World Diabetes Day: सावधान ! आंखों की रोशनी छीन सकता है मधुमेह, जानें बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके
मधुमेह के कारण रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली महीन नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे रेटिना पर वस्तुओं का चित्र सही से या बिल्कुल भी नहीं बन पाता है। इसी समस्या को मधुमेह रेटिना पैथी कहते हैं। अगर सही समय से इसका इलाज न किया जाए
विक्रम बनेटा, रोहतक। मधुमेह कोई साधारण बीमारी नहीं है, इसके शुरु होते ही यह धीरे-धीरे करके आपकी आंखों पर प्रभाव डालना शुरु कर देती है। अधिकाशं मरीजों को उनकी आंखों में दिक्कत का पता उस समय लगता है, जब उनकी आंखे करीब 40 फीसद तक खत्म होने वाली होती हैं। ऐसे में मधुमेह का पता चलते ही तुंरत अपनी आंखों की जांच करवानी चाहिए। यह कहना है रोहतक पीजीआइ स्थित क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्था की चिकित्सक व रेटिना विभाग की है डा. मनीषा नाडा का। नाडा के अनुसार मधुमेह दो प्रकार का होता है। मधुमेह का टाइप वन छोटे बच्चों पांच से दस साल तक को जकड़ता है। वहीं टाइप टू में करीब 40 साल से अधिक लोगों को रोगी बनाता है।
मधुमेह से ऐसे होता है रेटिना पैथी रोग
मधुमेह के कारण रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली महीन नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे रेटिना पर वस्तुओं का चित्र सही से या बिल्कुल भी नहीं बन पाता है। इसी समस्या को मधुमेह रेटिना पैथी कहते हैं। अगर सही समय से इसका इलाज न किया जाए तो रोगी अंधेपन का शिकार हो सकता है। इसका खतरा 20 से 70 साल के लोगों को ज्यादा होता है। शुरू-शुरू में इस बीमारी का पता नहीं चलता। जब आंखें इस बीमारी से 40 फीसदी तक ग्रस्त हो जाती हैं। मधुमेह जितने लंबे समय तक रहता है, मधुमेह रेटिना पैथी की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है।
क्षतिग्रस्त हो जाती हैं रक्त नलिकाएं
मधुमेह की वजह से शरीर का इंसुलिन प्रभावित हो जाता है। यही इंसुलिन ग्लूकोज को शरीर में पहुंचाता है। जब इंसुलिन नहीं बन पाता या कम बनता है तो ग्लूकोज कोशिकाओं में नहीं जा पाता और खून में घुलता रहता है। इसी कारण खून में शुगर का लेवल बढ़ता जाता है। यही खून शरीर के सभी हिस्सों तक पहुंचता है। हाई शुगर के साथ रक्त जब लगातार फ्लो करता है तो इससे रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
कमजोर होती हैं आंखों की नलिकाएं
आंखों की रक्त नलिकाएं शरीर में सबसे ज्यादा नाजुक होती हैं इसलिए ये सबसे पहले प्रभावित होती हैं। रक्त नलिकाओं के फटने से रिसने वाला रक्त कई बार रेटिना के आसपास इकट्ठा होता रहता है, जिससे आंखों में ब्लाइंड स्पाट भी बन सकता है।
बीमारी के लक्षण
चश्मे का नंबर बार-बार बढ़ना
आंखों का बार-बार संक्रमित होना
सुबह उठने के बाद कम दिखाई देना
सफेद या काला मोतियाबिंद
आंखों में खून की शिराएं या खून के थक्के दिखना
रेटिना से खून आना
सिर में दर्द रहना
अचानक आंखों की रोशनी कम हो जाना
बचाव के तरीके
मधुमेह का पता चलते ही ब्लड शुगर और कैलोस्ट्राल की मात्रा को कंट्रोल करें।
सामान्य लोगों को साल में एक-दो बार आंखों की जांच करवानी चाहिए।
जिन्हें आठ से दस साल से मधुमेह है उन्हें हर तीन महीने में आंखों की जांच करवानी चाहिए।
अगर आपको आखों में दर्द, अंधेरा छाने जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डाक्टर से मिलें।