संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद लिया जाएगा बड़ा फैसला, जानें कब होगी बार्डरों से किसानों की वापसी
चार दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की जो बैठक होनी थी वह बैठक भी अब एक दिसंबर को तय कर दी गई है ताकि आंदोलन को अब ज्यादा लंबा न खींचा जाए और जितनी जल्दी हो सके इसे खत्म करके घर वापसी की जाए।
बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। बहादुरगढ़ के टिकरी बार्डर और दिल्ली के चारों ओर बैठे किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों को लेकर शुरू किया गया आंदोलन अब अगले दो-तीन दिन में खत्म होने की प्रबल संभावना है। जिस दिन से प्रधानमंत्री की ओर से इन कानूनों को वापिस लिए जाने की घोषणा की गई थी, उसी दिन से ही यह संभावना नजर आ गई थी कि आंदोलन अब ज्यादा लंबा नहीं चलेगा। अब जबकि सरकार ने संसद के दोनों सदनों में इन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की प्रक्रिया पूरी कर दी है और अब महज आखिरी औपचारिकता ही इन कानूनों को निरस्त करने के लिए बची है तो आंदोलनकारियों की ओर से भी अब घर वापसी की तैयारी की जा रही है।
शुरू में नहीं थी MSP की मांग
हालांकि अभी आंदोलन को खत्म करने को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसानों के बीच पूरी तरह से सहमति नजर नहीं आ रही है। पंजाब के किसान तो कृषि कानूनों की वापसी की मांग को ही प्राथमिकता दे रहे थे जबकि हरियाणा के किसानों की ओर से इन कानूनों में संशोधन की पैरवी की जा रही थी, लेकिन दूसरी तरफ उनकी मांग एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की है। पंजाब के किसानों ने जिस दिन दिल्ली के लिए कूच किया था तब उनकी एमएसपी की मांग नहीं थी। आंदोलन में पंजाब का प्रभाव ही ज्यादा रहा है इसलिए अब पंजाब के किसानों ने घर वापसी की तैयारी कर ली है तो जाहिर तौर पर आंदोलन खत्म ही हो जाएगा।
SKM की बैठक में लिया जा सकता है घर वापसी का फैसला
चार दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की जो बैठक होनी थी, वह बैठक भी अब एक दिसंबर को तय कर दी गई है, ताकि आंदोलन को अब ज्यादा लंबा न खींचा जाए और जितनी जल्दी हो सके इसे खत्म करके घर वापसी की जाए। सोमवार को पंजाब की जत्थेबंदियों की बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया कि आंदोलन को अब जल्द ही खत्म करने की घोषणा हो सकती है। एक तरीख को बैठक के बाद आंदोलनकारियों की टीकरी बार्डर से वापसी शुरू हो सकती है। इसके लिए यहां पर तैयारी भी दिख रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली के बार्डरों से सभी किसान जल्द वापसी करते हैं या फिर अभी जो अंदर खाते हरियाणा-पंजाब के बीच असहमति बनी हुई है उसका असर धरातल पर भी दिखेगा। इधर उद्यमियों, व्यापारियों और आम लोगों को टीकरी बार्डर खुलने का इंतजार है।