गर्ल्स हॉस्टल की छात्राएं बोलीं- रोज आलू बनते हैं, शिकायत करो तो घीया बना देते हैं
हॉस्टल के एक रूम में चार लड़कियों को और लड़कों के एक रूम में ठहराए गए हैं पांच छात्र। जीजेयू में आठ हॉस्टलों में रह रहे करीब 2.5 हजार छात्र-छात्राएं
हिसार, जेएनएन। जीजेयू के हॉस्टलों में हर रोज आलू बनते हैं, अगर शिकायत करो तो घीया बना देते हैं। वहीं बिजली व पानी की भी उचित व्यवस्था न होने के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जीजेयू में करीब 6 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिसमें तीन हजार के करीब विद्यार्थी हॉस्टलों में रहते हैं। विवि में लड़के व लड़कियों के लिए चार-चार हॉस्टल बनाए गए हैं। हॉस्टल में रह रहे विद्यार्थियों ने सुविधाओं को लेकर आ रही परेशानियों के बारे में बताया।
गर्ल्स हॉस्टलों में रह रही छात्राओं ने हॉस्टलों में आ रही समस्याओं के बारे में बताते हुए कहा कि हॉस्टल की मैस में उन्हें उचित खाना नहीं मिल रहा है, एक ही प्रकार का खाना परोस दिया जाता है। अधिकतर समय आलू की सब्जी बनाई जाती है, अगर उन्हें कहो तो ज्यादा से ज्यादा घीया बना देते हैं। इसके बारे में प्रदर्शन कर विवि प्रशासन को भी अवगत करवाया था। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। बिजली भी अधिकतर समय गुल रहती है, जिसके चलते पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे। वहीं पानी को लेकर भी परेशानी आ रही है।
रूम शेयर करने पर नहीं रहती प्राइवेसी
वहीं छात्राओं का कहना है कि एक रूम में चार लड़कियों को एडजस्ट किया जा रहा है। लड़कियों के हॉस्टल नंबर तीन के रूम में चार-चार लड़कियों को एक साथ रखा गया है, जिसके चलते उनकी प्राइवेसी नहीं रहती। उन्हें अपने कपड़ों से लेकर मोबाइल, ज्वेलरी समेत अन्य सामान चोरी होने का डर बना रहता है, क्योंकि एक अलमारी दो लड़कियों को शेयर करनी पड़ रही है। इस हॉस्टल के रूम भी काफी छोटे हैं।
10 बाई 12 के कमरे में लगा दिए पांच बेड
जीजेयू में लड़कों के लिए भी चार हॉस्टल बने हुए हैं, जिनमें हॉस्टल नंबर एक में छात्राओं की तरह ही उन्हें भी परेशानी उठानी पड़ रही है। बॉयज हॉस्टल नंबर दो में रह रहे छात्रों का कहना है कि एक रूम में पांच छात्रों को ठहराया गया है, जिसके चलते पढ़ाई के लिए उचित स्पेस नहीं मिल पाता। उन्हें रिसर्च कार्य करने में परेशानी होती है, जिससे उनका डाटा लीक होने का भी डर बना रहता है। बॉयज हॉस्टल के एक रूम में पांच बेड लगाए गए हैं, जबकि हॉस्टल के कमरों का साइज 10 बाई 12 के करीब है, जिसके चलते उन्हें सामान रखने के लिए भी अलमारी शेयर करनी पड़ती है।
---हमारे पास हॉस्टल कम हैं, इसलिए विद्यार्थियों को एडजस्ट किया गया है। विश्वविद्यालय में एक नए हॉस्टल का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही एक हॉस्टल को रिपेयर किया जा रहा है। इनका काम पूरा होने पर छात्रों को परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।
- प्रो. टंकेश्वर कुमार, वीसी, जीजेयू।