लॉकडाउन ने सिखा दिया जीने के लिए थोड़े की जरूरत : डा. कीर्ति गोयल
जागरण संवाददाता हिसार भागदौड़ भरी जिदगी में अचानक लगे ब्रेक ने कई लोगों के मानसिक स्वा
जागरण संवाददाता, हिसार : भागदौड़ भरी जिदगी में अचानक लगे ब्रेक ने कई लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में कई घरों में लोगों के बीच चिता, डर, घर में अकेलेपन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है। ऐसे माहौल में अपने तनाव से कैसे मुक्ति पाएं, इस बारे में दैनिक जागरण के हेलो जागरण कार्यक्रम में विशेषज्ञ कम्यूनिकेशन स्किल्स ट्रेनर डा. कीर्ति गोयल ने जनता से सवालों के जवाब दिए। डा. कीर्ति ने बताया कि लॉकडाउन में नजरिया बदलकर सकारात्मक सोच के साथ कुछ नया करने की कोशिश आपको कैसे तनाव से मुक्ति दिला सकती है। उन्होंने दैनिक जागरण के हेलो जागरण कार्यक्रम में जनता से सवालों के जवाब दिए।
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सवाल : काम मंदा है। कोरोना केस बढ़ने से चितित हूं। तनाव बढ़ रहा है। मैं क्या करूं। (पलमंबर सतपाल निवासी चंदन नगर)
जवाब : अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करें। जैसे सुबह उठते थे, वैसे ही उठें। घर का जो काम कर सकते हैं, करें। घर का काम नहीं करना चाहते तो जबरदस्ती मत करें लेकिन अखबार में कोरोना न्यूज के अलावा दूसरी ज्ञानवर्धक न्यूज पढ़ें। बच्चों से उनपर बातचीत करें। जीवन जीने के लिए थोड़े की जरूरत है, उतना आपके पास है। ऐसे में ये सोचें कि भागदौड़ भरे जीवन में छुट्टी लेकर बच्चों के साथ समय बीता रहे हैं।
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सवाल : मेरे दोनों बच्चे डाक्टर हैं। प्रतिदिन जॉब पर जाते हैं। उनकी सुरक्षा को लेकर चिता रहती है। कैसे चिता खत्म करूं। (गृहिणी संगीता, सेक्टर-13)
जवाब : आपको गर्व होना चाहिए। यदि बच्चे नियमित अपनी ड्यूटी पर जा रहे हैं तो वे अब अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझ रहे हैं। जीवन को सार्थक बना रहे हैं। आप उनका मनोबल बढ़ाए। हौसले की थपकी दें। चिता करने के बजाय उन्हें सुरक्षा की हिदायत दें। साथ ही घर पर रहते हुए कुछ नया बनाने का प्रयास करें, जिससे बच्चों का भी मनोबल बढ़े। इससे आपको भी खुशी मिलेगी और चिता मुक्त होंगी।
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सवाल : छोटे बच्चे हैं, शरारती है। देर से उठते हैं, मानते नहीं। मैं क्या करूं। (गृहिणी पूजा, मिलगेट)
जवाब : थोड़ा फ्लैशबैक में जाएं। जब हम बच्चे होते थे और छुट्टी में नानी के घर जाते थे तो क्या हम समय पर उठते थे। बच्चों का भविष्य सेफ है। यह बेस्ट टाइम है बेस्ट मॉम बनने का। शरारतों को एन्जाय करें। यह समय पलक झपकते ही बीत जाएगा। बच्चों के साथ बच्चा बनकर देखें। उन्हें अपने साथ जोड़ें। वे इस पल में परिवार का महत्व समझेंगे।
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सवाल : बच्चे घर पर हैं। खेलकूद के लिए बाहर नहीं जा पा रहे। घर पर सब बदल गया है। ऐसे में क्या करें। (अवनीश गुप्ता, अर्बन एस्टेट)
