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हिसार के एनआरसीई ने बनाई पशुओं के लिए कोविड वैक्‍सीन, सबसे पहले सेना के कुत्‍तों को दी डोज

एनआरसीई के विज्ञानियों द्वारा तैयार स्वदेशी पशुओं की कोविड वैक्सीन का प्रयोग पूरा हो चुका है। इसके साथ ही सबसे पहले यह वैक्सीन सेना के कुत्तों को दी गई है। आरवीसी सेंटर मेरठ में सेना के कुत्तों को कोविड वैक्सीन देकर कोराना से उनकी प्रतिरक्षा कवच तैयार किया गया है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 10:54 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 10:54 AM (IST)
हिसार के एनआरसीई ने बनाई पशुओं के लिए कोविड वैक्‍सीन, सबसे पहले सेना के कुत्‍तों को दी डोज
सेना के कुत्तों को कोविड वैक्सीन देने का कार्य पूरा, 21 दिन में डिवेलप हुई इम्युनिटी

जागरण संवाददाता, हिसार। हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के विज्ञानियों द्वारा तैयार स्वदेशी पशुओं की कोविड वैक्सीन का प्रयोग पूरा हो चुका है। इसके साथ ही सबसे पहले यह वैक्सीन सेना के कुत्तों को दी गई है। आरवीसी सेंटर मेरठ में सेना के कुत्तों को कोविड वैक्सीन देकर कोराना से उनकी प्रतिरक्षा कवच तैयार किया गया है। अब देश के कुछ चिड़िया घरों में जानवरों का यह वैक्सीन दी जानी है। जिसके लिए उच्चाधिकारियों से अप्रूवल ली जा रही है। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के प्रधान विज्ञानी डा. नवीन कुमार की मानें ताे वैक्सीन का काफी अच्छा परिणाम है। जानवरों को यह पूरी तरह से सुरक्षित करती है। यह ऐसे कुत्तों को ही दी गई है जिन्हें कोई बीमारी नहीं है। या जो कोविड-19 वायरस के संपर्क में भी नहीं आए हैं।

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कुत्ताें में दिखी एंटीबाडी

वैक्सीन लगने के बाद कुत्ताें में एंटीबाडी नजर आने लगी हैं। पूर्व में 23 कुत्तों को इस वैक्सीन को दिया गया था। जिसको लेकर उन्हें 21 दिन बाद एंटीबाडी भी नजर आईं।इस सफलता को लेकर विज्ञानियों में खुशी है। उनकी मानें तो वह देशभर में पशुओं की वैक्सीन का प्रसार करना चाहते हैं। ताकि पशुधन को कोविड-19 से सुरक्षित किया जा सके। डा. नवीन कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस जानवरों में खासकर बिल्ली प्रजाति के जानवरों में देखने को मिल चुका है। पूर्व में चेन्नई स्थित चिड़ियाघर में मृत शेर में कोविड-19 वायरस पाया गया था। जांच में पता लगा कि उसकी मौत कोविड के डेल्टा वैरिएंट से हुई थी। इस कारण उन्होंने इंसानों में आए डेल्टा वैरिएंट वायरस को निष्क्रिय कर लैब में वैक्सीन विकसित की।

-- -- एनआरसीई के डा. यशपाल सिंह ने बताया कि जूनोटिक बीमारियों को रोकने की काफी जरूरती है। कोविड-19 वायरस पहले पशुओं से इंसानों में आया फिर इंसानों से पशुओं में गया। ऐसे में इस पर नियंत्रण करना काफी आवश्यक है। इसी क्रम में हमारे विज्ञानी लगे हैं। यह वैक्सीन उसका एक उदाहरण है। इस का प्रयास आगे तेजी से कराया जाएगा


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