Move to Jagran APP

Haryana Weather News: हरियाणा में इस बार साक्लोनिक सर्कुलेशन से हुई है ज्‍यादा बारिश, अभी भी आसार

हरियाणा में 500 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है। इस आंकड़े को छूने में सबसे अधिक मदद साइक्लोनिक सर्कुलेशन से मदद की है। लगातार साइक्लोनिक सर्कुलेशन के प्रभाव के चलते वेदर सिस्टम ऐसा बना कि बारिश हुई।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 11:03 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 11:03 AM (IST)
Haryana Weather News: हरियाणा में इस बार साक्लोनिक सर्कुलेशन से हुई है ज्‍यादा बारिश, अभी भी आसार
हरियाणा में 21 सितंबर तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील संभावित है।

जागरण संवाददाता, हिसार। दक्षिण पश्चिम मानसून के आंकड़ों को देखें तो हरियाणा में 500 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है। इस आंकड़े को छूने में सबसे अधिक मदद साइक्लोनिक सर्कुलेशन से मदद की है। लगातार साइक्लोनिक सर्कुलेशन के प्रभाव के चलते वेदर सिस्टम ऐसा बना कि बारिश हुई। जून से लेकर सितंबर तक एक अगस्त को निकाल दें तो साइक्लोनिक सर्कुलेशन आठ से 10 बार बना है। कभी राजस्थान पर तो कभी पंजाब से लगते क्षेत्र पर साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण बारिश हुई।

loksabha election banner

21 सितंबर तक रुक रुककर बारिश होने की संभावना

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि हरियाणा में 21 सितंबर तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील संभावित है। 17 सितंबर के आसपास राज्य में कुछ एक स्थानों पर बारिश होने की संभावना है। वहीं 18 से 21 सितंबर के बीच ज्यादातर स्थानों पर गरज चमक के साथ बारिश होने की संभावना है।

हरियाणा के टाप बारिश वाले जिलों का पिछली बार के मानसून से तुलना

पिछले दक्षिण पश्चिम मानसून में झज्जर में सामान्य से तीन फीसद कम बारिश हुई थी जबकि इस बार 99 फीसद बारिश दर्ज की गई है। इसी प्रकार फतेहाबाद में पिछले साल दो फीसद अधिक बारिश हुई जबकि इस बार 74 फीसद अधिक बारिश हुई है। वहीं सोनीपत में 11 फीसद बारिश पिछली बार कम हुई थी जबकि इस बार 71 फीसद अधिक बारिश हुई है। इसी प्रकार कैथल में 35 फीसद बारिश दर्ज की गई थी जबकि इस बार 70 फीसद अधिक बारिश हुई है।

फसलों पर बारिश का प्रभाव

धान - अगेती बिजाई करने वाले किसानों को धान में नुकसान हाेता दिख रहा है। वहीं पछेती बिजाई में बारिश काफी फायदेमंद है।

कपास- इस बारिश में टिंडे गल रहे हैं और फूल भी काफी प्रभावित हुए हैं। ऐसे में कपास में भारी नुकसान है।

बाजरा- अभी तक तो अधिक नुकसान नहीं है, मगर आगे लगातार बारिश हुई तो इस फसल में भी नुकसान हो सकता है।

मूंग- इस फसल में अधिक नुकसान हुआ है। फलियों पर पानी पड़ने से यह काली हो जाती है। इसके साथ ही कीटों का प्रभाव भी यह सफल झेल रही है।

ग्वार - इस फसल में अंगमारी बीमारी नमी के कारण आ रही है। इस सफल में भी बारिश का नुकसान है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.