एचएयू सोलर ग्रीनहाउस प्रकरण: कंपनी ने सिर्फ ढ़ांचा खड़ा किया, चेतावनी पर ईमानदार अफसर को हटाया
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सोलर ग्रीन हाउस के निर्माण में नियमों की अनदेखी इस कदर हुई है कि बड़े-बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों ने भी नजरअंदाज किया है।
हिसार, जेएनएन। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सोलर ग्रीन हाउस के निर्माण में नियमों की अनदेखी इस कदर हुई है कि बड़े-बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों ने भी नजरअंदाज किया है। एस्ट्रोन सोलर पॉवर प्राइवेट लिमिटेड ने काम के नाम पर सिर्फ ढांचा खड़ा किया है। इस मामले को देखकर ऐसा लगता है कि यह खेले कागजों में नहीं बल्कि हकीकत जानते हुए किया गया है। क्योंकि विवि में जिस जगह यह प्लांट लगा हुआ है वहां सिर्फ कुछ खंबे और शटरिंग ही लगी है। इस प्लांट के पास से विवि के अधिकारी लगभग हर दिन ही गुजरते हैं।
यहां वास्तविक स्थिति देखने के बाद कोई भी दूसरा अधिकारी यह गलती नहीं करता कि महज ढ़ांचा खड़ा करने पर ही कंपनी पर इतना विश्वास कर लेता कि उसके पक्ष में करोंड़ों रुपये का भुगतान कर दे। हैरानी की बात तो यह है कि जिस अधिकारी ने चाहा कि कंपनी को भुगतान नियमों के विपरीत है आगे चलकर उसी अधिकारी को पद से हटा कर उसके विभाग में भेज दिया गया।
इस पूरे प्रकरण में कमेटी ऐसे है जिम्मेदार
इस मामले की पड़ताल से ऐसा ही पता लगता है कि सोलर ग्रीन हाउस को बनवाने और निगरानी के लिए जिस कमेटी को जिम्मेदारी दी गई थी उन अधिकारियों ने आंख बंद कर के हस्ताक्षर कर कंपनी के पक्ष में भुगतान करने के आदेश दे दिए। इस कमेटी में कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के डीन डा. आरके झोरण, डीएसडब्ल्यू डा. डीएस दहिया, वानिकी विभाग के हैड डा. आरएस ढिल्लों, सब्जी विज्ञान में प्रोफेसर डा. एके भाटिया, सहायक वैज्ञानिक डा इंदु अरोड़ा, बागवानी विभाग से सहायक वैज्ञानिक डा. राजपाल दलाल, सहायक वैज्ञानिक डा. अरबिंद मलिक, वानिकी विभाग से सहायक वैज्ञानिक डा. केएस अहलावत सहित अन्य अफसर शामिल हैं।
वह ईमानदार अफसर जिसने कंपनी को भुगातन का किया विरोध
सूत्रों की मानें तो इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा जिम्मेदारी और ईमानदारी का काम तत्कालीन स्टोर परचेज अफसर डा. आरएस बेनिवाल ने किया। जिन्होंने शुरुआत से ही कंपनी को भुगतान देने का लिखित रूप से विरोध किया। यहां तक कि सभी अधिकारियों ने पेमेंट की फाइल पर हस्ताक्षर भी कर दिए मगर डा. बेनीवाल ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। कंपनी ने दूसरी बार दो करोड़ रुपये की डिमांड की इस बार तो डा. बेनीवाल ने बैंक तक को इस बाबत भुगतान न करने को लेकर लिख दिया, ताकि सरकारी धन का कोई दुरुपयोग न कर सके। कंपनी को भुगतान कराने के लिए लोग इतने आतुर थे कि बाद में डा. बेनीवाल को उनके विभाग भेज दिया। हालांकि इस मामल पर डा. बेनीवाल अभी चुप हैं।
टिश्यू कल्चर लैब का काम पूरा
जहां एक तरफ सोलर ग्रीन हाउस का ढ़ांचा ही खड़ा है तो इसे समीप ही टिश्यू कल्चर लैब बना रही नई दिल्ली की सवीर बॉयोटेक लिमिटेड ने अपना काम पूरा भी कर लिया है। कोविड के कारण छोटे मोटे काम शेष रह गए हैं। जल्द ही यह कंपनी उन कार्यों को पूरा कर विवि को यह प्रोजेक्ट हैंडओवर करने की कंडीशन में होगी। जबकि इसके दूसरी तरफ सोलर ग्रीन हाउस प्रोजेक्ट में महज ढ़ांचा खड़ा हुआ है।