हिसार में डेंगू का प्रकोप : प्राइवेट से लेकर सरकारी अस्पताल फुल, सरकार का 500 बेड की संजीवनी खाली
प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक डेंगू संक्रमित इस बार मिले हैं। सिर्फ यह नहीं बल्कि हिसार में तीन साल बाद इतने डेंगू के एक्टिव केस सामने आए हैं। हालात ऐसे हैं कि सिविल अस्पताल में एक-एक बेड पर दो-दो मरीज हैं
जागरण संवाददाता, हिसार। कोविड के बाद डेंगू भी एक नई महामारी बनकर उभरा है। हालांकि सरकारी विभागों की दृष्टि में आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की गई है। मगर जिस प्रकार से डेंगू के केस मिल रहे हैं उससे साफ है कि डेंगू नई दिक्कत बनकर उभरा है। प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक डेंगू संक्रमित इस बार मिले हैं। सिर्फ यह नहीं बल्कि हिसार में तीन साल बाद इतने डेंगू के एक्टिव केस सामने आए हैं। हालात ऐसे हैं कि सिविल अस्पताल में एक-एक बेड पर दो-दो मरीज हैं और 28 करोड़ रुपये से कोविड उपचार के लिए बना संजीवनी अस्पताल सफेद हाथी बनकर खड़ा हुआ है। इसके साथ ही पांच वर्ष बाद ही डेंगू से मौतें भी देखने को मिल रही हैं।
विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत समय पर सर्विलांस और रोकथाम के चलते डेंगू कार्यक्रम को पिछले पांच वर्षों से काबू किया जा रहा था मगर इस साल स्वास्थ्य विभाग की डेंगू ने पोल खोलकर रख दी है। वीरवार को हिसार में अब तक के सर्वाधिक 44 संक्रमित मामले मिले। जिसमें माडल टाउन, अर्बन एस्टेट, शिव कालोनी, सूर्य नगर, शांति नगर, डाबड़ा चौक आदि स्थान शामिल हैं। यह वह स्थान हैं जहां पर सफाई भी रखी जाती है और फागिंग भी आए दिन हो रही है। सिर्फ यह नहीं पहले कोविड को लेकर लोगाें को अस्पतालों में परेशानी उठानी पड़ी तो अब डेंगू को लेकर सो रहे सरकारी तंत्र के आगे लोग लाचार हैं।
डेंगू के आगे प्रशासन नतमस्तक, विकराल बनी यह समस्याएं
बेड की नहीं कोई किल्लत
डेंगू को लेकर अभी भी स्वास्थ्य विभाग गंभीर नजर नहीं आ रहा है। सिविल अस्पताल में लगातार दूसरे दिन भी एक-एक बेड पर लोग डेंगू का उपचार लेते दिखाई दिए। जबकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि डेंगू को लेकर बेडों की किल्लत नहीं है। सिर्फ यह नहीं बल्कि कई प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड फुल चल रहे हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने से स्वास्थ्य सिस्टम पर दबाव है तो संजीवनी अस्पताल जैसे स्थान का प्रयोग डेंगू के लिए प्रशासन नहीं कर पा रहा है।
अभी तक महामारी घोषित नहीं
डेंगू के हर रोज मरीज बढ़ रहे हैं। वीरवार को भी 44 संक्रमित मिले। मगर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक डेंगू को महामारी घोषित नहीं किया गया है क्योंकि महामारी की स्थिति नहीं है। जबकि जिस प्रकार से हर दिन जितने केस मिल रहे हैं उस हिसाब से डेंगू को महामारी घोषित करते हुए कड़ा सर्विलांस करना चाहिए।
रक्तदाताओं के भरोसे सिस्टम
जिस प्रकार से डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं हर दिन लोगों को लैबोरेट्री के सामने घंटों लाइन लगाकर एसडीपी के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। लोगों को अपने परिचितों की जान बचाने के लिए संस्थाओं से मदद लेनी पड़ रही है। समाज में कुछ रक्तदाता मदद के लिए आगे आ रहे हैं तब लोगों की जान बच रही है। यहां भी सरकारी सिस्टम फेल नजर आ रहा है। एक-एक यूनिट रक्त के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है।
