संयुक्त किसान मोर्चा व हरियाणा के संगठनों में बढ़ रही दूरियां, कई और नेताओं पर हो सकती है कार्रवाई
आंदोलन में हरियाणा के किसान संगठनों और संयुक्त किसान माेर्चा के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। आंदोलन में पक्षपात व मनमानी का आरोप लगा रहे हरियाणा के संगठन अब और मुखर होने लगे हैं। शुरूआत से हरियाणा के किसानों की जो उपेक्षा हो रही है उससे वो नाराज हैं
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में हरियाणा के किसान संगठनों और संयुक्त किसान माेर्चा के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। आंदोलन में पक्षपात व मनमानी का आरोप लगा रहे हरियाणा के संगठन अब और मुखर होने लगे हैं। शुरूआत से हरियाणा के किसानों की जो उपेक्षा हो रही है, उस अपमान का घूंट पीकर बैठे हरियाणा के आंदोलनकारियों पर एक-एक करके अब कार्रवाई भी होने लगी है। चर्चा है कि अनुशासन का हवाला देकर हरियाणा के कई और किसान नेताओं पर कार्रवाई हो सकती है। पिछले दिनों टीकरी बार्डर पर भाकियू घासीराम के अध्यक्ष जोगेंद्र नैन को एक माह के लिए निलंबित किए जाने के बाद अब चार नेताओं पर कार्रवाई हाेने की संभावना जताई जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक इन चार नेताओं द्वारा कई दिनों से आंदोलन के नेतृत्व को लेकर लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। इनका कहना है कि जहां संयुक्त किसान मोर्चा को सचेत होना चाहिए था, वहां पर सजगता नहीं दिखाई गई। जिन राज्यों में किसानों को एमएसपी न के बराबर है, वहां पर संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन को पहुंचा नहीं पाया। अब तो यह आंदोलन तीन-चार राज्यों तक ही सीमित होकर रह गया। इसके पीछे नेतृत्व की कमी है। हरियाणा के इन किसान नेताओं का आरोप है कि पंजाब के आंदाेलनकारी अपना एक एजेंडा लेकर आए हैं।
वे तो इस आंदोलन को लंबा खींचकर कम से कम मार्च 2022 तक तो लेकर जाना ही चाहते हैं। पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनाव को केंद्र में रखकर इस तरह की कोशिश की जा रही है कि आंदोलन लंबा चले। जबकि इस आंदोलन का उद्देश्य किसी को हराना नहीं बल्कि किसानों के लिए उनके हक प्राप्त करना है। हरियाणा के नेताओं का कहना है कि अब कुछ समय से आंदोलन अपने उद्देश्य से भटक चुका है। संयुक्त किसान मोर्चा इससे पहले गुरनाम चढूनी और रलदू मानसा को भी निलंबित कर चुका है।