टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में बढ़ रही समस्याएं, मूलभूत सुविधाओं का भी चल रहा अभाव
आंदोलनस्थल पर बिजली-पानी का अभाव तो काफी समय से चल रहा था। बारिश होने के बाद सड़क टूटने से बने गड्ढों में पानी ठहर रहा है। साथ ही आसपास भी गंदा पानी जमा है। ऐसे में आंदोलन स्थल पर मच्छरों की भरमार हो गई है।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर साढ़े आठ माह से चल रहे आंदोलन में समस्याएं बढ़ रही हैं। मूलभूत सुविधाओं का अभाव काफी हो चला है। बिजली-पानी का अभाव तो काफी समय से चल रहा था। बारिश होने के बाद सड़क टूटने से बने गड्ढों में पानी ठहर रहा है। साथ ही आसपास भी गंदा पानी जमा है। ऐसे में आंदोलन स्थल पर मच्छरों की भरमार हो गई है। कोरोना से भले ही आंदोलन स्थल पर भय का माहौल न बना हो लेकिन मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों को लेकर किसान नेता चिंतित हैं।
उन्हें डर सताने लगा है कि अगर मच्छरों की वजह से आंदोलनकारी बीमार पड़ने लगे तो यहां भीड़ और भी कम हो जाएगी। आंदोलन में किसानों की संख्या पहले ही कम है। अगर मच्छरों की वजह से बीमारी बढ़ने लगी तो यह संख्या और भी कम होने की संभावना है। अब मेडिकल कैंपों की संख्या भी कम है। एेसे में आंदोलनकारियों की चिकित्सा जांच भी कम ही हो गई है। इसी के चलते किसान नेता लगातार फोगिंग की मांग प्रशासन से कर रहे हैं। पहले तो आंदोलन में कई तरह के संगठन फोगिंग करते रहते थे। दवाई का भी स्प्रे करते थे।
मच्छरदानी भी वितरित की गई थी लेकिन बारिश व तूफान में मच्छरदानी फट चुकी हैं। उसके बाद यहां पर कोई दानवीर मच्छरदानी ही नहीं आंदोलनकारियों के लिए जरूरतमंद का कोई अन्य सामान भी देने नहीं आया है। हालांकि किसान संगठनोंकी ओर से बार-बार इंटरनेट मीडिया के माध्यम से मांग की जा चुकी है लेकिन अब बहुत कम ही लोग यहां पर जरूरत का सामान लेकर पहुंच रहे हैं।
ऐसे में आंदोलनकारी खुद ही अपनी-अपनी जरूरत अनुसार बाजार से सामान खरीदकर ला रहे हैं। इस कारण बहुत से आंदोलनकारी अब गांव लौट गए हैं। किसान नेता परगट सिंह ने बताया कि आंदोलन स्थल पर कई तरह की समस्याएं हैं। बिजली-पानी प्रशासन पर्याप्त मात्रा में मुहैया नहीं करा रहा है। सफाई नहीं हो रही है। बारिश के बाद मच्छर ज्यादा हो गए हैं। ऐसे में उन्होंने प्रशासन से फोगिंग कराने की मांग की है।