बिजली निगम के पांच SDO टर्मिनेट, सात एसडीओ को फिर बनाया जेई
डीएचबीवीएन के चार और एचबीवीएन का है एक एसडीओ 2010 में हुई थी नियुक्ति। एग्जाम क्लीयर नहीं करने वाले सात अन्य एसडीओ को डिमोट कर जेई नियुक्त किया
हिसार, जेएनएन। डिपार्टमेंटल अकाउंट एग्जाम (डीएई) क्लीयर नहीं करने पर बिजली निगम ने पांच एसडीओ को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। इन पांच एसडीओ में से एक एचबीवीएन का और चार डीएचबीवीएन के थे। ये सभी एसडीओ वर्ष 2010 में परीक्षा उत्तीर्ण कर नियुक्त हए थे। नौकरी के नौ साल बाद डिपार्टमेंटल एग्जाम क्लीयर नहीं करने पर निगम ने इनको वापस घर बैठा दिया है।
इतना ही नहीं बिजली निगम ने एग्जाम क्लीयर नहीं करने पर जेई से पदोन्नत हुए सात एसडीओ को डिमोट कर वापस जेई बना दिया है। इसमें एक-दो एसडीओ रिटायरमेंट के पड़ाव पर हैं। ऐसे में रिटायरमेंट होने के बाद इन्हें एसडीओ की बजाय जेई का ग्रेड पे व पेंशन मिलेगी। दूसरी ओर निगम के इस फरमान से निलंबित अधिकारियों के साथ सभी कर्मचारी भी हैरान हैं। बिजली निगम ने ऐसा पहली बार कोई कदम उठाया है।
ये होता है डिपार्टमेंटल अकाउंट एग्जाम
दरअसल बिजली निगम एसडीओ पद के लिए डिपार्टमेंटल एकाउंट एग्जाम लेता है। इस परीक्षा में चार तरह के पेपर होते हैं। पहला रेवेन्यू, दूसरा एक्ट, तीसरा सर्विस रूल आदि। हर एसडीओ को शुरू के आठ एग्जाम क्लीयर करने होते हैंं।
एसडीओ का आरोप- काम ज्यादा, इसलिए नहीं मिला समय
वहीं बिजली निगम से बर्खास्त एसडीओ का कहना है कि उनको विभाग की ओर से एग्जाम की तैयारी के लिए कोई अतिरिक्त समय नहीं जाता है। एसडीओ के पद पर वर्क लोड अधिक है। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले एसडीओ को होती है। काम के चक्कर में विभागीय एग्जाम का पता ही नहीं चल पाता। ऐसे में बिजली निगम को उन्हें मर्सी जांच देना चाहिए। वे कई सालों से निगम में नौकरी कर रहे हैं।
एसडीओ के निष्कासन के खिलाफ एचपीईए भड़की
दूसरी ओर हरियाणा पावर इंजीनियर एसोसिएशन (एचपीईए) हिसार जोन की एक गेट मीङ्क्षटग विद्युत सदन प्रांगण में हुई। इस मीङ्क्षटग में निगम प्रबंधन की ओर से पांच एसडीओ के बर्खास्तगी आदेश व सात एसडीओ के डिमोशन के आदेश के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया गया। इस गेट मीङ्क्षटग में हिसार व फतेहाबाद जिले के करीब 80 इंजीनियरों ने भाग लिया। इस दौरान ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के नॉर्थ जॉन के प्रधान व एचपीईए के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष केडी बंसल ने निगम प्रशासन से उक्त आदेश वापस लेने व एसडीओ को एक और अवसर (मर्सी चांस) देने की मांग की।