मानीटरिंग का अभाव: प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू रेट- 50 हजार
केस 1
शहर के एक प्रमुख प्राइवेट अस्पताल में एक अफसर अपने भाई को दाखिल कराते हैं। 15 हजार प्लेटलेट्स रह जाती हैं। अस्पताल भर्ती कर उपचार शुरू कर देता है। परिजनों को कहा जाता है कि 40 हजार प्लेटलेटस होते ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। मगर ऐसा हुआ नहीं। बल्कि 45 हजार प्लेट होने पर चिकित्सकों ने कहा कि 60 हजार पर रिलीज करेंगे, जब 66 हजार प्लेटलेट्स हो गईं तो कहा 80 हजार होने पर डिस्चार्ज करेंगे। ऐसे में परिजन काफी नाराज हुए और अपने मरीज को जबरन डिस्चार्ज करा दिया। ऐसा तब है जब अस्पताल के पास बेड की कमी है। डेंगू का खुला रेट 50 हजार रुपये चल रहा है।
केस 2
प्राइवेट अस्पतालों और लैबों पर मानीटरिंग का अभाव साफ नजर आ रहा है। एक लैब मरीज की 40 हजार प्लेटलेट्स दिखा रही है तो दूसरी लैब 30 हजार, अब दोनों में अंतर कैसा है यह भी मानीटरिंग नहीं हो रही है। सिर्फ यह नहीं बल्कि अस्पतालों में पिछले तीन से चार दिनों से बेड फुल होने की बात सामने आ रही है मगर अभी तक सरकारी अधिकारियों ने अस्पतालों में निरीक्षण तक करने की जहमत नहीं उठाई।
सर्विलांस में कमी: बीमारी की ठीक से नहीं हो रही पहचान
स्वास्थ्य विभाग के अफसर खुद मानते हैं कि डेंगू को लेकर सही से सर्विलांस नहीं हाे पा रही है। इस समय कोरोना, डेंगू के साथ सीवियर कोल्ड चल रहा है। लोग इतने पैनिक हैं कि संक्रमण होते ही अस्पताल में भर्ती होने चले जाते हैं। इधर अस्पताल ने भी सीवीसी टेस्ट और एनएस 1 टेस्ट कराया। जिसमें प्लेटलेट्स कम आई और भर्ती कर उपचार शुरू कर दे रहे हैं। जबकि डेंगू या मलेरिया कन्फर्मेशन के लिए एलाइजा टेस्ट होना चाहिए। मौजूदा समय में स्वास्थ्य विभाग के पास 10 एलाइजा टेस्ट किट हैं। एक किट से 96 सैंपल टेस्ट हो सकते हैं।
डेंगू बुखार के समान लक्षण
- लगातार पेट दर्द।
- त्वचा पीली, ठंडी या चिपचिपी हो जाती है।
- नाक, मुंह और मसूड़ों से खून आना और त्वचा पर चकते होना।
- रक्त के साथ या बिना खून के बार-बार उल्टी होना।
- निंद्रा और बेचैनी।
- रोगी को प्यास लगती है और मुंह सूख जाता है।
- तेजी से कमजोर नाड़ी।
- सांस लेने में कष्ट ।
क्या है डेंगू और इसके प्रकार
डेंगू एक वायरल बीमारी है। यह एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। संक्रमित मच्छर के काटने के 5-6 दिनों के बाद मनुष्य को रोग हो जाता है।
यह दो रूपों में डेंगू बुखार और डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) होता है। डेंगू बुखार एक गंभीर, फ्लू जैसी बीमारी है। जबकि डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) बीमारी का अधिक गंभीर रूप है, जिससे मृत्यु हो सकती है। डेंगू बुखार या डीएचएफ होने का संदेह व्यक्ति को एक बार चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
पिछले सात वर्षों में डेंगू का हरियाणा में ट्रेंड
वर्ष- केस- मृत्यु
2015- 9921- 13
2016- 2493- 0
2017- 4550- 0
2018- 1898- 0
2019- 1207- 0
2020- 1377- 0
2021- 4241 से अधिक- 1
हिसार जिला की डेंगू को लेकर यह है स्थिति
वर्ष- मरीज
2015- 1140
2016- 496
2017- 538
2018- 282
2019- 168
2020- 117
2021- 315
जिला में डेंगू की आंकड़ों में स्थिति
डेंगू के संभावित सैंपल- 1826
आज नए डेंगू के केस मिले- 44
कुल संक्रमित केंस- 315
मरीज रिकवर हुए- 178
एक्टिव केस- 117
मृत्यु- 1
सेक्टरों में कराई फागिंग
