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खाद पानी की कमी और बदलते मौसम से गेहूं की फसल में आया पीलापन, किसान चिंतित

अधिकांश जगह खेतों में गेहूं की पौध पीले पड़ने लगी हैं। इससे किसानों की समस्या बढ़ गई है। किसान इस पीलेपन से निपटने के लिए कई तरह के जतन कर रहे हैं । जबकि कृषि अधिकारी पीलेपन के कई कारण बता रहे हैं।

By Pankaj KumarEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 12:45 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 12:45 PM (IST)
खाद पानी की कमी और बदलते मौसम से गेहूं की फसल में आया पीलापन, किसान चिंतित
खाद पानी की कमी के चलते गेहूं की फसल में आया पीलापन।

भिवानी/ढिगावा मंडी, जेएनएन। बदलते मौसम में फसलें फलफूल रही है तो कहीं नुकसान भी हो रहा है। किसानों ने बताया कि क्षेत्र के करीब 7000 से 8000 एकड़ गेहूं की फसल में पीलापन की शिकायत नजर आ रही है। इसी तरह की समस्या हिसार जिले समेत कई जगह नज़र आ रही है। इन दिनों किसान गेहूं में पीलापन की समस्या से परेशान हैं। अधिकांश जगह खेतों में गेहूं की पौध पीले पड़ने लगी हैं। इससे किसानों की समस्या बढ़ गई है। किसान इस पीलेपन से निपटने के लिए कई तरह के जतन कर रहे हैं । जबकि कृषि अधिकारी पीलेपन के कई कारण बता रहे हैं।

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 कृषि विशेषज्ञों ने बताए पीलापन के तीन कारण 

1. बदलते मौसम के कारण :-  दिन में तेज धूप और रात को सर्दी यह फसलों के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं  ।

2. सूक्ष्म तत्वों जैसे जिंक सल्फेट की कमी के लक्षण और कहीं-कहीं आयरन सल्फेट की कमी के लक्षण फसल के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

3. दीमक के प्रकोप से भी नुकसान होने की संभावना ।

 कृषि अधिकारी चंद्रभान श्योराण बताया कि इस बार बारिश अपेक्षाकृत कम हुई है। इस कारण गेहूं की फसल में यह समस्या दिखाई दे रही है। क्लोरोफिन की कमी के कारण यह पौधे पीले पड़ जाते हैं। लेकिन यदि पौधे की देखभाल सही तरह से करते हैं तो पौधों की यह समस्या कम हो सकती है।

 महावीर, संदीप श्योरान, महिपाल अमीरवास, पूर्व सरपंच रतन सिंह, योगेश अमीरवास,दिनेश जोशी,  राकेश, संदीप खरकड़ी, कृष्ण बड़दू आदि किसानों के अनुसार इस बार गेहूं के पौधे अपेक्षाकृत छोटे रह गए हैं। इसके लिए कोई मौसम को तो कोई पानी की कमी को जिम्मेदार मान रहा है। इस साल ठंड भी पिछले साल की अपेक्षा कम पड़ रही है । इस वजह से भी फसल में बढ़वार नहीं हो पा रहे हैं।

किसान यह करें उपचार

कृषि अधिकारी चंद्रभान श्योराण ने बताया कि गेहूं की खड़ी फसल में पीलापन होने के अनेक कारण हो सकते हैं परंतु सूक्ष्म तत्वों की कमी का होना जिसमें मुख्य रुप से जस्ते की कमी तथा दीमक का प्रकोप होना ही  हैं। खड़ी फसल में जस्ते की कमी के लक्षण प्रकट होने पर 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट (21 प्रतिशत) में 2.5 प्रतिशत यूरिया का घोल बनाकर 15 - 15 दिन के अंतर पर दो छिड़काव अवश्य करें। अगर दीमक का प्रकोप दिखाई देता है तो क्लोरोपुरीफोस (20 ई सी ) कीटनाशक 2 लीटर को 20 किलोग्राम रेत या मिट्टी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में एकसार छिड़ककर करके सिंचाई कर दें ।


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