गुरु जंभेश्वर महाराज ने दी जीवन में श्रेष्ठ कर्म करने की शिक्षा : बिश्नोई
उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण एवं जांभोजी दोनों मनुष्य के चरित्र विकास पर बल देते हैं जिससे वह हमेशा प्रसन्न रह सके। श्री कृष्ण जहां व्यक्ति को संघर्ष करने व हक के लिए लड़ने की प्रेरणा से भर देते हैं वहीं गुरु जंभेश्वर महाराज व्यक्ति को अच्छे कर्म करके जीवन को इतना श्रेष्ठ बनाने पर बल देते हैं कि आपका व्यक्तित्व अनुकरणीय हो जाए।
जागरण संवाददाता, हिसार : श्री गुरु जंभेश्वर भगवान के 570वें जन्मोत्सव व जन्माष्टमी महोत्सव पर स्थानीय बिश्नोई मंदिर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि अगर हम आपाधापी छोड़कर श्री कृष्ण एवं गुरु महाराज के जीवन दर्शन पर चंद कदम भी चलें तो हम जीवन में संपूर्णता पा सकते हैं, शांति पा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण एवं जांभोजी दोनों मनुष्य के चरित्र विकास पर बल देते हैं, जिससे वह हमेशा प्रसन्न रह सके। श्री कृष्ण जहां व्यक्ति को संघर्ष करने व हक के लिए लड़ने की प्रेरणा से भर देते हैं, वहीं गुरु जंभेश्वर महाराज व्यक्ति को अच्छे कर्म करके जीवन को इतना श्रेष्ठ बनाने पर बल देते हैं कि आपका व्यक्तित्व अनुकरणीय हो जाए।
उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण एवं जांभोजी महाराज के दिखाए आदर्शो का मूल भाव एक ही रहता है कि मनुष्यता का विकास किया जाए व धर्म को मनुष्य के जीवन के आचरण में ढाला जाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता फतेहाबाद के विधायक दुड़ाराम ने की। उन्होंने कहा कि गुरु जंभेश्वर भगवान ने 29 नियमों की आचार संहिता सभी के लिए मानवता की भलाई के लिए दी थी। इस दौरान बिश्नोई सभा हिसार, बिश्नोई सभा मंडी आदमपुर, फतेहाबाद, रतिया, टोहाना, मंडी डबवाली, भिवानी, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, दिल्ली सभा सहित कर्मचारी कल्याणी समिति, सेवक दल, युवा संगठन के प्रधान एवं अन्य पदाधिकारियों ने कुलदीप बिश्नोई को बिश्नोई रत्न मिलने पर उन्हें पगड़ियां, शॉल, स्मृति चिह्न देकर उनका स्वागत किया।
सदियों से बिश्नोई समाज पर्यावरण का समझता है महत्व
विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पर्यावरण को बचाने के लिए बहस छिड़ी हुई है, जबकि हमारे इतिहास पर अगर दुनिया नजर दौड़ाए तो साफ हो जाता है कि सदियों से बिश्नोई समाज जीवों व पर्यावरण का महत्व समझता आ रहा है। उस दौर में पेड़ों के प्रति हमारे समाज का लगाव इतना अधिक था जो मानते थे कि सिर सांचे रूंख रहे तो भी सस्ता जाणियो यानि सिर कटने से पेड़ बचता है तो भी सस्ता मानो। अमृता देवी सहित 363 नर नारियों के महान बलिदान को हमारा समाज तो क्या दुनिया में जो भी सुनेगा उसे कभी भूला नहीं पाएगा। इस दौरान मुकाम पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद, स्वामी सच्चीदानंद, पूर्व सांसद रामजीलाल, पूर्व विधायक जसमा देवी, जगदीश कड़वासरा प्रधान, सहदेव कालीराणा, रणधीर पनिहार, हनुमान गोदारा, सुभाष देहडू, राजाराम खिचड़, मनोज टोहाना, अमर सिंह मांझू, श्रीमती प्रोमिला भांभू, मानसिंह चेयरमैन आदि उपस्थित थे।