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किसान अपनाएं वर्टिकल फार्मिंग, बढ़ेगी आमदनी, रोहतक में काफी प्रचलित है बांस-तार विधि

वर्टिकल फार्मिंग यानि लंबवत खेती बांस-तार के साथ बेल वाली सब्जियों के उत्पादन के लिए की जाती है। यह बेहद फायदेमंद तकनीक है। इस विधि को अपनाकर किसान बेल वाली सब्जी जैसे लौकी तोरी करेला खीरा खरबूजा तरबूज व टमाटर आदि का उत्पादन करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकता है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 09:02 AM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 09:02 AM (IST)
किसान अपनाएं वर्टिकल फार्मिंग, बढ़ेगी आमदनी, रोहतक में काफी प्रचलित है बांस-तार विधि
रोहतक में वर्टिकल फार्मिंग का मॉडल दिखाते उन्‍नतिशील किसान

रोहतक, जेएनएन। किसान लंबवत खेती (वर्टिकल फार्मिंग) अपनाएं तो आय के स्रोत भी बढ़ सकते हैं। सब्जियों की कास्त में लंबवत खेती बेहद लाभकारी है। इस पद्धति को अपनाने वाले किसानों को सरकार की योजना के तहत अनुदान पा सकते हैं। इस खेती से जहां किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं, वही पानी की भी बचत की जा सकती है। आगामी खरीफ सीजन में धान की बजाए लंबवत खेती करके प्रकृति के अनमोल रत्न पानी को बचाने में किसान अपना योगदान दे सकते हैं।

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लंबवत खेती बांस-तार के साथ बेल वाली सब्जियों के उत्पादन के लिए की जाती है। यह बेहद फायदेमंद तकनीक है। इस विधि को अपनाकर किसान बेल वाली सब्जी जैसे लौकी, तोरी, करेला, खीरा, खरबूजा, तरबूज व टमाटर आदि का उत्पादन करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि बेल वाली सब्जी आमतौर पर खेत में सीधी लगाते हैं, जिससे एक समय के बाद इनका उत्पादन कम हो जाता है। इसके साथ-साथ कई प्रकार की बीमारी एवं कीट आदि भी लग जाते हैं। परिणाम स्वरूप उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। यदि किसान बेल वाली सब्जियों को बांस-तार विधि पर लेते हैं तो कम क्षेत्र में ज्यादा संख्या में पौधे लगाए जा सकते हैं और बीमारी व कीटों पर आने वाले खर्च को बचाकर अधिक मुनाफा लिया जा सकता है।

इस विधि को अपनाकर बेल वाली फसलें जैसे लौकी, तोरी व करेला आदि को मैदान न फैला कर बांस-तार पर चलाया जाता है, जिससे फसल की गुणवत्ता एवं मात्रा दोनों बढ़ जाती है। इस विधि में किसान को एक एकड़ में 60 एमएम आकार के 560 बाक्स चार गुणा दो मीटर क्षेत्र में लगाने होते हैं, जिसमें बांस की ऊंचाई लगभग आठ फीट होनी चाहिए। सभी बांसों को तीन एमएम के तीन तारों की लेयर से बांधना होता है। इसके साथ-साथ जूट अथवा प्लास्टिक की सुतली फसल की सपोर्ट के लिए लगाई जाती है। इस विधि पर किसान का लगभग 60 हजार रुपये का खर्च आता है, जिस पर 31 हजार 200 रुपये प्रति एकड़ किसान को अनुदान प्रदान किया जाता है।

रोहतक में बढ़ा प्रचलन, 250 एकड़ में हो रही खेती

उद्यान विभाग के अधिकारी कहते हैं कि बांस-तार के अतिरिक्त आयरन स्टाकिंग विधि जिसमें बांस-तार की जगह लोहे की एंगल लगाकर ढांचा बनाया जाता है। इस पर बेल वाली सब्जियां लगाई जाती है। इस विधि के अपनाने पर प्रति एकड़ लगभग एक लाख 42 हजार रुपये खर्च आता है। जिस पर बागवानी विभाग 70 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान किसानों को देता है। जिले में बेल वाली सब्जियों की काश्त बांस-तार विधि पर काफी प्रचलित हो चुकी है। जिले में लगभग 250 हेक्टेयर क्षेत्र में इस विधि पर किसान बेल वाली सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। मौजूदा समय बेल वाली सब्जियों जैसे लौकी व करेला आदि के उत्पादन के लिए बेहतर है। किसान बेल वाली सब्जियों बांस-तार की विधि पर लगाकर बहुत अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।


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