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लीवर टॉनिक व डाइबिटीज में फायदेमंद गुड़मार के पत्ते, और भी कई रोगों में है कारगर

गुड़मार (Gymnema sylvestre) के पत्ते कई बीमारियों के लिए लाभकारी हैं। इसके पत्ते डायबिटीज व लिवर रोगियों के लिए तो फायदेमंद हैं ही। साथ ही साथ यह पेचिश बुखार पेट दर्द आदि में भी उपयोग किया जा सकता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 11:10 AM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 11:10 AM (IST)
लीवर टॉनिक व डाइबिटीज में फायदेमंद गुड़मार के पत्ते, और भी कई रोगों में है कारगर
बीमारियों के लिए रामबाण गुड़मार। फाइल फोटो

जेएनएन, हिसार। मधुमेह (Diabetes) की बीमारी भारत में तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही लिवर से संबंधित समस्याएं भी चिकित्सकों के लिए बड़ी चिंता का विषय बनी हुई हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं में लिवर से संबंधित अधिक समस्याएं सामने आ रही हैं। इन दोंनों की समस्याओं के लिए गुड़मार (वानस्पतिक नाम : Gymnema sylvestre) के पत्ते लाभदायक हैं, इसीलिए गुड़मार को मधुमेह का दुश्मन और लिवर का टॉनिक कहा जाता है।

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एचएयू (CCS Haryana Agricultural University) के औषधीय, सुगंध एवं क्षमतावान फसलें संभाग की मानें तो इसे औषधि के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं। सिर्फ मधुमेह या लिवर ही नहीं डायरिया, पेचिश, पेट दर्द आदि में उपयोग किया जा सकता है। खास बात है कि गुड़मार के पत्ते ही नहीं, बल्कि इसकी जड़ों से भी काफी फायदे होते हैं। इसकी जड़ों का प्रयोग वात रोग, पुराने बुखार में काफी लाभदायक होता है। गुड़मार की खेती कर किसान इसे निर्यात कर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में लगातार इसका निर्यात बढ़ रहा है।

कौन से तत्व गुड़मार को बनाते हैं दवा

इसमें शर्करा विरोधी तत्वों जिमनेमिक एसिड एबीसी की वजह से इसमें औषधीय गुड़ है। गुड़मार एक बेलनुमा पौधा है, यह एक काष्ठयुक्त रोएंदार लता है। जिस पर पीले भड़कीले फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसकी पत्तियां 5 से 7 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। इसके पत्ते चबाने से मुंह का स्वाद थोड़ी देर के लिए समाप्त हो जाता है, इसलिए इसे गुड़मार कहा जाता है।

कहां उगा सकते हैं

इसे हर प्रकार की मिट्टी में देश में कहीं भी उगाया जा सकता है। इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी जिसकी जल निकासी अच्छी हो की अधिक आवश्यकता है। अभी इसकी खेती जंगलों में से एकत्रित किए गए पौधों से ही की जाती रही है। इसे बीज व कलम दोनों से लगाना संभव है। इसके ताजा बीज जनवरी माह में एकत्रित किए जाते हैं। इसके बाद इन्हें नर्सरी में 10 बाई 10 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है। इसमें लगभग सप्ताहभर के बाद अंकुरण शुरू हो जाता है। जब नर्सरी में पौधों की ऊंचाई 15 सेंटीमीटर हो जाए तो उन्हें पॉलीथिन में लगा देना चाहिए। इसकी कलम लगाने के लिए फरवरी मार्च तथा सितंबर अक्टूबर का समय उचित होता है। बेलनुमा पौधा होने के कारण इसके लिए बांस या किसी सहारे की आवश्यकता होती है।

प्रति एकड़ 12 क्विंटल होती है पैदावार

गुड़मार के पत्तों की औसत उपज 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ आंकी गई है। इसके पत्ते वर्ष बाद तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। पत्तों को अक्टूबर से फरवरी तक तोड़कर साफ करने के बाद छाया में सुखाएं। जड़ों को अप्रैल मई में उखाड़ना चाहिए। जड़ों को धोकर साफ करते छोटे-छोटे भागों में बांटकर सुखाना चाहिए। इसको प्लास्टिक के थैलों में रख सकते हैं।

इसके लिए यह होगा सिंचाई प्रबंधन

गुड़मार की खेती के लिए लगभग 5 टन प्रति एकड़ गोबर की गली सड़ी खाद पर्याप्त रहती है। इसे अधिक पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती, गर्मी के दिनों में 15 दिन में तो सर्दी में 25 दिन में सिंचाई करनी चाहिए। पौधे लगाने के 25 दिन बाद पहली गुड़ाई तथा दूसरी गुड़ाई 30 दिन बाद करनी चाहिए।

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