ब्रेन ट्यूमर से पिता के पैरों में आई दिक्कत तो बेटे ने बना दी हाईब्रिड इलेक्ट्रिक ट्राइक, 70 किमी एवरेज क्षमता
हिसार के आदमपुर के गांव ढाणी मोहब्बतपुर के आशीष ने अपने पिता के दर्द को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक साइकिल बना दी। ट्राइक में एक हजार वाट का मोटर है जिसे मैनुअल और आटोमेटिक दोनों तरीकों से चलाया जा सकता है। ट्राइक में डिस्क ब्रेक और इंडिकेटर भी हैं
जागरण संवाददाता, हिसार: कहते हैं आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है। ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने आ चुके हैं अब एक और वाकये ने यह साबित कर दिया है। हिसार के आदमपुर के गांव ढाणी मोहब्बतपुर के आशीष ने अपने पिता के दर्द को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक साइकिल बना दी। हालांकि अब आशीष के पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन आशीष का मानना है कि पिता के दर्द ने उन्हें कुछ अलग करने को प्रेरित किया। वह अभी जीजेयू में मैकेनिकल ब्रांच से बीटेक के फाइनल ईयर के छात्र हैं। उन्होंने बताया कि पहली बार हाइब्रिड बाइसकिल बनाने के बाद यूनिवर्सिटी में उनकी पहचान साइकिलवाला के तौर पर होने लगी।
उन्होंने कहा कि उन्हें अच्छा लगता है जब लोग उन्हें कार्य के दम पर पहचानते हैं। वह अब तक करीब 25 प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं। सरकार की ओर से उन्हें पुरस्कृत भी किया जा चुका है। आशीष ने बताया कि वह तीन भाई हैं। पिता को ब्रेन ट्यूमर हो गया था, इसके बाद उनके अंग काम करने बंद करने लगे। इससे आशीष को बहुत चिंता हुई। उन्होंने तब पिता के लिए एक साइकिल बनाई थी। हालांकि 2020 में उनके पिता का स्वर्गवास हो गया। उन्होंने बताया कि उन्हें यूनिवर्सिटी के इनोवेशन सेल में भी शामिल किया गया है। अब वह हाईब्रिड इलेक्ट्रिक ट्राइक पर काम कर रहे हैं।
दो साल से कर रहे हैं काम
आशीष ने बताया कि वह हाईब्रिड इलेक्ट्रिक ट्राइक पर करीब दो साल से काम कर रहे हैं। अब तक इस प्रोजेक्ट पर करीब दो लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। इसमें शामिल ज्यादातर पार्ट्स कबाड़ से लिए गए हैं। अभी ट्राइक को और मोडिफाई कर क्लासी लुक देने की कवायद कर रहे हैं।
आशीष ने बताया कि ट्राइक में एक हजार वाट का मोटर है जिसे मैनुअल और आटोमेटिक दोनों तरीकों से चलाया जा सकता है। ट्राइक में सेफ्टी फीचर के तौर पर डिस्क ब्रेक और इंडिकेटर आदि लगाए गए हैं। इसमें लगी बैट्री करीब तीन घंटे में पूरी तरह चार्ज हो जाती है। इसे एक बार चार्ज करने के बाद 70 किमी. की यात्राा की जा सकती है। अभी इसकी टाप स्पीड 72 किलोमीटर प्रतिघंटे की है। आने वाले समय में इसमें सेंसर और जीपीएस भी लगाया जाएगा। यह ट्राइक पूरी तरफ रूफ कवर होगी, ताकि बारिश और धूप से भी बचा जा सके।
गांव में चलाते हैं परचून की दुकान
आशीष ने बताया कि वी अपने मां और दो बड़े भाइयों के साथ गांव में ही एक परचून की दुकान चलाते हैं। यहीं से परिवार का गुजारा होता है। कालेज और घर के काम से जब भी समय मिलता है वह समय अपने प्रोजेक्ट पर देते हैं। उन्होंने बताया कि उनका प्रयास है कि यह हाइब्रिड ट्राइक सामान्य लोगों के पहुंच में होगी।