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International Women's Day: गायत्री देवी ने अढ़ाई मिनट के व्याख्यान में देश को दे दी बेटियां बचाने-पढ़ाने की कुंजी

फतेहाबाद के ढांड में वर्ष 2015 के दौरान लिंगानुपात 915 था। व्यवस्था बदलाव की पैरोकार गायत्री को यह मान्य नहीं था। अपनी बीए की क्लास बीच में ही छोड़कर उन्होंने बेटियों को बचाने तथा उन्हें पढ़ाने का बीड़ा उठा लिया। पांच महिला पंचों को साथ लिया।

By Naveen DalalEdited By: Published: Tue, 08 Mar 2022 01:41 PM (IST)Updated: Tue, 08 Mar 2022 01:41 PM (IST)
International Women's Day: गायत्री देवी ने अढ़ाई मिनट के व्याख्यान में देश को दे दी बेटियां बचाने-पढ़ाने की कुंजी
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सन्नो देवी पंचायती राज पुरस्कार से सम्मानित किया।

फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। सृष्टि की पूरक है नारी शक्ति। इस शक्ति को संभालने की संवेदना जब-तब जागृत होती है। लेकिन पानी के बुलबुले समान। इसके अनेक प्रमाण देश के तमाम हिस्सों में मिल जाएंगे। इस स्याह पक्ष के साथ धवल पहलू यह भी है कि गायत्री देवी जैसी संवेदनशील नारी शक्ति अपने महिला समाज को सशक्त करने के लिए सतत कदम बढ़ाती हैं। गायत्री देवी का उल्लेख इसलिए आवश्यक है क्योंकि उन्होंने अवसर के मंच से देशभर को बेटियां बचाने-पढ़ाने का अभूतपूर्व व अद्भुत मंत्र दिया।

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सन्नो देवी पंचायती राज पुरस्कार से सम्मानित किया

इस हकीकत से रूबरू होने के लिए पांच साल पहले के फ्लैश-बैक में जाते हैं। वर्ष 2017 का महिला दिवस। गुजरात के गांधीनगर में देश के हर क्षेत्र से करीब 2500 महिलाओं का महासम्मेलन व व्याख्यान समारोह था। हरियाणा का प्रतिनिधित्व कर रही थीं फतेहाबाद जिले के ढांड की गायत्री देवी। उन्हें महज अढ़ाई मिनट बोलने का वक्त दिया गया। इस छोटे-से पल में ही उन्होंने सृष्टि संभालने का अनुभव-जन्य गूढ़ मंत्र देश को दे दिया। गांधीनगर से लौटने के छह दिनों बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन्हें बहन सन्नो देवी पंचायती राज पुरस्कार से सम्मानित किया।

यूं किया बेटियां बचाने का आगाज

दरअसल, ढांड में वर्ष 2015 के दौरान लिंगानुपात 915 था। व्यवस्था बदलाव की पैरोकार गायत्री को यह मान्य नहीं था। अपनी बीए की क्लास बीच में ही छोड़कर उन्होंने बेटियों को बचाने तथा उन्हें पढ़ाने का बीड़ा उठा लिया। पांच महिला पंचों को साथ लिया। छह आंगनवाड़ी केंद्रों, एएनएम व आशा वर्कर्स को मोटिवेट करती हुई अपनी मुहिम को आंदोलन का रूप दे दिया। सामाजिक चेतना जगाने को एक साल से कम उम्र की बेटियों की माताओं को सम्मानित किया। नुक्कड़-नाटकों के जरिये समाज को संदेश दया कि बेटियां नहीं बहू कैसे लाओगे। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तर्ज पर छात्राओं को चैतन्य बनाया। लिंगानुपात 1147 जा पहुंचा।

गायत्री देवी के अनुसार

यह हमारे जीवन का सबसे सुखद पल था। मात्र अढ़ाई मिट के संबोधन में अपने तमाम अनुभव साझा कर लिये। समारोह में मौजूद लोगों ने ढेरों मुबारकबाद दी। - गायत्री देवी, पूर्व सरपंच ढांड।


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