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Bhiwani News: 450 फीट पर बने 850 साल पुराने पहाड़ी माता मंदिर में इस नवरात्र डेढ़ साल बाद भरेगा मेला

पहाड़ी माता देवी मंदिर और इसके प्रति गहरी आस्था ने गांव पहाड़ी को देशभर ही नहीं विदेशों में भी पहचान पाई है। गांव पहाड़ी की ऊंची पहाड़ी पर स्थित पहाड़ी माता का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 02:51 PM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 02:51 PM (IST)
Bhiwani News: 450 फीट पर बने 850 साल पुराने पहाड़ी माता मंदिर में इस नवरात्र डेढ़ साल बाद भरेगा मेला
शारदीय नवरात्र में मां भगवती की साधना करने वाले श्रद्धालु सप्तशती पाठ की तैयारी में जुटे

भिवानी/ढिगावा मंडी, जागरण संवाददाता। शक्ति की अधिष्ठात्री मां देवी की आराधना का महाव्रत नवरात्र गुरुवार से शुरू हो रहा है। इस बार नवरात्र आठ दिनों का है। पंचमी और पष्ठी तिथि एक ही दिन है। शारदीय नवरात्र में मां भगवती की साधना करने वाले श्रद्धालु सप्तशती पाठ की तैयारी में जुटे हैं। कोरोना के कारण 2020 के शारदीय नवरात्र में मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा था। लेकिन, इस बार अनलॉक में नवरात्र के पहले दिन पाठ शुरू होते ही देवी मंदिरों से लेकर घरों में सप्तशती पाठ के मंत्र गूजने लगेंगे। पहाड़ी माता मंदिर को  सजाने-संवारने का काम अंतिम चरण में है।

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हजारों श्रद्धालु पहुंचे हैं दर्जन करने के लिए

पहाड़ी माता देवी मंदिर और इसके प्रति गहरी आस्था ने गांव पहाड़ी को देशभर ही नहीं विदेशों में भी पहचान पाई है। गांव पहाड़ी की ऊंची पहाड़ी पर स्थित पहाड़ी माता का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना रहता है। यह गांव जिला हेड क्वार्टर भिवानी से 57 किलोमीटर दूर लोहारू हलके में स्थित है। गांव पहाड़ी के पहाड़ पर स्थित प्रसिद्ध पहाड़ी माता मंदिर है जो कि करीब 850 वर्ष पुराना बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पांडव भी अज्ञातवास के दौरान यहां से निकलते समय माता के दर्शनों के लिए ठहरे थे। पहाड़ी माता मंदिर की मान्यता इस कदर है कि नवरात्रों के दौरान देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं। हजारों श्रद्धालु प्रत्येक वर्ष नवरात्रों के समय अलग-अलग राज्यों से पैदल जत्थे के रूप में पहाड़ी माता पहुंचते हैं वहीं श्रद्धालु कोलकाता, दिल्ली, असम , सिलीगुड़ी, गोवा, बैंगलुरू से छपारिया, काजड़िया, नकीपुरिया परिवारों के भक्तजन माता दर्शन को पहुंचते हैं।

खास बात यह है कि माता के चरणों में सबसे अधिक धोक लगाने नवविवाहित जोड़े आते हैं। बच्चों के प्रथम मुंडन के लिए भी भीड़ उमड़ती है। राजस्थान की सीमा से सटे लोहारू आसपास के क्षेत्र के गांवों में कुलदेवी के रूप में पहाड़ी माता की मान्यता है।

श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए हैं मूलभूत सुविधाएं

पहाड़ी माता अतिथि सदन के कर्मचारी ईश्वर सिंह ने बताया कि मंदिर परिसर में ही बाहर से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए सभी सुख-सुविधाओं से युक्त 46 धर्मशालाएं बनी हुई हैं। जहां पर चाय, पानी, नहाने, धोने, खाने, पीने के लिए सेठ लोगों ने व्यवस्था कर रखी हैं सभी सुविधाएं श्रद्धालुओं को निशुल्क मुहैया कराई जाती है।

400 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना है मंदिर

मंदिर के पुजारी पंडित विशंभर ने बताया कि नवरात्र के अवसर पर प्रतिवर्ष लाखों लोग देशभर से यहां माता के चरणों में शीश नवाने के लिए आते हैं। गांव में स्थित 400 फीट ऊंची पहाड़ी पर माता की भव्य प्रतिमा भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु माता के मन्दिर में मनोकामनाएं लेकर आते हैं, उनकी मनोकामनाएं माता के दर्शन से पूरी हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि एक उल्लेख के अनुसार दिल्ली के तोमर वंश के राजा पहाड़ी माता की पूजा व आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां आते थे। पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान यहां से निकलते समय माता के दर्शनों के लिए ठहरे थे।

सुरक्षा व्यावस्था के लिए फील्ड स्टाफ की ड्यूटी लगाई

एसडीएम जगदीश चंद्र ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई है, जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे है, पुलिस जवान, सिक्योरिटी गार्ड, एंबुलेंस, मेडिकल स्टाफ, फायर ब्रिगेड की टीम सहित फील्ड स्टाफ की ड्यूटी लगा दी गई है। 


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