गुरनाम चढूनी बोले, संयुक्त किसान मोर्चा में कई गड़बड़ी वाली बातें, लेकिन आंदोलन न टूटे इसलिए चुप हूं
संयुक्त किसान मोर्चा की आम बैठक से बाहर किए जाने के मामले से आंदोलन में खड़े हुए विवाद पर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी अभी भी मुखर ही बने हुए हैं। पंजाब की 32 जत्थेबंदियां उनके निशाने पर हैं।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : पंजाब के चार संगठनों को संयुक्त किसान मोर्चा की आम बैठक से बाहर किए जाने के मामले से आंदोलन में खड़े हुए विवाद पर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी अभी भी मुखर ही बने हुए हैं। पंजाब की 32 जत्थेबंदियां उनके निशाने पर हैं। एक दिन पहले संयुक्त मोर्चा की बैठक का बहिष्कार कर चुके चढूनी ने अब वीडियो जारी करके कहा है कि संयुक्त मोर्चा में कई ऐसी बातें चल रही हैं, जिनसे आगामी दिनों में गड़बड़ी हो सकती है, लेकिन आंदोलन न टूटे इसलिए उन बातों को अभी वे सार्वजनिक करने से बच रहे हैं। चढूनी ने दोहराया कि पंजाब के चार संगठनों को बैठक से महज इसलिए निकाला गया, क्योंकि ये संगठन उनके (चढूनी) नेतृत्व में जत्था लेकर आए थे।
ऐसे में जब इन संगठनों का बैठक में अपमान किया गया तो वहां पर चुप रहना मेेरे स्वाभिमान के खिलाफ था। गुरु गोविंद सिंह ने भी कहा है कि अन्याय के आगे सिर नहीं झुकाना चाहिए, इसलिए मैं भी बैठक से बाहर आ गया। चढूनी का कहना है कि पंजाब की जो 32 जत्थेबंदियां हैं, वे भले ही अपनी अलग मीटिंग करें और उसमें किसी और संगठन को शामिल करें या न करें, उनकी मर्जी। मगर जब सभी संगठनों की बैठक हो रही थी और उसमें से चार संगठनों को बाहर करना और वह भी गलत तरीके से, तो यह बर्दाश्त नहीं हो सकता। चढूनी का कहना है कि जब आम बैठक होती है तो उसमें कब्जा करने के लिए एक संगठन से कई-कई सदस्यों काे शामिल कर लिया जाता है। बाद में तानाशाही फैसले लिए जाते हैं, इसे सहन करना हमारी प्रवृत्ति में नहीं है।
शुरू से चल रहा है चढूनी व पंजाब के संगठनों के बीच द्वंद्व :
दरअसल, आठ माह से कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन में गुरनाम चढूनी और पंजाब के संगठनों के बीच तकरार शुरूआत से ही चल रही है। दिसंबर 2020 में ही गुरनाम चढूनी को टीकरी बार्डर के मंच पर पंजाब के संगठनों ने बोलने से रोक दिया था। इस पर बहस हुई थी। चढूनी नाराज हो गए थे और कई महीनाें तक टीकरी बार्डर पर नहीं आए। अब कुछ दिन पहले उन्होंने पंजाब मिशन की बात कही तो इस पर उन्हें एक सप्ताह के लिए संयुक्त मोर्चा से निलंबित कर दिया गया था। कुछ दिनों पहले टीकरी बार्डर कमेटी ने भारतीय किसान यूनियन (घासीराम नैन) के अध्यक्ष जोगेंद्र नैन काे भी एक महीने के लिए निलंबित कर दिया था। इन मामलों को आंदोलन में हरियाणा के नेताओं की उपेक्षा माना जा रहा है।