Move to Jagran APP

ब्लैक फंगस से आंख निकाले जाने पर नहीं हो सकता दोबारा प्रत्यारोपण, रोहतक पीजीआइ का खुलासा

Black Fungus ब्‍लैक फंगस बेहद खतरनाक होता जा रहा है। यदि ब्‍लैक फंगस के कारण किसी मरीज की आंखें निकालनी पड़ीं तो इसका दोबारा प्रत्‍यारोपण भी नहीं हो सकता है। उनको सिर्फ आर्टिफिशिल आंखें ही लगाई जा सकती हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 08:10 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 05:36 PM (IST)
ब्लैक फंगस से आंख निकाले जाने पर नहीं हो सकता दोबारा प्रत्यारोपण, रोहतक पीजीआइ का खुलासा
ब्‍लैक फंगस हरियाणा में लगातार फैल रहा है। (सांकेतिक फोटो)

रोहतक, [ओपी वशिष्‍ठ]। Black Fungus: ब्‍लैक फंगस पर रोहतक पीजीआइ ने बड़ा खुलासा किया है। ब्लैक फंगस से जिस भी व्यक्ति की आंख की रोशनी चली जाती है, उसमें दोबारा रोशनी आने की कोई गुंजाइश नहीं रहती और आंख निकाले जाने के बाद अन्य आंख का प्रत्यारोपण भी संभव नहीं है। बता दें कि हरियाणा में ब्‍लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और अब तक एक हजार से अधिक लोग इसकी चपेट में आ गए हैं।

loksabha election banner

विशेषज्ञों के अनुसार, ब्‍लैक फंगस से प्रभावित आंखों की पूरी नसें हो जाती हैं खराब

डाक्‍टरों का कहना है कि ब्‍लैक फंगस के कारण आंख की नसें पूरी तरह से खराब हो जाती है, जिसके कारण पूरीआंख को निकालना पड़ता है। अगर शुरुआत में भी लक्षण पता चल जाएं तो आंख को बचाया जा सकता है। पीजीआइएमएस रोहतक में ब्लैक फंगस के कारण चार मरीजों की आंखें निकाली जा चुकी हैं, जिनको केवल आíटफिशियल आंख ही लगाई जा सकती है, लेकिन रोशनी कभी नहीं लौट पाती है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. मारकंडेय आहूजा बताते हैं कि हरियाणा में ब्लैक व सफेद फंगस के करीब 750 केस अभी तक आए हैं। इनमें से 60 की रिकवरी हो गई और 600 का इलाज चल रहा है। कई ऐसे मरीज हैं, जिनकी आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन उनकी जिंदगी बचाने में चिकित्सक कामयाब हो गए।

उनका कहना है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद मरीज आंख दर्द, सिर दर्द सहित अन्य समस्या को नजरअंदाज करता है। यह लापरवाही भारी पड़ती है। कोरोना से ठीक होने के बाद यह फंगल इंफेक्शन पहले साइनस में होता है। दो चार दिन बाद आंखों तक पहुंच जाता है। इसके बाद ब्रेन में पहुंचता है। साइनस और आंख के बीच हड्डी होती है, आंख से ब्रेन के बीच हड्डी नहीं होने से यह तेजी से ब्रेन में पहुंचता है।

आíटफिशियल आंख लगाने का ही विकल्प

डा. मारकंडेय ने बताया कि ब्लैक फंगस के कारण पूरी आंख को निकालना पड़ता है ताकि ब्रेन में फंगस न पहुंच सके। ब्लैक फंगस के एडवांस स्टेज में शल्यक्रिया के बाद आंख न होने से लोग तनाव में आ जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए आíबटल प्रोस्थेसिसज या आकुलोफेसियल प्रोस्थेसिसज लगाने का विकल्प है। इससे मरीज को रोशनी तो नहीं मिलेगी लेकिन लोगों को उसके आंखों के नहीं होने का पता नहीं चलेगा।

इन बातों का रखना होगा ध्यान

कोरोना से ठीक हुए ऐसे मरीज जो कैंसर, मधुमेह, से पीडि़त हैं या कैंसर की दवा का सेवन करते हैं, ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस होने की आशंका अधिक रहती है। सिर दर्द, नाक में जकड़, आंख, नाक, चेहरे में दर्द, आंखों से धुंधला दिखना और कभी-कभी अचानक रोशनी समाप्त हो जाने जैसे लक्षण ब्लैक फंगस के सामने आ रहे हैं।

आधे चेहरे का सुन्न होना, दांत हिलना, नाक से लाल व काला पानी निकलना भी ब्लैक फंगस हो सकता है। ऐसा होने पर तुरंत विशेषज्ञ नेत्र रोग चिकित्सक और नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर जांच कराने में विलंब नहीं करना चाहिए।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.