कोरोना मरीजों पर हेपेटाइटिस सी की दवाओं का होगा ट्रायल, रोहतक पीजीआई को मिली अनुमति
रोहतक पीजीआइ में हेपेटाइटिस सी की दवाओं का कोरोना मरीजों पर ट्रायल किया जाएगा। 170 मरीजों पर ट्रायल के लिए चार चिकित्सकों की टीम बनाई गई है।
रोहतक, जेएनएन। कोविड के मरीजों पर अब काले पीलिया (हेपेटाइटिस) की दवा का प्रयोग किया जाएगा। दवा के ट्रायल के लिए अनुमति मिलने के बाद पीजीआइ में चार चिकित्सकों की टीम ट्रायल के लिए तैयार की है। बायरैक की ओर से ट्रायल के लिए करीब 86 लाख रुपए का फंड जारी कर दिया है। माना जा रहा है कि उक्त दवाएं बड़े स्तर पर कोरोना के मरीजों को राहत देंगी। फिलहाल इन दवाओं को देशभर में सरकार की ओर से हेपेटाइटिस सी के मरीजों को फ्री उपलब्ध कराया जा रहा है।
पंडित बीडी शर्मा हेल्थ यूनिवर्सिटी कुलपति डा. ओपी कालरा ने बताया कि कोरोना के खात्म के लिए विश्व भर में विभिन्न दवाओं का ट्रायल कोरोना संक्रमित मरीजों पर किया जा रहा है। अभी तक ऐसी कोई भी दवाई सामने नहीं आई है, जिसे चिकित्सकों ने कोरोना के लिए पूरी तरह से कारगर पाया है।
रेमेडेसिविर और टॉसिलीजुमाब के ट्रायल के बाद अब हेपेटाइटिस सी की दवाओं (सोफोसुब्यूविर, डेक्लात्साविर) के ट्रायल के लिए अनुमति मिल गई है। ट्रायल के दौरान सीएसआइआर पूना की नेशनल केमिकल लैब और निजी लैब के साथ ही रीजनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी फरीदाबाद को ट्रायल की जिम्मेदारी दी गई है। इस दौरान स्टेट कोविड नोडल ऑफिसर डा. ध्रुव चौधरी के साथ फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डा. एमसी गुप्ता, वीआरडी लैब इंचार्ज डा. परमजीत सिंंह गिल को टीम में शामिल करते हुए ट्रायल की जिम्मेदारी दी गई है।
कोरोना के मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए मल्टीडिसीप्लेनरी टीम का गठन किया गया है। जिसमें संस्थान में करीब दर्जन भर सीनियर चिकित्सक शामिल हैं जो हर दिन दो घंटे की बैठक कर हर मरीज का हाल पता कर उसके इलाज के बारे में चर्चा करते हैं।
गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष ने 1500 मरीजों पर किया था रिसर्च
पीजीआइ के गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डा. प्रवीण मल्होत्रा ने कोविड शुरू होने के बाद हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त करीब डेढ़ हजार मरीजों से फोन पर बात की थी। इस दौरान उन्होंने पाया था कि हेपेटाइटिस सी की दवाई लेने वाले किसी भी मरीज को कोविड संक्रमण नहीं हुआ। जिसके चलते उन्होंने उच्चाधिकारियों से आह्वान किया था कि उक्त दवाई का अग्रिम परीक्षण किया जाना आवश्यक है, क्योंकि यह दवाई देश भर में मरीजों को फ्री उपलब्ध कराई जा रही है और इसके साइड इफेक्ट भी काफी कम हैं।
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