आज से गणेश चतुर्थी उत्सव का आगाज , घरों में विराजेंगे बप्पा, आइए जानें क्यों मनाते हैं त्योहार
बृहस्पतिवार से गणेश चतुर्थी महोत्सव शुरू होने जा रहा है। जोकि 24 सितंबर तक चलेगा। वहीं इसको लेकर घरों में भी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
जेएनएन, हिसार : गणेश चतुर्थी को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल बना हुआ है। बृहस्पतिवार से गणेश चतुर्थी महोत्सव शुरू होने जा रहा है। जोकि 24 सितंबर तक चलेगा। वहीं इसको लेकर घरों में भी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। गणेश चतुर्थी के पहले दिन घरों में सबसे पहले गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उसके बाद कलश, 16 देवी और नवग्रह की पूजा-अर्चना होगी। वहीं 24 सितंबर तक घरों-घरों में गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे गूंजते सुनाई देंगे। इस दिन काफी श्रद्धालु व्रत भी रखेंगे। गणेश चतुर्थी को लेकर शहर में जगह-जगह गणेश प्रतिमाओं की स्टॉलें लग चुकी है। श्रद्धालु अपने घरों की प्रतिमाएं लेकर जा रहे है। वहीं 24 सितंबर को भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालु सातरोड नहर पहुंचेंगे। वहां भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी। उसके बाद प्रतिमाओं का नहर में विसर्जन किया जाएगा। --जानें क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी
हर साल बडे जश्न के साथ मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का त्यौहार फिर से दस्तक देने को है। गणेश चतुर्थी इस साल 13 सितंबर को है और गणेश चतुर्थी हिंदूओं का दस दिन तक चलने वाला त्यौहार होता है जिसमें वो अपने देवता गणेश के जन्म तौर पर मनाते हैं। गणेश शकर और पार्वती के बेटे हैं। जिन्हें 108 नामों से जाना जाता है। सभी देवताओं में सबसे पहले गणेश की ही पूजा की जाती है। गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था
श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ऐसी है कहानी
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गणेश के जन्म से जुड़ी कई कहानिया हैं। तो आइए जाने ऐसी ही दो कहानियों के बारे में । कहते हैं कि देवी पार्वती ने अपने शरीर से उतारी गई मैल से बनाया था। जब वो नहाने गई तो गणेश को अपनी रक्षा के लिए बाहर बिठा दिया। शिव भगवान जो पार्वती के पति हैं जब घर लौटे तो अपने पिता से अनजान गणेश ने उन्हें रोकने की कोशिश की जिससे शिव को क्त्रोध आ गया और उन्होने गणेश का सिर काट दिया। इसलिए कहते हैं विघनकर्ता
जब देवी पार्वती को इस सब के बारे में पता चला तो वो शिव जी से रूष्ट हो गई जिस पर शिव ने उन्हें गणेश का जीवन वापस लाने का वादा कर उस पर हाथी का सिर लगा दिया और इस तरह फिर से गणेश का जीवनदान मिला। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि देवताओं के अनुरोध करने पर शिव और पार्वती ने गणेश को बनाया था जिससे वो राक्षसों का वध कर सकें और यही कारण है कि उन्हें विघनकर्ता भी कहा जाता है। ऐसे की जाती है पूजा
इस साल 13 सितंबर से गणेश चतुर्थी की शुरूआत होगी जिसे शुक्ल चतुर्थी का दिन भी कहा जाता है। अनंत चतुर्थी के दिन इस त्यौहार का समापन होता है। यह पूजा करने के 4 मुख्य रिवाज होते हैं इसमें सबसे पहला रिवाज त्यौहार के पहले दिन घर में मूर्ति के स्थापन के साथ शुरू होता है इसके बाद गणेश के 16 रूपों की पूजा की जाती है। तीसरे रिवाज में गणेश की प्रतिमा को स्थानातरित किया जाता है और इसके आखिरी रिवाज में इस प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है जिसे गणपति विसर्जन के रूप में मनाया जाता है।