बरवाला कस्बे की अनाजमंडी में फर्जीवाड़ा
इन किसानों ने धान की परचेज करने वाले मिलरों का स्टाक फुल कर दिया। जो वास्तविक किसान थे उनका अनाज बिक नहीं पाया। करीब 25 दिन से धान मंडी में पड़ा है लेकिन कोई खरीदार नहीं है।
संवाद सहयोगी, बरवाला : अनाजमंडी में धान नहीं बिकने से नाराज किसान इस बार काली दीवाली मनाऐंगे। मंडी में कई दिन से धान बेचने के लिए बैठे बरवाला शहर व आसपास के गांवों के किसानों में बेहद रोष है। बिक्री ने होने का प्रमुख कारण है कि इस बार यहां धान पकने से पहले ही फर्जी किसानों ने मिलीभगत कर करीब पौने दो लाख क्विंटल धान मंडी में आकर बेच डाला। इन किसानों ने धान की परचेज करने वाले मिलरों का स्टाक फुल कर दिया। जो वास्तविक किसान थे, उनका अनाज बिक नहीं पाया। करीब 25 दिन से धान मंडी में पड़ा है, लेकिन कोई खरीदार नहीं है।
सूत्रों की मानें तो यह फर्जी किसान वह हैं, जो उत्तर प्रदेश से धान लाकर यहां बेच गए। उप्र में धान का मूल्य लगभग 14 सौ रुपये क्विंटल बताया गया है। वहां से उपरोक्त मूल्य पर धान खरीद कर यहां पर 1888 रुपये के भाव में बेच गए। इसी प्रकार बाजरा के मामले में भी यही हुआ। राजस्थान से बाजरा 1450 रुपये प्रति क्विंटल लाकर यहां पर 2150 रुपये में बेच गए। बरवाला अनाज मंडी के तहत धान की खरीद करने वाला केवल एक ही मिलर है, उसका कोटा पूरा हो चुका है। इसके बाद जिला फतेहाबाद के रतिया से भी मिलर आए। उनकी क्षमता भी पूरी हो चुकी है। मंडी में पंखा नहीं लगाने देना भी एक मुख्य कारण
बरवाला अनाज मंडी में एक सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि यहां के व्यापारी और आढ़ती अनाज मंडी में धान की सफाई के लिए पंखा नहीं लगाने देते। क्योंकि पंखा लगाने से धूल उड़ती है। इसका खामियाजा भी कहीं ना कहीं किसानों को भुगतना पड़ता है। जो मिलर बाहर से यहां पर धान खरीदने आते हैं उन्हें साफ सुथरा अनाज चाहिए। पंखा नहीं लगने के कारण धान की सफाई नहीं हो पाती। स्थानीय व्यापारी यह तर्क देते हैं कि किसान खेत से ही धान को साफ करके लाएं।
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वही खाद्य पूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर पंकज शर्मा से बरवाला मंडी में कई दिन से धान की खरीद नहीं होने बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि मिलर नहीं होने के कारण यह समस्या आई है। इस बारे में जिला प्रशासन को भी अवगत करवा दिया गया है। मिलर के आते ही समस्या का समाधान हो जाएगा।