रोहतक सुपवा के छात्र उत्सव की फिल्म छाया कान्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में करेगी कंपीट
पीएलसी सुपवा के छात्र उत्सव का सेमेस्टर एंड प्रोजेक्ट फ्रांस के एक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में कंपीटिशन के लिए चुना गया है। फिल्म एंड टेलीविजन डिपार्टमेंट के फाइनल ईयर के छात्र उत्सव की शार्ट फिल्म छाया को फेस्टिवल में आफिशियल एंट्री मिली है।
केएस मोबिन, राेहतक : पंडित लख्मीचंद यूनिवर्सिटी आफ परर्फोमिंग एंड विजुअल आर्ट्स (पीएलसी सुपवा) के छात्र उत्सव का सेमेस्टर एंड प्रोजेक्ट फ्रांस के एक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में कंपीटिशन के लिए चुना गया है। फिल्म एंड टेलीविजन डिपार्टमेंट के फाइनल ईयर के छात्र उत्सव की शार्ट फिल्म छाया को फेस्टिवल में आफिशियल एंट्री मिली है। यद्यपि फेस्टिवल का शेड्यूल अभी जारी नहीं हुआ है। कोविड-19 की वजह से इसे इस वर्ष के मध्य आयोजित किया जा सकता है। आनलाइन व आफलाइन दोनों ही माध्यमों से फेस्टिवल कराया जा सकता है।
21 वर्षीय उत्सव ने बताया कि जून-जुलाई तक फेस्टिवल कराए जाने की उम्मीद है। उन्होंने अप्रैल 2021 में फिल्म का शूट शुरू किया था। हालांकि, कोविड-19 की वजह से इसे नवंबर 2021 तक पूरी कर पाए। करीब 15 मिनट अवधि की फिल्म में एक किसान की कहानी है। करीब 60 हजार रुपये की लागत फिल्म बनाने में आई है। उत्सव, फिल्म के निर्माता-निर्देशक हैं। स्टूडेंट प्रोजेक्ट के लिए संस्थान की ओर से छात्र को 25 हजार रुपये मिले थे, लेकिन फिल्म बनाने में करीब 35 हजार रुपये अगल से भी खर्च हुए। छाया का सिलेक्शन इंटरनेशनल कोलकात्ता फिल्म फेस्टिवल (आइकेएफएस) और दादा साहब फाल्के फिल्म फेस्टिवल में भी कंपीटिशन के लिए हुआ है। यदि फेस्टिवल में टाप-50 में फिल्म सिलेक्ट होती है तो प्रतिष्ठित कान्स फिल्मस फेस्टिवल में स्क्रीनिंग का मौका मिलेगा।
सुपवा के एलुमनस ने निभाया मुख्य पात्र
झज्जर के शेरिया गांव में फिल्म की शूटिंग की गई है। हरियाणावी कलाकर अंजवी हुड्डा व सुपवा के ही एलुमनस मुकेश मुसाफिर ने फिल्म में मुख्य पात्र निभाएं हैं। फिल्म में इनके अलावा दो छोटे बच्चे भी दिखाई देते हैं। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी, साउंड, एडिटिंग का कार्य सुपवा के ही छात्रों ने किया है। छात्र अभिषेक ने फिल्म की सिनेमेटोग्राफी की, वेदव्यास और नीरज रोहिल्ला ने सांउड का कार्य किया। एडिटिंग साहिल ने की है। फिल्म की स्क्रिप्ट एक राजस्थानी लोक गीत सुनते हुए आए विचार के बाद उत्सव ने लिखी है।
यह है फिल्म की स्टोरी
वर्ष 1980 में हरियाणा-राजस्थान की सीमा पर बसे गांव में सूखा पड़ा हुआ है। फिल्म का नायक पेशे से किसान है। पहली पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी की है। दूसरी पत्नी, पति की पहली पत्नी के बच्चों को पसंद नहीं करती। किसान कर्ज में डूबा हुआ है। गांव में सूखा पड़ गया है। दूसरी पत्नी उसपर गांव छोड़कर शहर चलने के लिए बार-बार दबाव डालती है। पति इस दुविधा में है कि गांव में बच्चों के साथ संघर्ष करे या पत्नी के कहने पर सब को छोड़कर उसके साथ चला जाए।