इस प्रदेश की टीम में एक ही गांव के आठ खिलाड़ी, हॉकी के लिए धड़कता हर युवा का दिल
नेशनल स्कूल गेम्स में हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों ने हरियाणा की सुविधाओं को सराहा तो आंध्रा वाले बोले- तेरी आंख्या का यो काजल गाने के बोल समझ नहीं आते मगर दिल खुश हो जाता है
हिसार [अशोक कौशिक] खेलों के चयन में आमतौर पर आज का युवा वर्ग क्रिकेट को तरजीह देता है। किंतु हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के माजरा गांव के हर युवा का दिल हॉकी के लिए धड़कता है। करीब 2000 की आबादी वाले इस गांव में अल सुबह खेल के मैदान में अभ्यास के लिए युवाओं का हुजूम उमड़ता है। खेल के मैदान के बाहर भी युवाओं मेंं ज्यादातर हॉकी से जुड़ी बातें ही होती हैं। हिसार में चल रहे 64वें नेशनल स्कूल गेम्स की हॉकी स्पर्धा में भाग लेने पहुंची अंडर-16 की 18 सदस्यीय टीम में आठ खिलाड़ी इसी गांव के है। टीम में शामिल हरपाल, बिट्टू, राहुल, सुखविंद्र, कमल सतीश, अमन, गौरव बताते हैं कि गांव की ओर से नेशनल खेल चुकी सीता गोसाई और गीता गोसाई सभी खिलाडिय़ों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
टीम में दो खिलाड़ी हरियाणवी
कहते हैं कि व्यक्ति कहीं भी हो किसी भी पद पर हो अपनी जन्मभूमि से लगाव कभी नहीं छूटता। हिमाचल प्रदेश के लिए खेल रहे हरियाणा के कैथल जिले के गांव हाबड़ी के हरपाल और अमन इस बात को सार्थक सिद्ध करते हैं। दोनों हरियाणा के लिए खेलना चाहते हैं और ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक लाना चाहते हैं। राजमिस्त्री का काम करने वाले राजकुमार का पुत्र हरपाल हिमाचल के लिए तीसरी बार किसी राष्ट्रीय स्पर्धा में भाग ले रहा है। इससे पूर्व वह 2018 में छतीसगढ़ के राजनंदगांव, असम के हौजई में भी विभिन्न स्पर्धाओं में दम दिखा चुके है। फैक्टरी कर्मी से किसान बने सेवासिंह के बेटे अमन सिंह की कहानी भी हूबहू ऐसी ही है। वह भी राजनंदगांव, रांची, हौजई में आयोजित तीन राष्ट्रीय स्पर्धाओं में प्रतिभागिता कर चुका है। अब ये दोनों खिलाड़ी हिमाचल की आेर से खेल रहे हैं।
बोले- सुविधाएं यहां थोड़ी ज्यादा है
हॉकी खिलाड़ी प्रदीप मोर को अपना आदर्श मानने वाले हरपाल और अमन हरियाणा की खेल नीति की मुक्त कंठ से सराहना करते हैं। उनका कहना है हिमाचल के खिलाडिय़ों की अपेक्षा हरियाणा के खिलाडिय़ों को सुविधाएं थोड़ी ज्यादा हैं। पर इस का अर्थ यह नहीं कि उन्हें सुविधाएं नहीं मिलती। हिमाचल प्रदेश के हॉकी टीम कोच सुरजीत सिंह ने कहा कि विभाग की ओर से तमाम व्यवस्थाएं बेहतर ढंग से की गई है। यहां की मेजबानी की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
आंध्रा वाले भी म्हारी संस्कृति के दीवाने
खान-पान और वेशभूषा के लिए देश में अलग पहचान रखने वाल हरित प्रदेश हरियाणा अब लोक गीतों के लिए भी जाना जाने लगा। यहां प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए पहुंचे आंध्र प्रदेश के खिलाड़ी यूं तो सही ढंग से हिंदी बोलने में भी सक्षम नहीं हैं किंतु हरियाणवी गीत-संगीत का नाम लेते ही उनके चेहरे पर अलग चमक आ जाती है। ओडिसा से मुकाबला संपन्न होने के बाद एन यशवंत, दिनेश वेड्डी और पी यशवंत के चेहरे पर हार की शिकन साफ झलक रही थी। किंतु जब उनसे दौरे के अनुभवों को लेकर पूछा गया तो सबने एक सुर में कहा-एवरी थिंग इज फाइन, वी विल कम अगेन एंड अगेन हियर। उन्होंने हरियाणवी गीत 'तेरी आख्यां को यो काजल' गुनगुनाते हुए कहा कि उन्हें अर्थ नहीं पता फिर भी वो इस गीत को सुनकर मस्ती का अनुभव करते हैं।