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कुत्तों की भी चमकती है किस्मत, बहादुरगढ़ से 2 अमेरिका और 1 पहुंचा कनाडा, जानेंं पूरा मामला

हरियाणा के बहादुरगढ़ के युवाओं की टीम कुत्तों को बचाने और उन्हें सुरक्षित ठिकाना तलाशनेे की मुहिम में जुटी हुई है। यह विदेशों में ऐसे लोगों की तलाश करते हैं जो डॉग लवर्स हों और फिर कुत्तों को वहां भिजवाते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 10:49 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 10:49 AM (IST)
कुत्तों की भी चमकती है किस्मत, बहादुरगढ़ से 2 अमेरिका और 1 पहुंचा कनाडा, जानेंं पूरा मामला
बहादुरगढ़ से विदेश भेजे गए कुत्ते। जागरण

जेएनएन, बहादुरगढ़। किस्मत केवल इंसानों की ही नहीं, बल्कि कुत्तों की भी चमकती है। ऐसा नहीं होता तो किसी सड़क या कूडे़ के ढेर में जख्मी और बीमारी की हालत में पड़े कुत्ते आज ठीक होकर विदेश में किसी परिवार के सदस्य की तरह नहीं रह रहे होते, लेकिन इनकी ऐसी किस्मत चमकने के पीछे एक कारण है। वो यह कि इन कुत्तों पर अच्छाई की नजर पड़ गई थी। फिर क्या था, इनका इलाज भी हुआ और जहां इंसान जाने काे तरसते हैं ये वहां जा पहुंचे।

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ये कहानी है ऐसे तीन कुत्तों की जिनमें से आज दो तो न्यूयार्क में है और एक कनाडा में। बहादुरगढ़ में पशु प्रेमी युवाओं की एक टीम ऐसे प्राणियों के लिए काम कर रही है। इसी टीम की बदाैलत इन कुत्तों को विदेश का परिवार मिला। सड़क पर जख्मी हालत में मिलने वाला कोई भी जीव हो, यह टीम उसकी मदद करती है। पहले ऐसे जीवों का इलाज करवाती है। फिर सोशल मीडिया के जरिये उन्हें विदेशों में गोद देने का प्रयास करते हैं। हाल ही में तीन ऐसे कुत्तों कोे यह टीम सीधे तौर पर विदेश पहुुंचाने में सफल रही है, जबकि तीन-चार ऐसे मामलों में इस टीम ने कुत्तों को अप्रत्यक्ष तौर पर परदेश पहुंचाया है।

केस : 1

टीम के सदस्य बहादुरगढ़ के मंजीत सहरावत डीएमआरसी में कार्यरत हैं। उन्हें अक्टूबर 2019 मेें दिल्ली में ड्यूटी से आते समय सड़क पर जख्मी दो पिल्ले मिल गए। वे उन्हें घर ले आए। पहले तो उन्होंने और टीम के सदस्यों ने मिलकर उनका इलाज कराया। जब ठीक हो गए तो न्यूयार्क और कनाडा में फेसबुक और वाट्सएप के जरिये अपने परिचितों से संपर्क किया। न्यूयार्क का एक परिवार इन्हें गोद लेने के लिए तैयार हो गया। टीम ने 50 हजार रुपये एकत्रित किए और उन्हें न्यूयार्क भिजवा दिया।

केस : 2

दिल्ली के ही प्रीतमपुरा में मंजीत को कूड़े के ढेर में एक पिल्ला मिला। वह मरणासन्न हालत में था। उसे खतरनाक बीमारी थी। उसे भी वे अपने साथ ले आए। पहले उसका इलाज करवाया और फिर उसे भी इसी तरह गोद देने का प्रयास किया। इस बार कनाडा का परिवार आगे आया और उसे अपने खर्च पर वहां बुला लिया।

इसलिए करते हैं बेजुबानों की मदद

दरअसल, जिस तरह से बहादुरगढ़ में मंजीत सहरावत, प्रदीप रेढूृ और उनकी टीम के काफी सदस्य बेेेेजुबानों प्राणियों की मदद करते हैं और उन्हें परिवार के सदस्य की तरह रखते हैं, इसी तरह के प्रयास विदेशों में भी खूब हाेते हैं। वहां पर रह रहे पशु प्रेमी ऐसे कुत्तों और दूसरे पशुओं को अपने साथ रखना पसंद करते हैं, जिसका जीवन बेहद दुश्वारियों भरा रहा हो। जिसने बीमारी या किसी घटना में तकलीफ झेली हो और मुश्किल से ठीक हो पाया हो।

ऐसे पशुओं को लेकर विदेशी लोगों का सोचना है कि जिस बेजुबान ने जितनी तकलीफ सही है, उसे आगे का जीवन उतना ही आरामदायक मिले तो शायद उसकी तृप्ति हो पाए। इधर, मंजीत सहरावत के पास उनके घर और आसपास में आज भी 27 कुत्ते हैं। इनमें से 20 तो ऐसे हैं जिनका उन्होंने इलाज करवाया और अब उनको कहीं न कहीं गोद दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। वे कहते हैं कि कुत्ता, गधा, घोड़ा और दूसरे पशु इंसानों की अलग-अलग तरीकों से खूब मदद करते हैं, इसलिए इंसानों को भी इनके प्रति उतना ही उदार और दयावान होना चाहिए।


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