विद्यार्थियों को कौशल व विकास बनाने के लिए कोर्साें में बदलाव की तैयारी में जीजेयू
जीजेयू विद्यार्थियों को पूर्ण रूप से कौशल एवं विकास बनाने के लिए सभी कोर्सो में बदलाव करने की तैयारी में है। इसके प्रति विद्यार्थी भी पाजिटिव तरीके से ही समझ रहे है जो अच्छे संकेत है। अब विद्यार्थियाें को नई शिक्षा के तहत पढ़ने का मौका मिलेगा।
कुलदीप जांगड़ा, हिसार। गुरु गंभेश्वर तकनीक एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को पूर्ण रूप से कौशल एवं विकास बनाने के लिए सभी कोर्सो में बदलाव करने की तैयारी में है। इसके प्रति विद्यार्थी भी पाजिटिव तरीके से ही समझ रहे है, जो अच्छे संकेत है। अब विद्यार्थियाें को नई शिक्षा के तहत पढ़ने का मौका मिलेगा। यह अगले सत्र या बैच से शुरू होने की उम्मीदें है। इस समय सभी कोर्स सामान्य है, जिसमें बदलाव की जरूरत है। गुजवि प्रशासन नई शिक्षा नीति के तहत कोर्सों के विषय में कौशल व विकास संबंधित बदलाव कर रहा है।
इसे लेकर गुजवि प्रशासन की ओर से दो से तीन बार बैठक की जा चुकी है।
इसके लिए प्रत्येक विभागों में करीब 9 कमेटियां बनाई हुई है, जो इस पर मंथन कर रही है। केंद्र और राज्य से लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर मंथन होगा। हर कमेटी में 4 से 5 सदस्य है। कोर्सों में बदलाव से छात्रों को कुछ नया सीखने को मिलेगा। प्रो. हरभजन बंसल ने बताया कि इन कोर्सों में बदलाव से विद्यार्थियों को विषय पढ़ने के बाद उसे लगे कि रोजगार कैसे मिलेगा, कैसे रोजगार शुरू या दे सकते है। इससे वह रोजगार के लायक बनेंगे। युवाओं को आगे बढ़ने में काफी होगा। आजकल हर कोई रोजगार पाने की ओर दौड़ता है, पर देने की ओर नहीं। अब इसमें बदलाव लाना जरूरी है।
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यह होंगे छूट के प्रावधान
कोर्स में नए बदलाव से गुवजि विद्यार्थियों को कुछ छूट के प्रावधान भी देगा। जैसे कि एमएससी कमेस्ट्री या एमए करता है। यदि कोई विद्यार्थी बीच में ही नौकरी लगने या अन्य किसी कारणवश पढ़ाई बीच में ही छोड़ देता है। अब उनके लिए काेरसपोंडेंट से भी डिग्री करने की छूट होगी या उनको एक साल की पढ़ाई का डिप्लोमा भी दिया जाएगा। यह एक तरह से मान्य होगा। कई विद्यार्थी ऐसे होते है, जो बीच में पढ़ाई छोड़ देते है। उनको डिग्री नहीं मिलती है।
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बाकी जगहाें से भी पता किया जाएगा
प्रो. हरभजन ने बताया कि पहले हर विभागों से विचार-विमर्श किया जाएगा। कहां पर संभव है, कहां नहीं। अगर किसी कोर्स में कोई दिक्कत होती है तो उसका दूसरे विश्वविद्यालयों से पता लगाया जाएगा। उनसे बातचीत की जाएगी।वहां पर उस कोर्स में कैसे काम कर रहे है और उसमें कैसे बदलाव किया। फिर यहां पर बदलाव की सोचेंगे कि हम क्यों नहीं कर सकते।