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सिरसा में किसानों ने मनाई भगत सिंह के चाचा अजीत की जयंती, बोले- बनते आ रहे किसान विरोधी कानून

शहीद ए आजम भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन ने अजीत सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा किसानों के खिलाफ कानून अंग्रेजों के जमाने से बनते आ रहे हैं और आज भी बन रहे हैं। इन कानूनों के खिलाफ हम सबको मिलकर लड़ाई लड़नी होगी।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 05:00 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 05:00 PM (IST)
सिरसा में किसानों ने मनाई भगत सिंह के चाचा अजीत की जयंती, बोले- बनते आ रहे किसान विरोधी कानून
भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह की जयंती पर सिरसा में अनेक दिग्गज किसान नेता पहुंचे

सिरसा, जेएनएन। सिरसा में मंगलवार को दशहरा ग्राउंड में हरियाणा किसान मंच के बैनर तले शहीदे आजम भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह की जयंती पर  कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल, जोगेंद्र सिंह उगराहा, शहीदे आजम भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन सिंह, रूलदू सिंह मानसा, जोगेंद्र नैन, विकास सीसर, मनदीप नथवान, प्रोमिला सहारण, गायिका रूपिंद्र हांडा, प्रोमिला सहारण, मनजीत सिंह धनेर में शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा किसान मंच के प्रदेशाध्यक्ष प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा ने की। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसानों व महिलाओं ने भाग लिया। किसान नेताओं ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया।

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शहीद ए आजम भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन ने अजीत सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा किसानों के खिलाफ कानून अंग्रेजों के जमाने से बनते आ रहे हैं और आज भी बन रहे हैं। इन कानूनों के खिलाफ हम सबको मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। सरदार अजीत सिंह ने अपनी किताब पगड़ी संभाल जट्टा के माध्यम से देशवासियों को अपने अधिकारों के लिए जागरूक होने का आह्वान किया था।

किसान नेता जोगेंद्र सिंह उगराहा ने कहा कि कृषि कानूनों से अड़ानी अंबानी जैसे बड़े आढ़तियों को खुली छूट मिल जाएगी। हरियाणा के कैथल में गोदाम बनाया गया है, जहां दो लाख टन अनाज के भंडारण की क्षमता है। कृषि कानूनों लागू होने के बाद निजी मंडियों की आड़ में सरकारी मंडियां बंद हो जाएगी और एमएसपी पर सरकारी खरीद होगी ही नहीं।

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान अपने हक लेने के लिए जाग चुका है। देशभर के किसान जाग चुके है और अब यह आंदोलन कृषि कानून वापस लेने के बाद ही खत्म होगा। सरकार कह रही है कृषि कानून में काला क्या है। कृषि कानून ही बदनीयती से लागू किए गए हैं।

मनजीत सिंह धनेर ने कहा कि हरियाणा व पंजाब के किसानों के भाईचारे से कृषि कानूनों के खिलाफ चलाई जंग जीत चुके हैं। सरकार कानून में संशोधन को तैयार है। बिजली संबंधित कानून, पराली संबंधित कानून में बदलाव को तैयार है। लेकिन नए लागू किए सारे कृषि कानून वापिस लेने होंगे।

विकास सीसर ने कहा कि किसान झंड़े की अलग पहचान बन चुकी है। पिछले पांच महीनों से सिरसा में शांतिपूर्वक आंदोलन चल रहा है। किसानों की एकता के चलते आज भी उपमुख्यमंत्री और बिजली मंत्री के घरों को जाने वाले रास्ते बंद है।

पंजाबी गायिका रूपिंद्र कौर हांडा ने किसान आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी की प्रशंसा की। उन्हाेंने कहा कि महिलाएं घर व खेत संभाल रही है तभी किसान दिल्ली बार्डर पर जमे हुए हैं। उन्हाेंने पंजाबी गीत कनका नूं पानी वे मैं आप लाऊंगी तू दिल्ली विच खड़ा रही डट के, पेचा दिल्ली नाल अडया पैया है, सुनाए।  इस मौके पर प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा ने कहा कि सरकार को सबक सिखाने के लिए देश का किसान व जवान तैयार है। जब-जब जनता सड़कों पर उतरी है, तब-तब क्रांति आई है। इस बार भी एक ऐसी क्रांति आएगी, जिसे युगों-युगों तक याद किया जाएगा।

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कार्यक्रम में विभिन्न गुरुद्वारों व समाजसेवी संस्थाओं की तरफ से आए हुए लोगों के लिए लंगर, चाय इत्यादि की व्यवस्था रही। पंडाल में आने वाले किसान नेताओं को मंच पर ले जाने के लिए बाउंसरों की व्यवस्था की गई थी। मंच पर किसान नेताओं के अलावा किसी को नहीं चढ़ने दिया गया।

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दशहरा ग्राउंड में आयोजित किए गए सम्मेलन में किसान संगठनों की गुटबाजी देखने को मिली। हरियाणा किसान मंच के अलावा दूसरे गुटों ने कार्यक्रम से दूरियां बनाए रखी। हरियाणा किसान सभा के पदाधिकारी भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। सिरसा बाइपास पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान आने वाले लोगों को सुरक्षित सड़क पार करवाने के लिए वांलटीयर्स की डयूटी लगाई गई थी जो वाहनों को रोककर लोगों को सड़क पार करवा रहे थे।


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