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अपनी जिंदगी दांव पर लगा लोगों की जान बचाते हैं लुवास के 'सैनिक', विदेशी नस्लों की भी ब्रीडिंग

आपके हमारे और पशुओं के जीवन की रक्षा लुवास के वो सैनिक करते हैं जो अपनी जान देकर जीवनरक्षक दवाएं तैयार करने में मदद करते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 10:50 AM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 05:02 PM (IST)
अपनी जिंदगी दांव पर लगा लोगों की जान बचाते हैं लुवास के 'सैनिक', विदेशी नस्लों की भी ब्रीडिंग
अपनी जिंदगी दांव पर लगा लोगों की जान बचाते हैं लुवास के 'सैनिक', विदेशी नस्लों की भी ब्रीडिंग

हिसार [वैभव शर्मा]। आपके, हमारे और पशुओं के जीवन की रक्षा लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (Lala Lajpat Rai University of Veterinary and Animal Sciences) लुवास के वो 'सैनिक' करते हैं जो अपनी जान देकर जीवनरक्षक दवाएं तैयार करने में मदद करते हैं। दरअसल, लुवास में डिजिज फ्री स्मॉल एनिमल हाउस लैब है, जहां वर्षों से विदेशी नस्ल के चूहों, खरगोश व गिनीपिग को ब्रीडिंग करवा के तैयार किया जाता है। यहां पर 1973 में लखनऊ से 50 फीमेल और 20 मेल जानवर मंगाए गए थे। उसके बाद से अब तक इन जानवरों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। इन जानवरों का प्रयोग रिसर्च के लिए होता है। खास बात यह है कि इस बार इन जानवरों ने लुवास को सालाना 30 लाख रुपये की आमदनी करवाई है। 

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गौरतलब है कि देश में लखनऊ, हैदराबाद और हिसार तीन ही जगह पर इन जानवरों की ब्रीडिंग करवाकर बिक्री करने का लाइसेंस है। हिसार में लुवास में पाले जा रहे यह जानवर राजस्थान, पंजाब, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश के 47 संस्थानों व फार्मास्यूटिकल कंपनियों को रिसर्च के लिए दिए जाते हैं।

वीवीआइपी कल्चर में रहते हैं यह जानवर

लुवास में बने हाउस में चूहों से लेकर खरगोश तक की अपनी कालोनियां हैं, जहां उन्हें वीवीआइपी ट्रीटमेंट के साथ रखा जाता है। जैसे 24 डिग्री तापमान मैंटेन करने के लिए एयरकंडीशनर लगाए गए हैं। समय पर और निर्धारित मात्रा में खाना दिया जाता है। इसके साथ खाने का रिकार्ड भी मेंटेन किया जाता है। इनमें चूहों की विस्टर प्रजाति, खरगोश की न्यूजीलैंड से आई न्यूजीलैंड व्हाइट प्रजाति, साउथ अफ्रीका में पाए जाने वाले डंकिन हार्टले प्रजाति के गिनी पिग व स्विटजरलैंड की स्विस अल्बीनो चुहिया की अपनी-अपनी कालोनियां हैं। यह खाने में जौ व चना आदि की खिचड़ी खाते हैं।

जानवर एक-दूसरे का ऐसे रखते हैं ख्याल

इन जानवरों के हाउस में सबसे खास गिनी पिग है। इनकी देखभाल करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि इनके हाउस में एक-एक नर को समय-समय पर ब्रीडिंग के लिए छोड़ा जाता है। खास बात है कि मादा एक-दूसरे के बच्चे को खुद दूध पिलाती है। यह दूसरे जानवरों में कम ही देखने को मिलता है।

पिछले पांच वर्षों में यह की कमाई

2015-16         29.68 लाख

2016-17        33.54 लाख

2017-18        20.58 लाख

2018-19        26.11 लाख

2019-20         30 लाख

डिप्लोमा भी शुरू किया जाएगा

लुवास के कुलपति डॉक्टर गुरदियाल सिंह का कहना है कि डिजिज फ्री स्मॉल एनिमल हाउस लैब को विश्वविद्यालय की नई बिल्डिंग बनने के बाद वहीं पर स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही इस विद्या में छात्रों के लिए डिप्लोमा भी शुरू किया जाएगा, ताकि विभिन्न कंपनियों और इन जानवरों की लैब्स में युवाओं को रोजगार मिले।

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