पहले अभिभावकों को खुद जागरूक होने की जरूरत, तभी दिला पाएंगे बच्चों को अच्छी शिक्षा
पिछले आठ सालों से 134-ए के बच्चों को शिक्षा को हक दिलाने के लिए संगठन का काम कर रहे हैं जो एनजीओ से जुड़े हैं। जिसके तहत उनका मानना है कि हरियाणा एजुकेशन पालिसी सभी स्कूलों में लागू हो और भेदभाव करने वाले व अवैध स्कूलों को बंद हो।
हिसार, कुलदीप जांगड़ा। हरियाणा में 134-ए के दाखिले का मुद्दा अब काफी चर्चा में है। कोई निजी स्कूल दाखिल नहीं कर रहा तो कोई अतिरिक्त चार्ज ले रहा। इनके खिलाफ जंग लड़ने के लिए पहले अभिभावकों को जागरूक होने की जरूरत है कि उनके क्या नियम या अधिकार है। तभी वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला पाएंगे। जितना अभिभावक जागरूक होंगे, उतना ही स्कूल वाले अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगे।
पिछले आठ सालाें से 134-ए के बच्चों को शिक्षा का हक दिलाने के लिए काम कर रहा संगठन
पिछले आठ सालों से 134-ए के बच्चों को शिक्षा को हक दिलाने के लिए पुनीत शर्मा संगठन का काम कर रहे है, जो एनजीओ से जुड़े हैं। पुनीत शर्मा बोले कि हमारा उद्देश्य है कि हरियाणा एजुकेशन पालिसी सभी स्कूलों में लागू हो और भेदभाव करने वाले व अवैध स्कूलों को बंद हो। उन्होंने कहा कि आठ साल पहले आफलाइन आवेदन होते थे। उस समय हमारे संगठन ने बीइओ, डीइओ कार्यलाय के बाहर बैठकर बच्चाें के आवेदन भरवाते थे। हर साल 500 से 700 बच्चों के आवेदन आते थे। अब आनलाइन प्रक्रिया हो गई है। इस बार दाखिले का समय भी बढ़ गया था तो लगभग बच्चों के दाखिले हो चुके हैं। 50 से 60 बच्चों की शिकायत आई थी।
प्ले स्कूल में सुधार जरूरी
कुछ स्कूल ऐसे भी है, जो बिना मान्यता के चल रहे है। बच्चों का पंजीकरण किसी अन्य स्कूल में है और अलग भवन में पढ़ा रहे है। जिले के नौ ब्लाक में 700 प्ले स्कूल है, जो चार-चार कमरों में बने। मगर कोई भी स्कूल योग्यता, गुणवत्ता के अनुरूप नहीं है। प्ले स्कूलों में सुधार जरूरी है। सुशिक्षित समाज में शिक्षकों का अहम योगदान है। यह तभी संभव है, जब सभी अपनी भागीदारी निभाएं। इसमें निजी स्कूल के शिक्षक काफी पिछड़े है।
आठ साल पहले हुए मामले से किया था शुरू संगठन
आठ साल पहले भिवानी बोर्ड का मामला उजागर हुआ था। उस दौरान लड़की की डीएमसी पर लड़के की फोटो लगा दी थी। लड़की ने परीक्षा दी और उसका हिसार के स्कूल में 134-ए के तहत दाखिला भी हो गया था। डीएमसी में गलत फोटो के कारण दाखिला नहीं हुआ। दो साल तक संगठन ने लड़की को फीस देकर पढ़ाया। जिस स्कूल के पास लड़की गई तो उसने भिवानी बोर्ड से ठीक करवाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया था। उसी मामले से संगठन के तौर पर लड़ाई की शुरूआत की थी। स्कूल के खिलाफ केस लड़ा था, तब ऐसा लगा कि यहीं स्कूल नहीं मान रहा तो बाकी तो बड़ी फर्म है।
वैन व किताबों के अलावा नहीं ले सकते कोई चार्ज
134-ए के तहत कोई भी स्कूल संचालक वैन चार्ज या किताबों के चार्ज के अलावा और कोई चार्ज नहीं ले सकता है। कुछ स्कूल वाले अतिरिक्त चार्ज लेते थे। एक निजी स्कूल के खिलाफ केस लड़ा था, उसमें जीत मिली थी। उस कालेज को लिया गया चार्ज भी वापस लेना पड़ा था।
अभिभावक नहीं लेते गंभीरता
स्वस्थ शिक्षा सहयोग संगठन जिला अध्यक्ष पुनीत शर्मा ने हमारा संगठन 134-ए से जुड़े केस भी लड़ता है। 134-ए के दाखिला लेने वालों में अधिकतर बच्चों के अभिभावक जरूरतमंद होता है। अगर बच्चे का दाखिला नहीं होता है या उनके साथ अनहोनी होती है। उनके हक के लिए हमारा संगठन सहयोग करता है। कुछ बच्चों का केस लड़ने में 50 से 60 हजार रुपये लग जाते है। मगर अभिभावक गंभीरता नहीं लेते है और केस जीतने के बावजूद भी सहयोग नहीं करते।