आंदोलन के कारण नेशनल हाइवे के साथ बने नाले हुए बदहाल, अब नहीं ली जा रही सुध
आंदोलन के दौरान पूरे बाईपास पर प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा लगा हुआ था। इस दौरान सड़कों पर तो कूड़ा कर्कट जमा हो गया था। वहीं नालों में भी गंदगी ठूस दी गई थी। अनेकाें जगहों पर नालाें के ऊपर से ट्रैक्टर भी इधर-उधर किए गए इनसे नालों के स्लैब टूट गए।
बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। बहादुरगढ़ में टिकरी बार्डर पर एक साल से ज्यादा समय तक चले आंदोलन के कारण नेशनल हाइवे-नौ के साथ बने नाले बदहाल हो गए। कई जगह स्लैब टूट गए। ऊपर से ये गंदगी से भी अट गए। जब बरसात होगी तो इनके जरिये पानी की निकासी ही संभव नहीं हो पाएगी। अभी तक स्थानीय स्तर पर संबंधित विभागों द्वारा इन नालों की सुध नहीं ली जा रही है। अभी तो बाईपास पर ही मिट्टी जमा है। वह पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है। ऐसे में नालों की सफाई तो अभी दूर की कौड़ी ही बनी हुई है।
नालों में भी पानी जमा होने से मच्छर पनपेंगे
दअरसल, आंदोलन के दौरान पूरे बाईपास पर प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा लगा हुआ था। इस दौरान सड़कों पर तो कूड़ा कर्कट जमा हो गया था। वहीं नालों में भी गंदगी ठूस दी गई थी। अनेकाें जगहों पर नालाें के ऊपर से ट्रैक्टर भी इधर-उधर किए गए, इनसे नालों के स्लैब टूट गए। फिर वहीं से नालों के अंदर कूड़ा-कर्कट भर दिया गया। अब ये नाले ज्यों की त्यों अवस्था में है। जब आंदोलन खत्म हुआ और प्रदर्शनकारियों ने वापसी का रुख किया, उसके बाद से ही सड़कों पर सफाई तो शुरू की गई, लेकिन नालों को नहीं छेड़ा गया। लोगों का कहना है कि इन नालों की मरम्मत की भी जरूरत है और सफाई की भी। बरसात के दिनों में इनसे पानी की निकासी नहीं हो पाई। वह पानी सड़क पर ही जमा रहेगा। नालों में भी पानी जमा होने से मच्छर पनपेंगे।
अभी भी उड़ रही धूल
टीकरी बार्डर से लेकर सेक्टर-नौ मोड़ तक और पूरे बाईपास पर इन दिनों धूल का गुबार है। शहरी हिस्से में तो फिर भी कुछ हद तक सफाई हो गई, लेकिन शहर से बाहर के एरिया में बाईपास पर सफाई न के बराबर है। ऐसे में वहां पर अभी भी धूल के कारण वाहन चालक परेशान हैं।