शहर में नगर निगम ने फोगिंग शुरू कर दी है । वार्ड -14 के सेक्टर -13 ,सेक्टर 16-17 और सेक्टर 9-11 में पार्षद अमित ग्रोवर ने निगम कर्मचारियों के साथ स्वयं जाकर फोगिंग करवाई । डेंगू और मलेरिया के फैलने से गम्भीर स्तिथि बनी हुई थी जिसको देखते हुए पार्षद ग्रोवर ने निगम कमिश्नर अशोक गर्ग से शहर में फोगिंग करवाने की मांग की थी पार्षद ने कहा कि आज उन्होंने वार्ड की हर गली में साथ जाकर फोगिंग करवाई है इसमें सभी पार्को के पास और विभाग के खाली प्लाटो के पास भी फोगिंग करवाई है ताकि सभी जगहों से मच्छर खत्म हो सके । सेक्टर की सभी शापिंग काम्प्लेक्स डाबड़ा चौक पुल की नीचे स्तिथ अाटो मार्किट जहां मच्छरों की तादात ज्यादा थी वहां भी फोगिंग करवाई गई है । पार्षद ग्रोवर और वार्डवासियों ने स्वास्थय विभाग के दवाई उपलब्ध न करवाने के बाद निगम आयुक्त के निर्देश पर नगर निगम ने दवाई खरीद कर फोगिंग शुरू करवाने पर निगम आयुक्त अशोक गर्ग का आभार व्यक्त किया है।
नागरिक अस्पताल में एसडीपी मशीन उपलब्ध करवाने को मेयर ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र
नागरिक अस्पताल ब्लड बैंक में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) मशीन नहीं होने के कारण शहरवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न संस्थाओं ने मशीन उपलब्ध करवाने को लेकर मेयर गौतम सरदाना से मांग की। मेयर ने नागरिक अस्पताल को एसडीपी मशीन उपलब्ध करवाने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पत्र लिखा है। वहीं शहर में डेंगू के बढ़ते प्रभाव व नागरिक अस्पताल में अव्यवस्था को लेकर मेयर गौतम सरदाना ने सीएमओ से मौजूदा स्थिति पर बातचीत की। मेयर गौतम सरदाना ने सीएमओ को कहा कि नागरिक अस्पताल में डेंगू के मरीजों को उपचार के लिए बेहतर सुविधा मुहैया करवाई जाए। नागरिक अस्पताल में डेंगू की जांच की सुविधा बढ़ाई जाए।
मैसेज देखते ही रक्तदान करने को दौड़े चले आए नगर निगम कमिश्नर
पड़ाव चौक के पास रहने वाले 30 वर्षीय रामबाबू डेंगू के गंभीर मरीज हैं। वीरवार को प्लेटलेट्स कम होने से उन्हें आठ यूनिट ओ पाजिटिव खून की आवश्यकता पड़ी। उनके परिजनों ने काफी प्रयास किया मगर एक दो यूनिट ही रक्त जुटा पाए। लिहाजा परिजनों ने सद्भावना संस्था से संपर्क किया। यहां संस्था के सदस्यों ने रक्त की जरूरत का संदेश ग्रुपों पर फारवर्ड किया। जैसे ही नगर निगम कमिश्नर अशोक कुमार गर्ग ने मोबाइल पर संदेश देखा तो उन्होंने संस्था के संस्थापक अमित ग्रोवर से संपर्क किया। इसके बाद वह खुद श्री राम ब्लड बैंक पहुंचे तो रक्तदान कर मरीज की जान बचाई। उनके इस कदम की हर किसी ने सराहना की।
उपायुक्त से डेंगू को लेकर सीधी बात
1- क्या डेंगू को लेकर महामारी जैसी स्थिति नहीं है
डीसी- डेंगू के मामले बढ़े हैं मगर महामारी है या नहीं इसकी घोषणा केंद्रीय टीम करती है। जिला प्रशासन किसी बीमारी को महामारी घोषित नहीं कर सकता है।
2- अस्पताल में मरीज भरे हैं और संजीवनी अस्पताल का प्रयोग नहीं हो रहा
डीसी- डेंगू के मरीजों को बेड की कोई दिक्कत नहीं है। मैं खुद भी संज्ञान ले रही हूं। अगर किसी को बेड न मिले तो वह तत्काल सिविल सर्जन से संपर्क करे।
3- संजीवनी अस्पताल का प्रयोग क्यों नहीं प्रशासन करता है
डीसी- संजीवनी अस्पताल को कोविड की स्थितियों को देखकर बनाया गया था। इसका समय भी पूरा हो गया है। अब आगे निर्णय सरकार का ही होगा। हम खुद से प्रयोग नहीं कर सकते हैं।
4- अस्पताल में मरीजों को डिस्चार्ज करने की अपनी-अपनी पालिसी हैं
डीसी- यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। हम किसी भी अस्पताल को विशेष प्रोसीजर नहीं दे सकते। चिकित्सक अपने विवेक से निर्णय लेते हैं।