कमाल की तकनीक, देसी गाय के गोबर से वैदिक प्लास्टर बना लाखों कमा रहे रोहतक के डॉ. शिव
रोहतक के डा. शिव दर्शन मलिक गोबर से तैयार प्लास्टर की देश व नेपाल में डिमांड है। यह प्लास्टर तापमान भी मेंंटेन करता है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने भी तारीफ की थी।
रोहतक [अरुण शर्मा] देसी गाय के गोबर से लाखों की कमाई की जा सकती है। रोहतक की भरत कालोनी निवासी डा. शिव दर्शन मलिक की नई सोच ने देसी गाय के गोबर से कमाई के तमाम फॉर्मूले तैयार किए हैं। डा. मलिक ने देसी गाय के गोबर से वैदिक प्लास्टर तैयार किया है। उष्मारोधी और मौसम के अनुकूल होने के कारण इस वैदिक प्लास्टर की देश के तमाम राज्यों के साथ ही नेपाल में प्रति माह 400 टन तक की मांग है। इन्होंने घरों में प्राकृतिक रंग भी ईजाद किए हैं। कुछ माह पहले देसी गाय के गोबर से ईंट भी तैयार की हैं। इन सभी के परिणाम बेहतर आए हैं। लेकिन लेंटर वाली छत का ट्रायल अभी सफल नहीं हो सका है।
1995 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से केमिस्ट्री में पीएचडी करने वाले डा. शिव मूल रूप से मदीना गांव के रहने वाले हैं। एक इंजीनियर कालेज में प्रोफेसर थे। वह नौकरी छोड़ी और बाद में एक बैटरी के लिए शीशे तैयार करने वाली कंपनी में काम करने लगे। हालांकि सेहत खराब रहने लगी तो नौकरी छोड़ दी। उन्होंने खुद की फैक्टरी भी चलाई। वैदिक प्लास्टर तैयार करने की घटना के बारे में बताया है कि गांव में कच्चा घर था। मां वेद कौर को बचपन में पीली मिट्टी और गोबर से लिपाई करते हुए देखा। बाद में घर पक्का बन गया।
बाद में रोहतक स्थित भरत कालोनी में रहने लगे। साल 2000 में गर्मियों के दौरान बिजली के कट अधिक लगे। मैं छत के ऊपर चला गया। जबकि पत्नी और बच्चे गर्मी से बेहाल हो गए। तब मुझे गांव वाले दिन याद आए और मां के हाथों वाली लिपाई याद आई। इन्होंने बताया है कि जब मां लिपाई करती थी कि उसमें एक दिक्कत यह होती थी कि लिपाई के बाद दरारें आ जाती थीं। इसलिए मैंने यही सोचा है कि कोई ऐसा प्लास्टर होना चाहिए कि इसमें दरारे न आएं। फिर तमाम तरीके खोजते रहे।
अमेरिका में भांग के पेड़ से तैयार घर देखे तब किया वैदिक प्लास्टर तैयार
डा. शिव साल 2019 में हरियाणा कृषि रतन से सम्मानित हो चुके हैं। इन्होंने इंग्लैंड, ईरान, रूस, अमेरिका, नीदरलैंड के अत्याधुनिक घरों को देखा है। नए घर ईंधन की भट्ठी की तरह गर्मियों में तपते हैं। यह भी कहा है कि अमेरिका में एक बार मैंने भांग के पेड़ में चूने के टुकड़े मिश्रित हैप्पक्रीट विधि से घर तैयार होते हुए देखे। तब आइडिया मिला कि मैं भी वैदिक प्लास्टर तैयार कर सकता हूं। शीलाबाईपास चौक के निकट खुद का वैदिक प्लास्टर, प्राकृतिक रंगों वाला कार्यालय तैयार किया।
इस तरह तैयार किया वैदिक प्लास्टर
वैदिक प्लास्टर तैयार करने के लिए 10 फीसद गोबर, 70 फीसद जिप्सम, 15 फीसद रेतीली मिट्टी होनी चाहिए। वहीं, पांच फीसद ग्वार का गम व नींबू के रस के पाउडर का उपयोग करते हैं। ग्वार के गम से प्लास्टर में चिकनाई आती है। प्लास्टर में 30 रुपये प्रति वर्ग फीट तक का खर्चा आता है। इसकी खासियत यह है कि पानी डालने पर खुश्बू आती है। मजदूर का खर्चा कम होता है। हानिकारक धुएं को सोखने की क्षमता भी है। नुणी व सीलन नहीं होती। वायु प्रदूषण को सोखने में भी सक्षम है।
प्राकृतिक रंगों व ईंटों को भी किया तैयार
जयपुर के रहने वाले डा. मनोज दूत के साथ डा. शिव ने घरों में उपयोग होने वाले प्राकृतिक रंगों को तैयार किया है। इसमें चूना, रंगीन मिट्टियां और ग्वार का गम मिलाते हैं। बाजार में मिलने वाले कलर से करीब 20 फीसद कम रकम खर्च होती है। वहीं, अंबाला की रहने वाली वाणी गोयल के साथ देसी गाय के गोबर से ईंट बनाना शुरू किया है। यह आग से जलती नहीं और पानी में गलेंगी नहीं। वजन भी महज एक से सवा किग्रा तक होता है। खर्चा भी महज चार रुपये प्रति ईंट आ रहा है।
डा. कलाम ने की थी तारीफ, कई केंद्रीय मंत्री भी मुरीद
डा. शिव के पास फिलहाल तीन गाय और बैल है। इन्हीं से प्राप्त गोबर से रिसर्च करते हैं। जबकि प्लास्टर व ईंटों को तैयार करने के लिए बीकानेर में प्लांट लगाया। साल 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति भवन बुलाया था। साल 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ने हरियाणा कृषि रतन से सम्मानित किया था। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी डा. शिव के खोज से प्रभावित हैं। इनकी खूबियों को जानने के लिए वैदिक प्लास्टर से तैयार आफिस को देखने के लिए 2019 में आए।
वैदिक प्लास्टर, ईंट व प्राकृतिक रंगों के यह हैं फायदे
- गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गरम रहेगा आवास।
- हानिकारक धुएं को सोखने में कारगर साबित होगा।
- रेडिएशन प्रूफ होगा, यहां रेडिएशन नहीं होगा।
- सीमेंट से कई साल अधिक चलने वाला।
- दुर्गंध को भी सोखने में सक्षम रहेगा।
- बेहतर अर्थव्यवस्था में भी कारगर साबित।