Lockdown : बहन के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच पाई महिला, राहगीरों से मांगती रही लिफ्ट
महिला ने कहा मेरी बहन की मौत हो गई है उसका संस्कार है। दो घंटे से यहां खड़ी हूं। कोई वाहन नहीं मिल रहा। आप मेरी मदद करें मुझे रास्ते में छोड़ दें।
डबवाली, जेएनएन। सुनिए ...भाई! आप कहां तक जा रहे हैं। मुझे रास्ते में छोड़ देना। मुझे माहूआना (श्री मुक्तसर साहिब) में जाना है। मेरी बहन की मौत हो गई है उसका संस्कार है। दो घंटे से यहां खड़ी हूं। कोई वाहन नहीं मिल रहा। आप मेरी मदद करें, मुझे रास्ते में छोड़ दें, नहीं तो मैं आखिरी बार बहन का चेहरा नहीं देख पाऊंगी।
बाइक पर सवार दैनिक जागरण संवाददाता से लिफ्ट मांगते हुए यह बात हरियाणा-पंजाब सीमा पर हाईवे किनारे अकेली खड़ी महिला ने कही जो गांव सकताखेड़ा (हरियाणा) की रहने वाली थी। खुद को सर्वजीत कौर बताते हुए महिला ने बताया कि बड़ी मुश्किल से गलियों से होते हुए बाइक से कोई यहां तक छोड़कर गया है।
उसने पूछा क्या बस नहीं जाएगी? जब उसे कोविड-19 के कारण लॉकडाउन और बस बंद होने के बारे में बताया तो महिला पीछे मुड़ गई। अब उसके सामने सवाल घर वापस पहुंचने का था। परिवार में किसी के पास निजी व्हीकल नहीं होने के कारण महिला ने आगे जाने का साहस नहीं किया।
दवा के बिना मैं मर जाऊंगा
सीमा पर हरियाणा पुलिसकर्मी ने बाइक सवार बुजुर्ग को रोक लिया। उससे पूछा कहां जा रहे हो। खुद को मिठड़ी बुधगिर निवासी सुखदेव बताते हुए ग्रामीण ने कहा कि मैं दवा लेने जा रहा हूं। ओपीडी स्लिप मांगी तो ग्रामीण ने पूरी रिपोर्ट आगे रख दी। उसने कहा कि दवा के बिना मैं मर जाऊंगा।
डॉ. बंगाली के पास दवा लेकर जा रहे हैं
मलोट हाईवे पर लगे नाके पर पंजाब पुलिस ने स्कूटी सवार महिला-पुरुष को रोक लिया। खुद की पहचान मलोट निवासी के तौर पर करवाई और बोले कि यहां एक चिकित्सक के पास दवा लेने आए थे। पुलिस ने स्लिप या दवा संबंधी पर्ची दिखाने के लिए कहा। तो वे बोले डॉ. बंगाली के पास आए थे, उनसे उपचार करवाकर वापस जा रहे हैं। महिला ने पैर पर बंधी पट्टी दिखाई तो उन्हें जाने दिया गया।