गले में नोटों की माला, सिर पर सेहरा, दूल्हे की तरह घोड़ी पर बैठा निकाला 2 बेटियां का बनवारा
भिवानी के ढाणाजोगी गांव में सोमवार को निशा व नीलम ने अपनी शादी में घोड़ी पर बनवारा (निकासी) निकालकर एक नई पहल की शुरुआत की। जिले में इससे पहले भी इसी तरह से उदाहरण सामने आ चुके हैं मगर गांव में ऐसा पहली बार ही हुआ।
ढिगावामंडी [मदल लाल श्योराण] गले में नोटों की माला, सिर पर सेहरा, घोड़े पर दूल्हे की तरह सजी-धजी बैठी दो दुल्हन। कुछ ऐसा ही नजारा था भिवानी जिले के गांव ढाणाजोगी में। जहां घोड़े पर बैठकर दो बहनों की शादी से पहले निकासी यानि बनवारा निकल रहा था।
भिवानी के ढाणाजोगी में सोमवार को निशा व नीलम ने अपनी शादी में घोड़ी पर बनवारा (निकासी) निकालकर एक नई पहल की शुरुआत की। जिले में इससे पहले भी इसी तरह से उदाहरण सामने आ चुके हैं मगर गांव में ऐसा पहली बार ही हुआ। इन दोनों बहनों की शादी 9 दिसंबर को होने वाली है।
हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी से दो-तीन पहले लड़की की निकासी निकाली जाती है। दहेज प्रथा व कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों को छोड़कर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देते हुए दोनों बेटियों ने घोड़े पर बैठकर बान (निकासी) निकाला। इस निकासी में दुल्हन समेत परिवार के लोग गांव में डीजे के गानों पर थिरकते नजर आए।
बता दें कि अक्सर इस तरह से बनवारा या निकासी लड़कों की शादी में निकाला जाता है। ऐसा गांव में पहली बार हुआ है जब किसी लड़की ने दुल्हन ने घोड़े पर बैठकर अपना बनवारा निकाला है। इस तरह की शादी में पूरे गांव के लोग शामिल हुए।
निशा व नीलम ने बताया कि हमारा बनवारा निकाल रहे हैं। हमें बेहद खुशी हो रही है। 9 दिसंबर को हम दोनों की शादी है। हमारे परिवार ने शुरू से ही हमें लड़को की तरह रखा है। किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं था। लड़कियां भी लड़कों से पीछे नहीं है।
इस तरह के प्रोग्राम के लिए प्रेरित करते हुए बेटियों के पिता जिले सिंह, मास्टर जगदीश, रमेश, अनिल बताया कि हमारा गांव ढाणाजोगी सबसे अलग विचारधारा वाला है। लड़कों व लड़कियों में किसी में भी भेदभाव नहीं किया जाता है। दुल्हन ने घोड़े पर अपना बनवारा निकाला है। बनवारा दुल्हन के चाचा चरण सिंह व अनिल ने बेटियों को घोड़ी पर बैठा कर निकाला।