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अवैध शराब के सालाना दो- तीन मामलों में ही होती थी FIR, लॉकडाउन में 143 मामले दर्ज

लॉकडाउन में पहली बार शराब तस्करी के हर मामले में आबकारी विभाग व पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है। आंकड़ों पर गौर करें तो लॉकडाउन के डेढ़ महीने में 143 मामलों में एफआइआर दर्ज की गई है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 07 May 2020 02:04 PM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 02:04 PM (IST)
अवैध शराब के सालाना दो- तीन मामलों में ही होती थी FIR, लॉकडाउन में 143 मामले दर्ज
अवैध शराब के सालाना दो- तीन मामलों में ही होती थी FIR, लॉकडाउन में 143 मामले दर्ज

हिसार [वैभव शर्मा] अवैध शराब के मामलों में अक्सर तस्करी करने वाले जुर्माना भरने के बाद छूट जाते थे, उनका माल आबकारी विभाग जब्त कर लिया करता था। इसके साथ ही साल में दो या तीन मामलों में ही एफआइआर दर्ज होती थी मगर इस बार लॉकडाउन में यह समीकरण पूरी तरह से बदल चुका है। इस बार पहली बार शराब तस्करी के हर मामले में आबकारी विभाग व पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है। आंकड़ों पर गौर करें तो लॉकडाउन के डेढ़ महीने में 143 मामलों में एफआइआर दर्ज की गई है।

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इसके साथ ही तस्करी का काम करने वाले लोगों की गिरफ्तारियां भी की गई हैं। आबकारी विभाग के अधिकारियों की मानें एफआइआर के बाद पुलिसिया पूछताछ और कानूनी प्रक्रियाओं में इन्हें उलझाया जा सकेगा। इन कार्रवाई से शराब की तस्करी तो नहीं रुकी मगर इस चेन को तोडऩे में काफी हद तक मदद मिली है।

शराब की तस्करी करने वाले 153 लोगों की हुई गिरफ्तारियां

लॉकडाउन के दौरान पुलिस टीम इतनी सक्रिय थी कि उन्होंने लगातार दबिश देकर 153 लोगों को शराब तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही इनसे अवैध रूप से लायी गई शराब को जब्त किया गया है। जिसमें हरियाणा ही नहीं बल्कि अरुणांचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड जैसे राज्यों से लायी गई शराब भी पकड़ी गई है। ऐसे में इस कार्रवाई से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शराब तस्करी का नेटवर्क लॉकडाउन में भी किस स्तर से सक्रिय था।

लॉकडाउन में शराब तस्करी का यह रहा है रिकॉर्ड

कुल केस : 143 गिरफ्तार : 153 अंग्रेजी शराब : 37748 देसी : 31856 बियर : 2825 कच्ची शराब की बोतल : 587 लाहन : 580 किलोग्राम चलती भ_ी : 9

----पहले हमेशा अवैध तस्करी करने वाले लोग कानून का फायदा उठाकर जुर्माना भरकर छूट जाते थे। इस बार पहली बार ऐसा हुआ है कि 143 एफआइआर दर्ज की गई है। तस्करी पर कानूनी शिकंजा जरूरी है।

-विजय कौशिक, डिप्टी कमिश्नर, आबाकारी विभाग


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