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सिसाय में दलित की हत्या के पीड़ित परिजन भी अपनाएंगे बौद्ध धर्म

संवाद सहयोगी, हांसी : जींद में दलित ज्वाइंट एक्शन कमेटी के तहत 120 दलितों द्वारा बौद्ध धर्म अपनाए जा

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 04:46 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 04:46 PM (IST)
सिसाय में दलित की हत्या के पीड़ित परिजन भी अपनाएंगे बौद्ध धर्म
सिसाय में दलित की हत्या के पीड़ित परिजन भी अपनाएंगे बौद्ध धर्म

संवाद सहयोगी, हांसी : जींद में दलित ज्वाइंट एक्शन कमेटी के तहत 120 दलितों द्वारा बौद्ध धर्म अपनाए जाने के बाद जहां सरकार के हाथ पैर फूले हुए हैं, वहीं पर पीड़ित दलित भी इस मामले में इकट्ठा होते नजर आ रहे हैं। जींद में 120 दलितों के दिल्ली जाकर बौद्ध धर्म अपनाने के बाद ही हिसार के गांव भाटला के दलितों ने भी गत सप्ताह हिसार में सरकार व पुलिस की दलित विरोधी नीति से तंग आकर बौद्ध धर्म अपनाने की धमकी दी थी। जिसके बाद सरकार व पुलिस महकमे में हलचल मच गई थी। इसी कड़ी में शुक्रवार को भी गांव सिसाय के एक दलित परिवार ने भी भाटला के दलितों के बौद्ध धर्म अपनाने की बात का समर्थन करते हुए खुद भी बौद्ध धर्म अपनाने की बात कही है।

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सिसाय गांव के पीड़ित दलित परिवार के सदस्य रामकुमार का पिछले साल 12 जुलाई को गांव के दबंगों ने कत्ल कर दिया था जिसके बाद पीड़ित परिवार के ऊपर पुलिस व दबंगों ने बेहद दबाव बनाया जिसके बाद समझौता न करने की सूरत में पीड़ित परिवार का सामाजिक बहिष्कार तक कर दिया था, जिस बारे में भी थाना हांसी को शिकायत दी गई थी लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। उसके बाद मृतक रामकुमार के भाई धूप ¨सह पर पुलिस ने दबंगों के दबाव में कई झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए व गांव में भी धूप ¨सह के साथ बुरी तरह मारपीट की गई और जान से मारने की धमकियां दी गई परंतु मृतक के भाई धूप ¨सह की शिकायत पर पुलिस ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की जिससे परेशान होकर धूप ¨सह ने गांव छोड़कर जींद रहना शुरू कर दिया है इसके साथ ही उपरोक्त कत्ल के केस के शिकायतकर्ता बलवान ¨सह ने भी मजबूरी व जान के खतरे के चलते गांव सिसाय को छोड़ दिया तथा हांसी में एक कॉलोनी में अपना मकान बनाकर रह रहे हैं।

पीड़ित धूप ¨सह व बलवान ¨सह ने कहा कि दबंगों द्वारा उनके भाई के कत्ल के बाद उन पर जबरदस्त दबाव बनाया गया ,धमकियां दी गई व लालच दिया गया धूप ¨सह ने बताया कि जींद स्थित उनके घर पर भी फाय¨रग की गई तथा समझौता करने के लिए दहशत पैदा की गई, लेकिन उन्होंने समझौता करने की बजाय गांव छोड़ना ज्यादा बेहतर समझा तथा उन्होंने कहा अपने मृतक भाई को न्याय दिला कर ही रहेंगे।


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