चिल्ली झील के पास विशाल ऑडिटोरियम बनाने के ड्रीम प्रोजेक्ट पर फतेहाबाद प्रशासन संजीदा, जमीन की तलाश में जुटा
वर्तमान उपायुक्त की अगुवाई में जिला प्रशासन ने संवेदना दिखाई तो अब चिल्ली झील खूबसूरत स्वरूप ले रहा है। इसी झील के साथ एक सुंदर सभागार के लिए संभावनाओं की जमीन तलाशी जा रही है। संभव है कि जमीन खोजने की पहली सीढ़ी पार कर ली जाएगी।
फतेहाबाद, जेएनएन। फतेहाबाद जिले के अस्तित्व के करीब दो दशक से अधिक वक्त बीत गए। जिला मुख्यालय का नाम जब गुलाबी नगरी पड़ा तो चहुंमुखी विकास की उम्मीद भी जागी थी। लेकिन ना तो सरकार और ना ही सरकारी तंत्र ने कभी गुलाबी नगरी की सुध ली। यहां तक कि पर्यटकों को लुभाने में सक्षम चिल्ली झील भी प्रोजेक्ट के अमली स्तर पर उदासीन ही रहा। वर्तमान उपायुक्त की अगुवाई में जिला प्रशासन ने संवेदना दिखाई तो अब चिल्ली झील खूबसूरत स्वरूप ले रहा है। इसी झील के साथ एक सुंदर सभागार के लिए संभावनाओं की जमीन तलाशी जा रही है। संभव है कि जमीन खोजने की पहली सीढ़ी पार कर ली जाएगी।
जमीन की उपलब्धता के पश्चात जिला प्रशासन विशालकाय एवं सर्व-सुविधा-संपन्न ऑडिटोरियम बनाने की दिशा में कदम तेज करेगा। डिजाइन से लेकर एस्टीमेट तक प्रोजेक्ट की तमाम औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। चिल्ली झील की साइट के माधुर्य के अनुकूल शहर में ऑडिटोरियम की संकल्पना की गई है। जिला प्रशासन का मानना है कि चिल्ली झील के साथ पार्क और खूबसूरत सभागार आकर्षण का केंद्र होगा। इसे देखने न केवल बाहर के सैलानी आएंगे बल्कि शहर के हर आयुवर्ग एवं तबके के लोग लाभान्वित हो सकेंगे। हालांकि अभी यह सपना समान ही दिखाई दे रहा है लेकिन मनोरंजन एवं सामाजिक कार्यक्रम के उद्देश्य की पूर्ति में मील का पत्थर साबित हो सकेगा।
डीसी के ड्रीम प्रोजेक्ट का सभागार
दरअसल, शहर में एक शानदार सभागार का सपना डीसी डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने देखा है। उनके व्यक्तिगत कार्यानुभव की सकारात्मक उपज है। उन्होंने इससे पहले कैथल व गुरुग्राम में भी ऑडिटोरियम बनवाया था। वह बताते हैं कि उन अनुभवों को यहां भी मूर्त रूप दिया जाएगा।
समग्र एवं परिपूर्ण केंद्र बनेगा
शहर में सपनों का यह सभागार चिल्ली झील के पास समग्र एवं परिपूर्ण आकर्षण केंद्र की अवधारणा समेटे हुए है। डीसी डॉ. नरहरि बांगड़ के मुताबिक नीचे चिल्ली झील और ऊपर पार्क। इसके साथ सभागार संपूर्णता देगा।
ओपन एयर थिएटर व कियोस्क केंद्र भी होगा
सभागार की सुंदरता के सभी अवयव साथ ही होंगे। सोच यह भी है कि मनोरंजन के लिए शानदार ओपन एयर थिएटर के साथ-साथ खाने-पीने का छोटा-सा कियोस्क सेंटर भी बनाया जाए। आगे चलकर लाइट एंड साउंड की व्यवस्था भी रखी जाएगी। सभागार ऐतिहासिक धरोहर के प्रदर्शन के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा।
---हमारी सोच सकारात्मक है। ऑडिटोरियम के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। चिल्ली झील के पास ही बनाएंगे। समय लग सकता है लेकिन सपना साकार होगा, ऐसा मेरा मानना है।
- डॉ. नरहरि सिंह बांगड़, डीसी।