मुख्यालय के आदेशों के बाद भी हिसार के कोविड अस्पताल से स्टाफ को नहीं बुलाया वापस
हिसार में मई महीने में कोरोना केस बढ़ने पर जिले में ऑक्सीजन की किल्लत हो गई थी। ऐसे में बेड की कमी को देखते हुए और ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए अस्पताल का निर्माण किया था। मगर अब केस कम होने के चलते यहां मरीज नहीं है।
जागरण संवाददाता, हिसार। हिसार में कोवडि के लिए बनाए गए अस्थाई 500 बेड के संजीवनी अस्पताल में मुख्यालय के आदेशों के बाद भी वहां से स्टाफ को नहीं बुलाया गया है। अभी भी बिना मरीजों के वहां पर डेढ़ सौ के करीब स्टाफ ड्यूटी दे रहा है। जिनमें चिकित्सक और स्टाफ कार्यरत है। जबकि पिछले 10 दिनों से वहां पर कोई मरीज दाखिल नहीं हुआ है। 23 जून को मुख्यालय के आदेश आए थे कि वहां से कुछ स्टाफ को छोड़कर बाकी को वापस बुला लिया जाए। लेकिन इसके बावजूद वहां पर अभी स्टाफ काम कर रहा है।
स्टाफ के वापस न आने के कारण सिविल अस्पताल सहित अन्य ईएसआई केंद्रों से स्टाफ की कमी की परेशानी उठानी पड़ रही है, जबकि संजीवनी अस्पताल में कोई मरीज दाखिल ना होने पर भी स्टाफ ड्यूटी दे रहा है। इस अस्पताल में प्रदेशभर के ईएसआई सेंटरों से चिकित्सकों व स्टाफ तथा सिविल अस्पताल से भी चिकित्सकों समेत अन्य स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई थी। हिसार में मई महीने में कोरोना केस बढ़ने पर जिले में ऑक्सीजन की किल्लत हो गई थी। ऐसे में बेड की कमी को देखते हुए और ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए अस्पताल का निर्माण किया था।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर स्वयं उपस्थित हुए थे। हालांकि इस अस्पताल के निर्माण के बाद जिले में कोरोना केस कम होते गए और अब तो सभी निजी अस्पतालों के भी बेड खाली हैं। जिले में रविवार को 75 एक्टिव मामले दर्ज हुए थे। इनमें से अधिकतर होम आइसोलेशन में उपचार ले रहे हैं। इसके चलते अब स्वास्थ्य विभाग ने कुछ अस्पतालों में बेड की संख्या कम भी की है। सिविल अस्पताल में भी बेड कम कर दिए गए है। वहीं गायनी वार्ड के स्पेस को खाली कर दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग तीसरी लहर से निपटने की तैयारी में जुट गया है। इसमें बच्चों के लिए खास तौर पर सुविधाओं का प्रबंध किया जा रहा है ताकि समय रहते संसाधन जुटाकर बच्चों का बचाव किया जा सके। मामले में सीएमओ का कहना है कि स्टाफ को बुलाने के आदेश जारी कर दिए हैं। जल्द ही स्टाफ को उनके निर्धारित केंद्रों पर भेज दिया जाएगा। तीसरी लहर से निपटने के लिए बच्चों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया जा रहा है और डाक्टरों को ट्रेनिंग के लिए रोहतक भेजा जाएगा, बच्चों के उपचार के लिए जरूरी सुविधाओं की कमी को पूरा किया जाएगा।