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गुणों का खजाना हैं सरसों का साग, कई तरह के कैंसर करता है बचाव, ये भी हैं फायदे

सरसों मैग्नीशियम से भरपूर होती है। सरसों में सेलेनियम भी होता है। यह एंटी इन्फ्लैमटरी होते हैं जो गठिया में राहत दिलाता है। सरसों मांसपेशियों को गर्माहट देने का काम करता है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 11:27 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 11:53 AM (IST)
गुणों का खजाना हैं सरसों का साग, कई तरह के कैंसर करता है बचाव, ये भी हैं फायदे
गुणों का खजाना हैं सरसों का साग, कई तरह के कैंसर करता है बचाव, ये भी हैं फायदे

भिवानी/ढिगावा मंडी [मदन श्योराण] खान-पान के लिए प्रसिद्ध हरियाणा के लोग सर्द मौसम में सरसों के साग का जायका लेना नहीं भूलते। खासकर गांवों में तो घर-घर सुबह-शाम बाजरे की रोटियों के साथ सरसों के साग और लस्सी को भोजन में प्राथमिकता दी जाती है। सवेरे-सवेरे खेत-क्यार की ओर जाने वाले हाली-पाली यह भोजन कलेवे (नाश्ते) के रूप में भी खाकर जाते हैं। दिनभर वहां काम करने के बाद शाम को पशुओं के लिए चारा आदि काटकर रेहड़ू-गाड़ी में डाल लेते हैं।

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इसके साथ ही खेत में उगी सरसों की फसल से कच्चे डांठल तोड़कर सब्जी के लिए ले जाना नहीं भूलते। इतना ही नहीं, एक खेती-किसानी करने वाला परिवार अपने आस-पड़ोस या शहर में रहने वाले परिचितों तक भी इन्हें पहुंचाते हैं। जिस तरह से पूरे सर्द मौसम में यहां के लोग बाजरे की खिचड़ी, बाजरा-मक्के की रोटी का

आनंद लेते हैं, उसी तरह से सरसों का साग भी उनकी पहली पसंद रहता है। वैसे तो प्रदेश के कई हिस्सों में सरसों की फसल प्रमुख रूप से उगाई जाती है, पर यहां हम राजस्थान सीमा के साथ लगते जिला भिवानी के गांव अमीरवास के खेतों का खासतौर से जिक्र कर रहे हैं। यहां पर भी कई किसानों ने सरसों की फसल उगाई हुई है।

ये हैं फायदे

सरसों मैग्नीशियम से भरपूर होती है।इसके साथ ही सरसों में सेलेनियम भी होता है। यह एंटी इन्फ्लैमटरी होते हैं, जो गठिया में राहत दिलाता है। सरसों मांसपेशियों को गर्माहट देने का काम करती है। इसलिए सर्दी के मौसम में इसके साग का सेवन स्वास्थ्य के लिहाज से अत्यंत लाभकारी होता है। अगर आप कोलेस्ट्रॉल के बढ़े स्तर से परेशान हैं, तो इसको नियंत्रित करने में भी सरसों मददगार साबित हो सकती है। सरसों में विटामिन बी-3 होता है। इसमें नियासिन भी होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मददगार है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सरसों काम की चीज है। असल में सरसों में आयरन, कॉपर और मैंगनीज जैसी धातुएं हैं, जो इम्यून पावर को बढ़ाने का काम करते हैं।

सरसों का साग बनाने की सामग्री और विधि

सरसों का साग बनाने के लिए सरसों की कच्ची पत्तियों व डंठलों की जरूरत होती है। इसके साथ ही तड़का लगाने के लिए जरूरतानुसार नमक, हल्दी, प्याज, टमाटर, लहसून, घी या तेल भी चाहिए। विधि की बात करें तो सरसों के ठंडलों व पत्तियों को किसी बर्तन में पानी में डालकर उबाला जाता है। इसमें सरसों के हरे पत्तों के साथ बथुआ और पालक भी डाला जाता है। मध्यम आंच पर उबालने के बाद चूल्हे से उतार लिया जाता है। उबली हुई सामग्री को थोड़ा-थोड़ा करके हाथों से दबाकर उससे पानी अलग कर दिया जाता है।  अलग की गई सामग्री को मिर्च-मसालों की सहायता से तड़का लगाकर तैयार कर लिया जाता है।

कैंसर से होता है बचाव

एसएमओ डा. गौरव चतुर्वेदी ने बताया की सरसों के साग में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। ये न केवल शरीर को डीटॉक्सिफाई करते हैं, बल्कि शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ाते हैं। इसके सेवन से ब्लैडर, पेट, ब्रेस्ट, फेफड़े, प्रोस्टेट और ओवरी के कैंसर से बचाव में मदद मिलती है। सरसों के साग में कैल्शियम और पोटैशियम अच्छी मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसे खाने से स्फूर्ति मिलती है, इसलिए खाने वाले को रंगत सी आ जाती है। सरसों की फसल तीन स्तर पर फलती-फूलती है। पहले कच्ची ठंडलों वाली, फिल फूलों वाली व अंत में फलियों वाली। फूल आने पर यह साग के लायक नहीं रहती।

आंखों की रोशनी के लिए लाभकारी

सरसों के साग में विटामिन ए काफी मात्रा में होता है, जो आंखों की मासंपेशियों को कई तरह की क्षति से बचाता है व आंखों की रोशनी बढ़ाता है।  लोहारू उपमंडल के खंड कृषि अधिकारी डा. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि भारत देश में सबसे ज्यादा सरसों बिजाई उत्तरी भारत में होती है। हरियाणा में लगभग 15 लाख 22 हजार 500 एकड़ जमीन पर सरसों बिजाई की गई है। गांवों में लोग इसे हरी सब्जी के रूप में उपयोग करते हैं। बाजरा व लस्सी में फास्फोरस व कैल्शियम की मात्रा ऊर्जा प्रदान करती है।

हृदय संबंधी रोग से भी करता है बचाव

सरसों का साग सेहत के लिए अत्यंत फायदेमंद है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इससे हमारे शरीर में कार्डियोवास्कुलर (हृदयसंबंधी) रोगों की आशंका घटती है। इसमें फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है जो शरीर की मेटाबॉलिक क्रियाओं को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं इसके सेवन से पाचन क्रिया भी अच्छी रहती है और वजन को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।


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