विभागों में मेल नहीं होने से बिगड़ी विकास की ताल, जानें कहां कैसे अटका है काम
नगर निगम हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण बीएंडआर जन स्वास्थ्य विभाग और बिजली निगम में आपसी तालमेल नहीं है। इसी तालमेल की कमी के कारण जनसुविधाओं के काम बुरी तरह से प्रभावित हुए।
हिसार, जेएनएन। सालों से सरकारी विभागों के बीच आपसी लड़ाई चली आ रही है। कभी-कभी होने वाली तालमेल कमेटी में ही उपायुक्त के सामने ही यह अधिकारी आपसी तालमेल दिखाते हैं। मगर, अधिकारियों का यह तालमेल बैठक कक्ष के बाहर आने के साथ ही खत्म हो जाता है। इसी तालमेल की कमी के कारण मुख्यमंत्री की घोषणाओं से आया पैसा भी सही तरह से खर्च नहीं हो पा रहा है। पिछले कुछ माह में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें विकास कार्यों के नाम पर जरूरत से ज्यादा पैदा खर्च किया जा चुका हैं।
नगर निगम, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, बीएंडआर, जन स्वास्थ्य विभाग और बिजली निगम में आपसी तालमेल नहीं है। इसी तालमेल की कमी के कारण जनसुविधाओं के काम बुरी तरह से प्रभावित हुए।
इसका अंदाजा इसकी बात से लगाया जा सकता है कि रेड स्क्वेयर मार्केट की ग्रीन बेल्ट का सुंदरीकरण नगर निगम और एचएसवीपी विभाग के आपसी तालमेल की कमी से नहीं हो पाया। नगर निगम को सेक्टरों की ग्रीन बेल्ट की रख रखाव की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन नगर निगम अधिकारियों ने बिना एचएसवीपी विभाग से अनुमति अपनी मनमर्जी चलाने में लगे हुए है।
इसी कड़ी में निगम अधिकारियों ने चार माह पहले बीकानेर चौक पर मुख्य ग्रीन बेल्ट का 10 लाख रुपये का टेंडर लगा दिया। एचएसवीपी विभाग के अधिकारियों ने इस टेंडर पर आपत्ति जता दी। जिसके बाद नगर निगम अधिकारियों ने टेंडर को कैंसिल कर दिया। परंतु नियमानुसार नगर निगम ने यह पैसा एचएसवीपी विभाग को नहीं भेजा। इसी के परिणाम स्वरूप इस ग्रीन बेल्ट का सुंदरीकरण नहीं हो पाया। आज भी यहां पर रेहड़ी और रोटी बैंक का कब्जा है।
मामला एक : रोटी बैंक के कब्जे को देखते हुए सीएम ने दिए थे दस लाख
रेड स्क्वेयर मार्केट में सालों पहले बनी ग्रीन बेल्ट पर रोटी बैंक ने कब्जा किया हुआ हैं। रोटी बैंक को लेकर समाजसेवी संस्थाओं ने विरोध जताया था और ग्रीन बेल्ट से कब्जा हटाने की मांग की थी। जन परिवाद समिति की बैठक जन स्वास्थ्य मंत्री बनवारी लाल के सामने यह मामला उठा था। जिसमें आदेश दिए गए थे कि रोटी बैंक दो माह के अंदर अपने लिए कोई ओर जगह तलाश ले। वहीं, मुख्यमंत्री से ग्रीन बेल्ट के विकास को लेकर पैसा मांगा गया था और दस लाख रुपये ग्रांट के तौर पर आ गए। मगर, नगर निगम अधिकारियों की गलती के कारण यह पैसा अब तक प्रयोग नहीं हो पाया है।
मामला दो : पुराना राजकीय कॉलेज मैदान की बाउंड्री बनाने पर हुआ था विवाद
पुराना राजकीय कॉलेज मैदान एचएसवीपी विभाग के अंतर्गत आता है। मगर, नगर निगम ने मुख्यमंत्री की घोषणा के नाम पर 47 लाख 91 हजार 444 रुपये में दीवार, धौलपुर और गेट बनाए गए थे। एचएसवीपी विभाग के पेडस्टियल प्लाजा की जमीन पर निर्माण कार्य करने का विरोध एचएसवीपी विभाग के अधिकारियों ने जताया था। उन्होंने निगम अधिकारियों को खरी-खरी सुनाई थी। बाद में निगम अधिकारियों ने भाजपा नेताओं को अपना दर्द बताया और भाजपा नेताओं ने एचएसवीपी विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर मामले को शांत करवाया।
मामला तीन - ग्रीन पार्क एरिया पेयजल लाइन
ग्रीन पार्क एरिया में दूषित पेयजल सप्लाई हो रही है। जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पुरानी पेयजल लाइन बदलने को तैयार है। लेकिन उन्होंने टूटी सड़क को ठीक करने से इन्कार कर दिया। लोगों के अनुसार विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सड़क बनाने का काम नगर निगम करेगा। वह लाइन डाल देंगे। वहीं, नगर निगम अधिकारियों ने लोगों को सड़क बनाने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि जो पब्लिक हेल्थ विभाग की तोड़ी गई सड़क का निर्माण करेगा। ऐसे में लोगों को दूषित पेयजल सप्लाई से ही काम चलाना पड़ रहा है।
मामला चार - राजगढ़ रोड पेयजल लाइन
राजगढ़ रोड पर 20 दिन पहले बीएंडआर विभाग ने इंटरलाकिंग टाइल लगाकर फुटपाथ बनाया था। उन्होंने भी नगर निगम की टाइलों को उखाड़कर पैसा बर्बाद किया था। ऐसे में जन स्वास्थ्य विभाग ने एस्ट्रोटर्फ के लिए पेयजल लाइन डालने के लिए इंटरलॉकिंग टाइलें खोद डालीं। जबकि नियमानुसार इंटरलॉकिंग लगाए जाने से पहले पेयजल लाइन डाली जानी थी।
मामला पांच : कप्तान स्कूल एरिया में पेयजल लाइन
कप्तान स्कूल के साथ लगती दो गलियों का निर्माण नगर निगम अधिकारियों ने कुछ समय पहले ही करवाया था। जहां पर अब जन स्वास्थ्य विभाग ने लाइन डालने का काम शुरू कर दिया है। इस कारण दोबारा सड़क बनाने पर लाखों रुपये खर्च होगा।
मामला छह - बरवाला चुंगी बरवाला चौक टाइल मामला
साल 2016 में नगर निगम ने बरवाला चुंगी से बरवाला चौक तक बनी सड़क के दोनों और इंटरलॉङ्क्षकग टाइलें लगाई थी। नगर निगम ने 70 लाख रुपये के आस पास पैसा खर्च किया था। उस समय बीएंडआर विभाग के अधिकारियों ने कोई आपत्ति नहीं जताई। पांच माह पहले टाइलों के लेवल के नाम पर नई टाइलें लगाने का टेंडर लगा दिया। इस काम को सात करोड़ रुपये के टेंडर में ले लिया गया। जिससे किसी को इस काम की भनक नहीं लगे। इस मामले में आज तक कोई जांच नहीं हुई है।
दूसरे विभागों से जुड़े काम हम नहीं करवा सकते हैं। जब तक संबंधी विभाग से लिखित अनुमति नहीं मिलती है। ग्रीन बेल्ट का पैसा दूसरे विभाग को ट्रांसफर किया जाना चाहिए था। ताकि विकास कार्य होता। सभी विभागों के साथ तालमेल काम करना चाहिए।
अशोक गर्ग, निगम आयुक्त