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छोटी बेटी के इलाज में कर्जदार बने पिता, बड़ी बेटी को नेशनल गेम्‍स में भेजने काे फिर लिया कर्ज

जम्मू कश्मीर हैंडबॉल टीम में शामिल नैंसी के पिता राजमिस्त्री हैं,बेटी का सपना पूरा करने के लिए वो दूध बेचने का काम भी करते हैं। उन्‍होंने अपनी बेटी को नेशनल गेम्‍स में हिसार भेजा है

By manoj kumarEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 12:25 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 12:25 PM (IST)
छोटी बेटी के इलाज में कर्जदार बने पिता, बड़ी बेटी को नेशनल गेम्‍स में भेजने काे फिर लिया कर्ज
छोटी बेटी के इलाज में कर्जदार बने पिता, बड़ी बेटी को नेशनल गेम्‍स में भेजने काे फिर लिया कर्ज

हिसार [रीतेश श्रीवास्तव] जब खेल के जुनून में माता-पिता का प्रोत्साहन मिल जाए तो पहाड़ जैसी परेशानियां भी खिलाड़ी की राह नहीं रोक पातीं और देश को मेरीकॉम जैसी प्रतिभा मिल जाती है। कुछ ऐसे ही जज्बे और प्रतिभा की धनीं हैं जम्मू- कश्मीर की हैंडबाल खिलाड़ी नैंसी। उधमपुर के सतैनी गांव की नैंसी के पिता नरेश कुमार राजमिस्त्री हैं मगर परिवार का खर्च चलाने के लिए दूध भी बेचते हैं। परिवार में छोटी बहन और भाई भी हैं। छोटी बहन के एक पैर का पंजे मुड़ा हुआ है।

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परिवार की कमाई का बड़ा हिस्सा उसके इलाज में खर्च होता है। इसके चलते परिवार कर्जदार हाे गया, मगर पिता नरेश ने हार नहीं मानी और नैंसी खेल सके इसलिए उन्‍होंने ग्राहकों से एडवांस लेकर उसे नेशनल गेम्स में खेलने के लिए हिसार भेजा है। नैंसी को पूरा भरोसा है कि एक दिन उसके खेल की बदौलत सरकार भी उसकी मदद को मजबूर हो जाएगी।

हिसार में चल रही 64 वें राष्ट्रीय स्कूली खेलकूद प्रतियोगिता में जम्मू कश्मीर की हैंडबॉल टीम का प्रमुख हिस्सा बनी नैंसी बरबस लोगों का ध्यान खींच लेती है। नैंसी बताती है कि जब प्रदेश की जूनियर टीम में चयन हुआ तो पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन जब यह पता चला की नेशनल गेम्स में जाने वाले खिलाडिय़ों का खर्च नहीं देगी तो थोड़ी चिंता हुई। मगर, पिता नरेश पैसे के इंतजाम में जुट गए। नैंसी ने बताया कि अब पिता को दूध की ली एडवांस राशि दो से तीन महीने में चुकाना होगी। इस दौरान घर चलाने के लिए अतिरिक्त श्रम और अपने खर्च में कटौती करनी पड़ेगी। नैंसी के अनुसार वह अपने माता-पिता के त्याग और बलिदान को एक नामी खिलाड़ी बनकर उतारना चाहती है, बस सरकार की ओर से मदद मिलनी चाहिए। 

प्रतिदिन करती है 12 किलोमीटर का सफर

नैंसी को पढऩे और हैंडबाल के अभ्यास के लिए 12 किलोमीटर दूर शहर आना पड़ता है। उसके कोच सुदेश ने बताया कि नैंसी एक होनहार खिलाड़ी है। बस उसे आर्थिक मदद की जरूरत है। अगर उसे सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिले तो वह एक दिन प्रदेश का ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन करेगी। 

जम्मू कश्मीर सरकार फंड की कमी के बीच हैंडबॉल टीम को हिसार भेजा है। इसके बावजूद हमारी सरकार खेलों के विकास के लिए काम कर रही है और खिलाडिय़ों को हर तरह की सुविधा देने का प्रयास करती है। जिला मुख्यालयों पर हैंडबॉल के अभ्यास के लिए मैदान हैं, जहां ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के खिलाड़ी प्रति दिन अभ्यास करते हैं।

- विष्णु प्रदीप शर्मा, कोच, हैंडबॉल टीम, जम्मू कश्मीर


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