जवाब : परिवार को प्रेम व भावना में बांधने व मजबूती देने का यह बेस्ट समय है। आज के बच्चे पुराने जमाने के खेलों से दूर हैं। उन्हें उन खेलों से जोड़ सकते हैं। बच्चों को घरेलू काम से भी जोड़कर उन्हें कुछ सीखा सकते हैं। ऐसे में आप उनसे भावनात्मक और प्रेम के बंधन को मजबूत करने के साथ ही उन्हें नया सिखा सकते हैं। जो उनसे आपको भावनात्मक तौर पर जोड़े रखेगा।
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सवाल : मैम मैं 12वीं के बाद दो साल से कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयार कर रहा हूं। भविष्य अनिश्चित दिख रहा है जिससे स्ट्रेस में रहता हूं, क्या करूं? ( राहुल वर्मा, 9-11 सेक्टर)
जवाब : यह मुश्किल वक्त है। हमें केवल अपने ऊपर ध्यान केंद्रित नहीं रखना है। हम घर और देश के लिए इस मुश्किल घड़ी में क्या योगदान दे सकते हैं, उस पर विचार करें। मैं को छोड़कर यह समय हम की बात करने का हैद्ध भविष्य कहीं नहीं गया है सब चीजें यथावत वहीं पर खड़ी हैं। एक बात और, अपना डेली रूटीन न छोड़ें, अच्छी नींद ले। पौष्टिक खाना खाएं, एक्सरसाइज करें। खाली समय में घर के कामों में मदद करें और कुछ नया सीखें।
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सवाल : काम बंद हैं। घर में रहकर टेंशन में हूं। इसमें क्या करूं? (ऑटो संचालक दीपक, विद्युत नगर)
जवाब : लॉकडाउन ने सीखा दिया कि जीवन जीने के लिए थोड़े की जरूरत है। आपने कई बार सोचा होगा कि बच्चों के साथ कई दिन की छुट्टी कहीं बाहर मनाऊं। लेकिन रोजी-रोटी के चक्कर में कर नहीं पाए। सोच लीजिए अब आप छुट्टी पर हैं। इस मुश्किल वक्त पर हमारा बस नहीं है। ऐसे में अपना हौसला न तोड़ें। आपका हौसला टूटने का असर बच्चों पर होगा। इसलिए इन दिनों को घर पर परिवार के साथ एन्जाय करें जैसे कि आप छुट्टियां बीता रहे हैं। यह सोच आपको टेंशन से मुक्ति देगी।
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सवाल : पती नहीं है। बेटा अपने आप में बिजी रहता है। मैं तनाव में रहती हूं क्या करूं। (गृहिणी लक्ष्मी, सेक्टर 9-11)
जवाब : बेटा आपका चेहरा देखकर चलता है। वह शब्दों से बोले या न बोले। उसे आपकी चिता है। रही बात घर पर रहकर तनाव कैसे दूर करे तो यह वक्त कुछ नया सीखने का है। संगीत सीखें। नए व्यंजन बनाना सीखें। बेटे से उसकी पंसद के व्यंजन पूछें और उन्हें उसके साथ मिलकर बनाएं। बेटे को घर के काम से जोड़े और उससे नया सीखने में अपने सवाल उससे पूछें। उसकी रुचि घर के काम में बढ़ेगी तो आपका तनाव भी खत्म हो जाएगा। सकारात्मक सोच तनाव खत्म करने का सबसे बेहतर रास्ता है।
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सवाल : कोरोना के कारण जॉब पर जाते समय मन में डर लगता है। स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगा है। क्या करूं? (विनय, पीएलए)
जवाब : कोरोना को लेकर आपका डर जायज है, लेकिन डर को अपने ऊपर हावी न होने दें। नई टेक्नोलॉजी को समझे और उसे सीखने में भी अपना समय बिताएं। हर दिन कुछ नया करने की सोचें और धैर्य के साथ अपना काम करें। आपके विचार आपके शरीर को प्रभावित करते हैं। सकारात्मक सोच के साथ बिना भयभीत हुए काम करेंगे तो चिड़चिड़ापन खत्म होगा। शरीर को नई ऊर्जा मिलेगी।