुई, आप देश के लिए नजीर बन गए हो - मैंने आज तक कई शहरों और हरियाणा सहित चार राज्यों में परीक्षाएं दी हैं। हमें पता है कि एक परीक्षार्थी किस तरह की समस्याएं झेलता है, इसे कोई दूसरा नहीं समझ सकता। जिस ट्रेन में हम आए, उसमें इतनी भीड़ थी कि हिल भी नहीं सकते थे। स्टेशन पर उतरे तो वहां भी भारी भीड़ और सर्दी भी। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। दैनिक जागरण के हेल्प डेस्क पर मौजूद लोगों के पास गए। उन्होंने हमसे एडमिट कार्ड मांगा और परीक्षा केंद्र के नजदीक स्थल गुरूद्वारा जाने को कहा। वहां हमारी जो आवभगत हुई, वैसा हम कभी सोच भी नहीं सकते थे। खाने, नहाने, रहने आदि का पुरा प्रबंध। मेरे लिए यह पहला ऐसा अनुभव रहा जब कहीं परीक्षा देने गया और वहां के लोगों ने हमारे लिए विशेष प्रबंध कर रखे हों। इससे हमे भी दूसरों के लिए अच्छा करने की प्रेरणा मिली है।

- शोभित, परीक्षार्थी, दिल्ली।

पढि़ए...परिजनों के जागरण हेल्प लाइन पर आया धन्यवाद का संदेश - सर, नमस्कार। मैं सन्नी बोल रहा हूं रेवाड़ी से। सर मैंने आपको धन्यवाद कहने के लिए फोन किया है कि आपने हिसार में परीक्षा देने के लिए आई मेरी बहन और मां के लिए रहने और खाने का शानदार प्रबंध किया था। पिछले हफ्ते मेरा कुरूक्षेत्र में पेपर था, तो इतनी परेशानी हुई थी, जिसकी हद नहीं। इसलिए मैंने अपनी बहन को परीक्षा देने से ही इंकार कर दिया था। फिर मेरे रूम मेट सुदर्शन ने बताया कि हिसार में दैनिक जागरण वालों ने शहरवासियों के साथ मिलकर बहुत अच्छे प्रबंध किए हुए हैं। इसके बाद मैंने हेल्पलाइन पर पहले बात की थी और फिर उन्हें जाने दिया। अब वापस आकर उन्होंने बताया कि आपने उन्हें वाहनों तक की सुविधा उपलब्ध करवाई थी। तो मुझे लगा कि आपको और आपके बड़े दिल वाले शहरवासियों को धन्यवाद कहना चाहिए। धन्यवाद। --- फोटो संख्या - 204 बी

जिनकी चप्पलें घिसी हुई हों, वो 10 रुपये भी कैसे दे सकते थे..हमने उनके बैग निशुल्क रखवाए मैं अपने घर में था। पास में विश्वास स्कूल है, जिसे परीक्षा केंद्र बना रखा है। देखा कि जिनके पैरों में चप्पल भी टूटने वाली हो, उनसे दुकानदार और दूसरे लोग स्कूल के बाहर बैग व अन्य सामान रखवाने के लिए 50-50 रुपये ले रहे हैं। मैंने और पड़ौसी भीम ¨सह कादयान ने बच्चों को बुलाया और हमने अपने घर में बैग और मोबाइल रखवाने शुरू किए। हमने स्लीप बनाई, नाम लिखा और एक नंबर उन्हें दिया और एक बैग पर चिपका दिया। इस तरह से सैकड़ों विद्यार्थियों की सहायता की। बच्चों ने दिल से धन्यवाद कहा। ऐसा करने के बाद एक अलग तरह का सुकुन मिला। हम भविष्य में भी यहां होने वाली परीक्षा के दौरान लोगों की सहायता करेंगे। सेवाभाव का अपना अलग आनंद है।

- राकेश पुनियां और भीम ¨सह कादयान, अर्बन एस्टेट निवासी।

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फोटो संख्या - 204 सी

बेटा, मेरे लिए वो सेवा करना भी जरूरी है, जो अंबाला में कभी तुम्हारी हुई थी -

चार साल पहले मेरे बेटे की अंबाला में परीक्षा थी। उन्हें एक परिवार ने अपने बच्चों की तरह रखा था। हम आज भी उस परिवार के टच में हैं। तब से मुझे ऐसा था कि कभी मौका मिला तो मैं भी ऐसे ही बच्चों की सेवा करूंगा। अभियान से एक दिन पहले मेरी पत्नी की तबीयत खराब हो गई थी। उसे बेटा सफदरजंग लेकर गया। शनिवार को दोहते का एक्सीडेंट हो गया, मैंने कहा इसे भी तुम ही संभालो। बेटे ने कहा, आपको पहले इन्हें संभालना चाहिए। मैंने कहा, तुम्हारी परवरिश ही इस तरह से हुई है कि आप इन्हें संभाल लोगे। मेरे लिए वो सेवा करना भी जरूरी है, जो अंबाला में कभी तुम्हारी हुई थी।

- नानक देव, रिटायर्ड कर्मचारी संघ के मंगाली ब्लॉक के सचिव।

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उनका भी शुक्रिया, जिन्होंने अपने घर ऑफर कर दिए थे

दैनिक जागरण द्वारा शहर के सामाजिक, धार्मिक, छात्र और अन्य संगठनों के साथ मिलकर अतिथि देवो भव अभियान की शुरूआत करने के बाद शहरवासियों ने व्यक्तिगत तौर पर भी जो उत्साह दिखाया, वो काबिल ए तारीफ है। 50 से अधिक ऐसे लोगों ने दैनिक जागरण हैल्प लाइन पर फोन कर किया और अपने घर में 5,10,15 परीक्षार्थियों के ठहरने व खाने-पिने के प्रबंध की जिम्मेदारी ली। यही नहीं, युवाओं से लेकर बुजूर्गाें व पेशेवर लोगों ने भी हेल्प लाइन पर फोन कर व्यक्तिगत रूप से सेवाएं देने की इच्छा जाहिर की और उन्होंने अपनी सेवाएं दी भी। शहरवासियों के इस अपनेपन और सेवाभाव के लिए दैनिक जारगण की ओर से शुक्रिया।

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इशारों की भाषा से आदर और सत्कार, चेहरे पर मुस्कान के साथ लौटे ओडिशा से आए परीक्षार्थी शनिवार को ब्राह्मण धर्मशाला से दो लोग आए। दोनों ओडिशा से थे। यहां सेवा कार्य देख रहे जगदीश शर्मा ने उनसे बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन ¨हदी नहीं आने के कारण संवाद नहीं हो पाया। अंग्रेजी भी कम आती थी। ऐसे में दोनों तरफ से इशारों में बात हुई। खाना खिलाया गया, नहाने की व्यवस्था की गई और सोने के लिए स्पेशल रूम दिया गया। सुबह उन्हें उनके परीक्षा केंद्र पर छुड़वाया गया। जब तक वे हिसार में रहे सांकेतिक भाषा से उनकी पूरी मदद की गई। भाषाई समस्या आने के बावजूद इस तरह से हुए आदर सत्कार के बाद ओडिशा से आए परीक्षार्थी चेहरे पर मुस्कान लिए हुए वहां से लौटे।


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