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किसान आंदोलन : झाड़ौदा बॉर्डर के पास मिला जींद निवासी किसान का शव, जांच में जुटी पुलिस

जींद के गांव डिंडोली निवासी 62 वर्षीय राधा की मौत हो गई। उनका शव झाड़ौदा फ्लाईओवर के ऊपर 64 नंबर बिजली के पोल के पास मिला। मौत के कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। शव को पुलिस ने कब्जे में लिया और पोस्‍टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 03:48 PM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 03:48 PM (IST)
किसान आंदोलन : झाड़ौदा बॉर्डर के पास मिला जींद निवासी किसान का शव, जांच में जुटी पुलिस
बहादुरगढ़ के टिकरी बॉर्डर व झाड़ौदा बॉर्डर पर 40 से भी ज्‍यादा किसानों की मौत हो चुकी है

बहादुरगढ़, जेएनएन। किसान आंदोलन में शामिल होने आए जींद के गांव डिंडोली निवासी 62 वर्षीय राधा पुत्र महेंद्र की मौत हो गई। उनका शव झाड़ौदा फ्लाईओवर के ऊपर 64 नंबर बिजली के पोल के पास मिला। मौत के कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। शव को पुलिस ने कब्जे में लिया और पोस्‍टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। वह कई दिन से यहां धरने में आया हुआ था। अब तक यहां 40 से ज्‍यादा किसानों की मौत हो चुकी है।

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वहीं इसके दो दिन पहले ही बहादुरगढ़ में टिकरी बॉर्डर पर एक और किसान ने आत्‍महत्‍या कर ली थी। हिसार जिले के सिसाय निवासी किसान राजबीर ने कृषि कानून वापस नहीं लेने से आहत होकर शनिवार रात टिकरी बॉर्डर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सुबह किसानों ने टिकरी बॉर्डर के पास खेतों में राजबीर का शव पेड़ पर लटका देखा। किसान राजबीर सुसाइड नोट भी छोड़कर गया था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार राजबीर सिसाय शुरुआत से ही किसान आंदोलन से जुड़ा हुआ था। वह आन्दोलन में सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहा था और पिछले दस दिनों से टिकरी बॉर्डर पर ही था। शनिवार रात को वह अपने गांव के जत्थे से अलग हो गया व खेतों में जाकर फांसी लगा ली। राजबीर ने दो पन्ने के सुसाइड नोट में अपनी मौत का जिम्मेदार सरकार को ठहराया है। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा है कि सरकार मरने वाली की आखिरी इच्छा पूरी करती है तो मेरी इच्छा ये है कि कृषि कानूनों को रद किया जाए। राजबीर सिंह के एक बेटा व बेटी है।

सुसाइड नोट में लिखा - ये सरकार खून मांगती है...

राजबीर ने अपने सुसाइड नोट में सरकार पर गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा कि ये सरकार खून मांगती और मैं अपनी शहादत देता हूं। मेरी ये शहादत खराब नहीं जानी चाहिए चाहे मेरा शव सड़क पर रखना पड़ा। उन्होंने लिखा कि भगत सिंह ने देश के लिए जान दी थी और मैं किसान के लिए जान दे रहा हूं। उन्होंने अपने गांव के किसानों से अपील करते हुए लिखा कि वह अपना हक लेकर ही वापस जाएं।

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