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1973 में भारत को हॉकी वर्ल्‍ड कप जिताने वाले गोविंदा बोले- 50 साल में बदल गया हॉकी का स्वरूप

गोविंदा ने कहा कि पहले खेल मैदान में खिलाड़ी ताकत और कला दोनों का प्रदर्शन करता था। वहीं अब खेल में तेजी और टेक्निक नजर आती है। एस्टोटर्फ ने खेल को ओर तेज कर दिया है

By manoj kumarEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 07:15 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 07:15 PM (IST)
1973 में भारत को हॉकी वर्ल्‍ड कप जिताने वाले गोविंदा बोले- 50 साल में बदल गया हॉकी का स्वरूप
1973 में भारत को हॉकी वर्ल्‍ड कप जिताने वाले गोविंदा बोले- 50 साल में बदल गया हॉकी का स्वरूप

हिसार [पवन सिरोवा] 50 सालों में हॉकी खेल में बड़ा बदलाव आया है। पहले खेल मैदान में खिलाड़ी ताकत और कला दोनों का प्रदर्शन करता था। वहीं अब खेल में तेजी और टेक्निक नजर आती है। एस्टोटर्फ ने खेल को ओर तेज कर दिया है। खिलाडिय़ों और दर्शकों की खेल के प्रति रुचि भी बढ़ी है। यह कहना है 45 साल पहले हॉकी वल्र्डकप में भारत और पाकिस्तान के बीच करो और मरो के मैच में फील्ड गोल कर भारतीय टीम को जीत दिलाने वाले पूर्व ओलंपियन और वर्तमान में हॉकी इंडिया सिलेक्सन कमेटी के चीफ कोच बीपी गोविंदा का। 70 वर्षीय बीपी गोविंदा हॉकी के महारथी हैं।

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जो भारतीय टीम कैप्टन से लेकर अपने जमाने के बेस्ट हॉकी मिड फील्डर प्लेयर रहे है। वे वर्तमान में हिसार में चल रही 9वीं हॉकी भारतीय सब जूनियर वूमन चैंपियनशिप-2019 में भारतीय टीम के चयन के लिए हिसार में है। जहां देश के उभरती हॉकी खेल प्रतिभाओं में से भारतीय टीम के लिए बेस्ट प्लेयर की तलाश कर उनके चयन की जिम्मेदारी निभा रहे है।

बीपी गोविंदा के अनुसार उनका हॉकी का सफर

 उनका जन्म कर्नाटक में किसान परिवार में हुआ था। स्कूल में विभिन्न खेलों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले बीपी गोङ्क्षवदा को साल 1970 एशियन गेम्स में भारतीय टीम में खेलने का मौका मिला। जहां टीम सिल्वर पदक विजेता बनी। इसके बाद साल 1972 और साल 1976 में दो बार ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। साल 1972 में देश को ब्रान्ज मेडल दिलाने में अपना योगदान दिया। 1977 में भारतीय एयरलाइन्स में जॉब शुरु की। 1973 और 1975 में वल्र्ड कप खेला।

1973 के हॉकी वल्र्ड कप में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 1-0 से पराजित किया था। देश को उस मैच में जीत दिलाने वाले बीपी गोविंदा थे जिन्होंने फील्ड गोल कर टीम को 1-0 के स्कोर से जीत दिलाई थी। साल 1976 में राष्ट्रपति ने अर्जुन अवार्ड देकर सम्मानित किया। 1978 में एशियन कप में बतौर कप्तान टीम का नेतृत्व किया और सिल्वर पदक हासिल किया। इसके बाद बतौर प्लेयर हॉकी सफर थमा और कोच की भूमिका में आए। वर्तमान में हॉकी इंडिया की सिलेक्शन टीम में बतौर चीफ कोच कार्य कर रहे है।

चयन में खिलाड़ी की फिटनेस अहम

गोविंदा ने कहा कि वर्तमान में भारतीय टीम चयन में मुख्यतय खिलाड़ी की फिटनेस को तवज्जो दी जा रही है। खिलाड़ी की फिटनेस और मूवमेंट बेहतर है तो वह भारतीय टीम चयन के लिए प्रफेक्ट है। इसके साथ ही टीम चयन में वर्तमान में बड़े स्तर पर पारदर्शिता आई है। यदि आपकी प्रफार्मेंस बेहतर है तो भारतीय टीम में जगह बनना तय है। इसलिए खिलाड़ी अपनी फिटनेस पर ध्यान दे। चयन की संभावना बहुत अधिक है।

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